दुकान विशेष से किताबें, कॉपियां व यूनिफॉर्म आदि खरीदी के लिये बाध्य करने वाले स्कूलों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
निजी स्कूलों के प्राचार्यों व संचालकों की बैठक में कलेक्टर के निर्देश
ग्वालियर 13 जनवरी 10। स्कूली बच्चों एवं उनके अभिभावकों को किसी दुकान विशेष से किताबें, कॉपियां, गणवेश (यूनिफॉर्म) तथा अन्य स्टेसनरी खरीदने के लिये बाध्य न किया जाये। अभिभावकों को अपने बच्चों के लिये पठन-पाठन सामग्री खरीदने की पूरी स्वतंत्रता दी जाये। अगर किसी स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी दुकान विशेष से यह सामग्री खरीदने के लिये अभिभावकों को विवश किया गया तो उसके खिलाफ जिला प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। यह निर्देश कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने नगर में संचालित विभिन्न निजी शिक्षण संस्थाओं के प्राचार्य एवं संचालकों की बैठक में दिये। उन्होंने स्कूल संचालकों से साफतौर पर कहा कि स्कूल द्वारा अपने स्तर पर भी किताबें, कॉपियां व यूनीफॉर्म इत्यादि का विक्रय कदापि न किया जाय। बैठक में अपर जिला दण्डाधिकारी श्री वेदप्रकाश व जिला शिक्षाधिकारी श्री डी आर. ज्ञानानी सहित अन्न संबंधित अधिकारी मौजूद थे।
कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने कहा कि किसी दुकान विशेष से किताबें व कॉपियां खरीदने से अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक दबाब पड़ता है, जो अनुचित है। उन्होंने सी बी एस सी. पाठयक्रम पढ़ाने वाले स्कूलों के प्राचार्यों व संचालकों से यह भी कहा कि स्कूलों में एन सी ई आर टी. की किताबों से ही पढ़ाई कराई जाये। यदि एन सी ई आर टी. के अतिरिक्त किसी स्कूल की नजर में कोई पुस्तक हो तो उसके बारे में जिला प्रशासन (जिला शिक्षाधिकारी) को बता दें, ताकि परीक्षण उपरांत उस पुस्तक की अनुमति जारी की जा सकेगी। कलेक्टर ने बैठक में स्पष्ट तौर पर हिदायत दी कि बच्चों को अनावश्यक वर्क बुक खरीदने के लिये भी कदापि बाध्य न करें।
बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने पर भी कलेक्टर ने विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि एन सी ई आर टी. द्वारा निर्धारित पाठयक्रम के अतिरिक्त पुस्तकें चलाई जाने से छोटे-छोटे बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ जाता है, जो मानवाधिकारों का सरे आम उल्लंघन है। इसलिये बच्चों का बोझ कम करने के लिये सभी स्कूल प्रभावी कदम उठायें।
अपर जिला दण्डाधिकारी श्री वेदप्रकाश ने स्कूल संचालकों से कहा कि नियमित पढ़ाई के साथ बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिये खेल के भी पर्याप्त पीरियड रखे जायें। ऐसा होने से बच्चों को पढ़ाई से अरूचि नहीं होगी। साथ ही उनके व्यक्तित्व का विकास भी हो सकेगा। उन्होंने स्कूली वाहनों में ओव्हर लोडिंग न होने देने के लिये स्कूल संचालकों को सचेत किया। श्री वेदप्रकाश ने कहा कि स्कूल प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि हर बच्चे को वाहन में बैठने के लिये पर्याप्त स्थान मिले और वाहन का रख-रखाव ठीक रहे अर्थात स्कूल वाहन अच्छी कंडीशन के होने चाहिये।
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