दिल्ली में उच्च अध्ययन करने वाले म.प्र.  के पिछड़ा वर्ग छात्रों की आय सीमा 25 हजार से बढ़कर एक लाख रु. हुई
ग्वालियर 23 मई, 2007  
दिल्ली  में रहकर छात्रावास योजनान्तर्गत उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले पिछड़ा वर्ग  छात्र-छात्राओं के अभिभावकों की वार्षिक आय सीमा 25 हजार  रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी गई है। अब पिछड़ा वर्ग के ऐसे सभी छात्र जिनके  परिवार की वार्षिक आमदनी एक लाख रु. तक है, योजना का लाभ उठा सकेंगे। पिछड़ा  वर्ग के कल्याण के लिए राज्य शासन द्वारा अनेक निर्णय लिए गए हैं। समस्त  औपचारिकताएं पूर्ण की जाकर इन्हें अमली जामा पहनाया जा रहा है। पिछड़ा वर्ग एवं  अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, श्री रूस्तम सिंह ने यह जानकारी  कल यहां महात्मा फुले भवन में आयोजित पिछड़ा वर्ग के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन को  संबोधित करते हुए दी। 
श्री  रूस्तम सिंह ने बताया कि प्रदेश में राज्य छात्रवृत्ति का लाभ लेने वाले पिछड़ा  वर्ग के अधिक विद्यार्थी उठा सकेंगे क्योंकि शीघ्र ही इस अभिभावकों के लिए दस एकड़  तक भूमि की सीमा की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। श्री सिंह ने उच्च शिक्षा में प्रवेश  के लिए होने वाली काउन्सिलिंग में विद्यमान विसंगतियों को भी दूर कराने का आश्वासन  दिया। श्री सिंह ने कहा कि राज्य शासन ने पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए  वार्षिक आय सीमा 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार  रुपये करने और इंजीनियरिंग एवं मेडिकल समूह के लिए वार्षिक आय सीमा एक लाख 50 हजार  रुपये करने का निर्णय लिया है। श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 2007-08 में  पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत 80  करोड़  रुपये का प्रावधान किया गया है जिसमें से 60  करोड़  रुपये जिलों को आवंटित किए जा चुके हैं। श्री सिंह ने बताया कि 75 हजार  रुपये सालाना आमदनी वाले विद्यार्थियों का शत प्रतिशत और 75  हजार से डेढ़ लाख सालाना आमदनी वाले परिवारों के उच्च शिक्षा में अध्ययनरत बच्चों  के शिक्षा व्यय का आधा व्यय शासन द्वारा वहन किया जाएगा। इस निर्णय के क्रियान्वयन  की दिशा में तेजी से कार्रवाई की जा रही है। 
पंचायत  एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि पिछड़ा वर्ग के छात्रों को विदेश में उच्च  अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बजट में 75 लाख  रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत प्रति विद्यार्थी 15 लाख  रुपये की राशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। श्री रूस्तम सिंह ने कहा कि  राज्य में रोजगार गारंटी प्रशिक्षण योजना (इण्डो जर्मन टूलरूम) भी लागू की जा रही  है। इसके तहत पिछड़ा वर्ग के बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण कर लेने वाले 400 से  अधिक प्रति छात्र 60 हजार रूपये की दर से शासन द्वारा  व्यय भार वहन किया जाएगा। छात्रों को प्रशिक्षण के दौरान शिष्यवृत्ति भी प्रदान की  जाएगी।
पिछड़ा वर्ग मंत्री ने कहा कि बालिकाओं में शिक्षा  को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर जिले में 50 सीटर  कन्या छात्रावास बनाने का काम शुरू किया गया है। भवन विहीन जिलों में किराये का  भवन लेकर कन्या छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं। इसी तरह हर संभाग में सौ सीटर  बालक छात्रावास बनाये जा रहे हैं। इनमें से इंदौर, भोपाल  और जबलपुर ने छात्रावास निर्माण का काम पूरा हो गया है और सागर, रीवा, उज्जैन, मुरैना  में निर्माण कार्य जारी है।






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