खसरे से बचाव के लिए टीके  अवश्य लगवायें, गांव-  गांव में टीकाकारण जारी 
ग्वालियर 16 मई 2007  
       जिले के हर गांव में खसरे से बचाव के लिए टीकाकरण किया  जा रहा है । जिला कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव ने बच्चों को खसरे से बचाने के लिए  उक्त टीके लगवाने की ग्रामीण जनों से अपील की है । 
       मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि बच्चों  की छ: जानलेवा बीमारियों में खसरा बीमारी सबसे ज्यादा घातक होती है । खसरा गोबरी, छोटी माता या खिलौना के नाम से भी  जानते हैं । अधिकतर लोग अंधविश्वास के कारण बीमारी को छिपाते हैं तथा इलाज लेने से  डरते हैं । कुछ ग्रामीण यह भी समझते हैं कि इलाज कराने से माता मैया नाराज हो जावेंगी, जबकि ऐसी बात नहीं है । खसरा तो अन्य  बीमारियों जैसे टिटनस, टी.बी. पोलियो की तरह ही एक बीमारी  है और उसी तरह जैसे पोलियो की दवा पिलवा देने से बच्चे को पोलियो रोग नहीं होता है, उसी प्रकार खसरे का टीका लगा देने  से बच्चे को खसरे की बीमारी नहीं होती है ।
       खसरे का टीका प्रत्येक बच्चे को नौ माह की उम्र पूरी  होने के बाद बारह माह की उम्र से पहले जरूर लगवा लेना चाहिये । इस टीके को केवल एक  ही बार लगवाने से खसरा की बीमारी से बचा जा सकता है ।
       उन्होंने खसरा की पहचान के लक्षण भी बतायें हैं । जिसमें  तेज बुखार, बहती नाक (जुखाम), पनीली व लाल आंखें, चेहरे व कानों के पीछे व पूरे शरीर  पर लाल छोटे एक से दाने, ये लक्षण पांच दिन रहते हैं । खसरा  की बीमारी बहुत संक्रामक है । घर में एक बच्चे को यह बीमारी हो जाने पर घर के अन्य  बच्चों तथा आस पडोंस के बच्चों जिन्हें खसरे का टीका नहीं लगा होता है, उन्हें भी यह बीमार हो जाती है ।  बीमार बच्चों को साफ ताजा बना हुआ खाना खिलाते रहें तथा उबालकर ठंडा किया हुआ पानी  पिलाते रहेें ।  स्वास्थ्य कार्यकर्ता से विटामिन  ए की खुराक भी अवश्य पिलवायें । बच्चों को यदि कोई टीके लगने से छूट गये हो तो स्वास्थ्य  कार्यकर्ता से मिलकर छूटे टीकों की पूरी खुराक लगवालें ।
       खसरे की बीमारी के बाद बच्चे को निमोनिया या आंव, खून के दस्त या बीमारी की हालत में  बच्चे का खाना बंद करने के कारण बच्चे को हुई कमजोरी (कुपोषण) से बच्चे की मौत भी हो  सकती है । इसीलिये इनमें से एक भी लक्षण होने पर तत्काल स्वास्थ्य कार्यकर्ता की सलाह  लें । 






कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें