बड़े बकायादारों के नाम के होर्डिंग्स लगाएं, व्यवसाय बढ़ायें और उसका विविधीकरण करें, सहकारिता मंत्री
श्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा कमजोर बैंकों को सशक्त बनाने के लिए बुलाई गई बैठक में निर्देश
भोपाल 12 जनवरी 10। सहकारिता एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने सहकारी बैंकों से कहा है कि वे बड़े बकायादारों से वसूली के लिए सख्त कदम उठाएं और जरूरत पड़े तो प्रमुख चौराहों पर होर्डिंग्स लगाकर दबाव बनाएं। श्री बिसेन कल कमजोर सहकारी बैंकों को उबारने तथा सशक्त बनाने पर विचार के लिए बुलाई गई बैठक में बोल रहे थे। इस बैठक में आयुक्त सहकारिता श्री अरुण कुमार भट्ट म.प्र. राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध संचालक श्री सुशील कुमार मिश्र कमजोर नौ बैंकों सिवनी, दमोह, ग्वालियर, गुना, मंडला, रीवा, सतना, शहडोल एवं सीधी बैंकों के अध्यक्ष, मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं उपायुक्त सहकारिता उपस्थित थे।
सहकारिता मंत्री श्री बिसेन ने कहा कि रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के मुताबिक वर्ष 2012 तक प्रदेश की सभी सहकारी बैंकों को उनके मानदंडों के अनुरूप बनाया जाना है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन बैंकों को विशेष प्रयास करना हैं जो आज भी धारा-11 के पालन में समर्थ नहीं हैं। श्री बिसेन ने कमजोर बैंकों को घाटे से उबारने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए विशेष प्रयास प्रारंभ करने के निर्देश दिये। उन्होंने कमजोर बैंकों से अपने व्यवसाय में वृध्दि करने के साथ ही उसके विविधीकरण किए जाने पर बल दिया। सहकारिता मंत्री ने एन.पी..ए. को समाप्त करने तथा ऋण वितरण बढ़ाने को कहा। उन्होंने ऐसी बैंकों की कार्यप्रक्रिया पर गहरी नाराजगी व्यक्त की जो निवेश पर अधिक ब्याज दे रही है जबकि ऋण कम ब्याज पर लोगों को उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने बैंक प्रबंधन से व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाने को कहा। श्री बिसेन ने कहा कि बैंक उन बकायादारों पर अपना दबाव बढ़ाए जो बैंकों की राशि लेकर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि उन बकायादारों के नामों का व्यापक प्रचार-प्रसार करें तथा प्रमुख स्थानों पर ऐसे लोगो के नामों के होर्डिंग्स भी लगाएं।
श्री बिसेन ने कमजोर बैंक के अध्यक्षों एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से कहा कि शासन उनके साथ है। वैद्यनाथन तथा अन्य उपायों के द्वारा शासन उनकी मदद करेगा लेकिन असली मेहनत उन्हें स्वयं करना होगी। उन्होंने कहा सहकारी बैंकों को सशक्त बनाने के लिए प्रयास आज से ही प्रारंभ कर दिए जाएं और इसके परिणाम इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति मार्च माह में दिखना चाहिए।
प्रदेश में वर्तमान में 38 जिला सहकारी बैंक कार्यरत हैं। इनमें से 28 बैंक पूर्व में वी आर. एक्ट की धारा 11 (1) के मानदंड को पूरा नहीं कर रही थीं। राज्य शासन द्वारा विगत 3-4 वर्षो र्मे र्विशेष प्रयासों से 18 बैंक धारा-11 का पालन करने में समर्थ हो गईं। अब मात्र बैंक ही कमजोर बैंकों की श्रेणी में हैं।
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