सर्व शिक्षा अभियान
हर परिस्थिति को ध्यान में रखकर बच्चों को शिक्षा दिलाने संचालित हैं कार्यक्रम
प्रशान्त सिंह तोमर –ब्यूरो चीफ ग्वालियर 28 मई 2007
ग्वालियर जिले में सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित केन्द्र - बालक छात्रावास | 4 |
- आवासीय ब्रिजकोर्स | 4 |
- गैर आवासीय ब्रिज कोर्स | 70 |
- मानव विकास केन्द्र | 10 |
-शिशु शिक्षा केन्द्र | 300 |
-शिक्षा घर | 10 |
प्रदेश सरकार का ध्यान गॉवों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की ओर है । सरकार ने संकल्प लिया है कि हर पढ़ने योग बच्चा शाला में भर्ती हो, साथ ही सभी शालाओं के भवन बन जायें । इसी सोच के साथ सर्व शिक्षा अभियान की गतिविधियों को मूर्त रूप दिया जा रहा है । शिक्षा के लोकव्यापीकरण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनायें संचालित की जा रही हैं ।
बालिका छात्रावास - प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त गॉव में माध्यमिक विद्यालय न होने की स्थिति में बालिकायें अपनी शिक्षा पूर्ण नहीं कर पाती हैं । इसके लिए राज्य शासन ने बालिका छात्रावासों के माध्यम से आवासीय सुविधा उपलब्ध कराकर सभी बालिकाओं को माध्यमिक शिक्षा पूर्ण करने का अवसर प्रदान किया है ।
आवासीय ब्रिजकोर्स - जो बच्चे 8 से 14 आयु वर्ग के है और ऐसे बालक, बालिकायें जिन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा किन्हीं कारणों से पूर्ण नहीं कर पाई है ऐसे शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए के लिए 9 माह के लिए आवासीय शिक्षा सुविधा आवासीय ब्रिजकोर्स में उपलब्ध कराई जाती है ।
गैर आवासीय ब्रिजकोर्स - आठ से चौदह वर्ष के ऐसे बालक, बालिकायें जिन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा किन्हीं कारणों से पूर्ण नहीं कर पाई हैं ऐसे शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने हेतु 9 माह के लिए गैर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाती है । नौ माह पश्चात बच्चों को स्कूल में नियमित भर्ती करा दिया जाता है ।
मानव विकास केन्द्र - शहरी बस्तियों में रहने वाले कामकाजी बालक, बालिकायें जो अपने जीविकोपार्जन के लिए शिक्षा बीच में ही बन्द कर देते हैं । उनको मानव विकास केन्द्र द्वारा शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा एक वर्ष तक प्रदान की जाती है । एक वर्ष बाद बच्चों को नियमित स्कूल में भर्ती करा दिया जाता है ।
शिशु शिक्षा केन्द्र - ऐसी बालिकायें जो अपने छोटे भाई- बहिनों की देखभाल के कारण विद्यालय नहीं आ पाती । राज्य सरकार द्वारा उन छोटे भाई - बहिनों की देखरेख के लिए शिशु शिक्षा केन्द्र में दीदी नियुक्त की गई है ।
शिक्षा घर - जिन गांवों में मजदूर काम की तलाश में पलायन करते हैं, उनके बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो जाती है । ऐसे गांवों में मजदूरों के बच्चों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराकर उनकी शिक्षा नियमित रखने का प्रयास किया जाता है ।
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