जे.ए. हॉस्पिटल की  स्वास्थ्य सेवाओं में ढिलाई अक्षम्य होगी - डा. कोमल सिंह
    कमिश्नर  ने कलेक्टर के साथ किया निरीक्षण 
ग्वालियर 21 मई 2007 
           ग्वालियर एवं चम्बल अंचल समेत अन्य समीपवर्ती क्षेत्रों के  लिए जयारोग्य चिकित्सालय सबसे बड़ा अस्पताल है । यहाँ खासतौर पर गरीब तबके के मरीज  बड़ी उम्मीद के साथ अपने इलाज के लिए आते हैं, इसलिए पूरी  संवेदनशीलता के साथ उन्हें स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराई जाएं । उन्हें दवायें, एक्स रे व  अन्य स्वास्थ्य जाँच की सुविधायें सरकार की मंशा के अनुरूप मिलनी चाहिए । यहाँ की  स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी प्रकार की ढिलाई अक्षम्य होगी । यह निर्देश ग्वालियर  एवं चंबल संभाग के कमिश्नर डा. कोमल सिंह ने आज जे.ए.हॉस्पिटल के निरीक्षण के समय  मेडीकल कॉलेज के डीन व अस्पताल अधीक्षक को दिये । कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव  के साथ निरीक्षण के लिए पहुंचे कमिश्नर ने करीब दो घण्टे अस्पताल में बिताये । इस  दौरान उन्होंने अस्पताल में उपचार के लिए आयें रोगियों से भी चर्चा की और जे.ए.  हॉस्पिटल सहित, माधव डिस्पेंसरी व निर्माणाधीन ट्रोमा सेण्टर का निरीक्षण  किया । 
       माधव डिस्पेंसरी में संचालित ओ.पी.डी. का जायजा लेते समय  कमिश्नर डॉ. कोमल सिंह के ध्यान में जब यह बात लाई गई कि एक्स-रे फिल्म की कमी की  बजह से मरीजों का एक्स-रे नहीं हो पा रहा है, इस पर वे  खासे नाराज हुए । उन्होंने मेडीकल कॉलेज की डीन डा. शैला सप्रे व अस्पताल अधीक्षक  डा. पी.सी. महाजन को निर्देशित किया कि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में एक्स-रे  फिल्म की व्यवस्था की जाये । इसके साथ ही   अस्पताल प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि दवाओं सहित अन्य चिकित्सकीय सामग्री  की कमी न हो । उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए धन की कमी नहीं है, इसलिए यदि  खरीदी आदि प्रक्रिया की आड में दवाओं व एक्स-रे फिल्म आदि की कमी बताई जाती है तो  इसे गंभीरता से लिया जायेगा । 
       इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता श्री वैदेही  शरण शर्मा तथा अन्य संबंधित अधिकारी उनके साथ थे । 
बाहर  की दवाइयाँ न लिखी जायें 
       कमिश्नर डाँ कोमल सिंह ने माधव डिस्पेंशरी में ओ.पी.डी. का  जायजा लेते समय चिकित्सकों को हिदायत दी कि मरीजों को जहाँ तक संभव हो अस्पताल में  उपलब्ध दवायें ही लिखी जायें । उन्होंने खास तौर पर गरीब तबके के मरीजों को  नि:शुल्क दवायें मुहैया कराने पर जोर देते हुए कहा कि सरकार की मंशा है कि गरीबों  का पूरी तरह नि:शुल्क इलाज हो । अत: चिकित्सक गंभीर हो कर बाहर की दवाइयाँ लिखने  की प्रवृति छोडें । 






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