शनिवार, 16 अगस्त 2008

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री का भाषण 15 अगस्त, 2008

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री का भाषण 15 अगस्त, 2008

 

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज सुबह लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को सम्बोधित किया । उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने लोगों से किए गए हर वायदे को निभाने की पूरी कोशिश की है । डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, न्न हमने ग्रामीण भारत में एक नई उम्मीद जगाई है: हमने ग्रामीण इलाकों में सेहत, शिक्षा, बिजली, सड़क, आवास और सिंचाई के लिए निवेश बहुत बढा दिया है । न्न प्रधानमंत्री ने देश के आर्थिक विकास में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अपनी सरकार द्वारा की गई अनेक पहलों की चर्चा की । कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले चार सालों में खेती के लिए बैंक कर्ज की राशि 81,000 करोड़ रुपये से बढाक़र 2,25,000 करोड़ रुपये कर दी है । उन्होंने कहा, न्न हमारे खेत फिर से हरे-भरे दिखाई दे रहे हैं । हमारे अनाज के भण्डार फिर से भरने लगे हैं । हमारे किसानों में अपने भविष्य और अपनी खुशहाली को लेकर फिर से उम्मीद जगी है ।

       राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने चार साल पहले अपनी सरकार की जिन 7 प्राथमिकताओं या  न्न सात सूत्रों न्न की चर्चा की थी, उन्हें लागू करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं । ये सात प्राथमिकताएं हैं- खेती, पानी, शिक्षा, सेहत, रोजगार, शहरी नवीकरण और बुनियादी ढांचे की मजबूती । डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि, न्न भारत तभी बदल सकता है, जब हरेक भारतीय पढा-लिखा हो, सबको पेट भर कर खाना मिले, हरेक भारतीय सेहतमंद हो और सबको अच्छा रोजगार मिल पाए ।

       प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार देश में शिक्षा के विकास पर खास ध्यान दे रही है । उन्होंने कहा, न्न हम 6,000 नये और बहुत अच्छे मॉडल स्कूल स्थापित कर रहे हैं, जो सबकी पहुंच में होंगे । हरेक ब्लॉक में कम-से-कम एक ऐसा स्कूल होगा । न्न इसके अलावा पिछड़े जिलों में 373 नये कॉलेज, 30 नई यूनिवर्सिटियां, 8 नये आईआईटी, 7 नये आईआईएम, 20 नए आईआईआईटी, 5 नये भारतीय विज्ञान संस्थान, प्लानिंग और आर्कीटेक्चर के दो स्कूल तथा 10 एनआईटी और 1,000 नये पॉलिटैक्नीक खोले जाने की बात भी डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में की । देश में वैज्ञानिक सोच के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि, न्न इस साल हम एक भारतीय रॉकेट, चन्द्रयान, चांद पर भेजेंगे । यह हमारे स्पेस प्रोग्राम की एक बड़ी कामयाबी होगी ।

       देश के विकास और खुशहाली के प्रति अपनी सरकार के दृढसंक़ल्प को दोहराते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, न्न हम हरेक क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मेहनत करते रहेंगे ।

       समाज के गरीब तबकों को अनाज और ईंधन की बढती क़ीमतों के असर से बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, न्न हम कीमतों को काबू में रखने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं । मैंने सभी मुख्यमंत्रियों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार लाने और उसे मजबूत करने का अनुरोध किया है ताकि रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें आम आदमी को उचित दर पर मिलती रहें ।

       परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता पर जोर देते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि विकसित देशों के साथ जिस परमाणु करार पर बातचीत हो रही है उससे न केवल भारत पर लगी पाबंदियां खत्म होंगी बल्कि इससे हम अपने किसानों, कामगारों, व्यापारियों और उद्योगों को भी  समुचित मात्रा में बिजली उपलब्ध करा सकेंगे ।          

       डॉ. मनमोहन सिंह ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकार कर लिए जाने की चर्चा करते हुए कहा कि इससे सरकारी कामकाज को और कार्यकुशल बनाने में मदद मिलेगी ।

       आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी सरकार के दृढ इरादे को रेखांकित करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने सभी राज्य सरकारों, राजनैतिक दलों, नागरिक समूहों तथा सामाजिक और धार्मिक रहनुमाओं से आग्रह किया कि वे इस काम में सरकार से सहयोग करें । प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर में शांति तथा स्थिरता को बढावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों को और गति दी जाएगी । पवित्र धाम श्री अमरनाथ जाने वाले यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराने से जुड़े मसले का जिक्र करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि इसे केवल शांति और सद्भावना से ही सुलझाया जा सकता है । उन्होंने जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए राज्य के लोगों से सहयोग की अपील की 

       आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि आतंकवादी और उनका समर्थन करने वाले लोग न केवल भारत और पाकिस्तान की जनता के दुश्मन हैं बल्कि ऐसे लोग इस पूरे क्षेत्र और समूचे विश्व की शांति के लिए भी खतरा हैं । डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, न्न दहशतगर्दी के मसले का हल निकाले बगैर, दोनों देशों के लोगों की अमन-चैन से रहने की हमारी ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकेगी । शांति के लिए जो कदम हम उठाना चाहते हैं, वह भी नहीं उठा पाएंगे ।

       अपने भाषण का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, न्न अगर हम सब एक देश के रूप में मिल-जुलकर काम करने का प्रण करें, मेहनत करें और अपने सभी लोगों की भलाई का ख्याल रखें, तो ऐसा कोई भी काम नहीं है, जिसे हम नहीं कर सकते हैं ।

       प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ निम्नलिखित है:-

मेरे प्यारे देशवासियों, भाइयों, बहनों और प्यारे बच्चों,

आजादी की सालगिरह के इस खुशी के मौके पर आप सबको हार्दिक बधाई ।

आज का दिन हम सभी भारतीयों के लिए एक मुबारक दिन है ।

आज के दिन हम उन सभी लोगों की कुर्बानी को याद करते हैं जिन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में विदेशी हुकूमत से हमें आजादी दिलाने की लड़ाई लड़ी ।

आज हम उन सभी लोगों की कड़ी मेहनत और लगन को याद करते हैं जिन्होंने एक आजाद और नया खुशहाल भारत बनाने में अपनी जान की बाजी लगा दी । आज हमें इस काम में अपने आपको फिर से लगाना है ।

आज हम अपने किसानों, कामगारों और शिक्षकों को याद करते हैं । हम अपनी फौज के जवानों को याद करते हैं जो बर्फीले पहाड़ों, रेगिस्तानों, जंगलों, समुद्री किनारों और समुन्दर के बीच हमारी सरहदों की हिफाजत कर रहे हैं ।

भाइयों और बहनों,

चार साल पहले, आज के दिन, यहां आपके सामने खड़े होकर मैंने आपको अपनी सरकार के एक नया भारत बनाने के सपने के बारे में कहा था ।

मैंने आपसे कहा था कि हम एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं:

जिसमें सबको इंसाफ मिले और जहां इंसानियत और भाईचारे का बोलबाला हो;

एक ऐसा भारत जिसमें सभी लोगों को बराबर समझा जाए;

एक ऐसा भारत जो खुशहाल हो;

एक ऐसा भारत जिसमें अमन-चैन हो;

एक ऐसा भारत जिसमें हरेक को अपनी सलाहियत के मुताबिक काम मिल सके, और वह अपना भविष्य बना सके ।

एक ऐसा भारत जो  secular  हो, जिसमें भेदभाव और नाइंसाफी न हो ।

एक ऐसा भारत जिसमें विविधता में एकता हो ।

ऐसा भारत बनाने की हमारी पूरी कोशिश रही है ।

भाइयों और बहनों,

चार साल पहले मैंने यहां खड़े होकर आप से कहा था कि मुझे वादे करने नहीं है बल्कि निभाने हैं ।

राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर अमल करना हमारा वादा था ;

ग्रामीण भारत में नई उम्मीद जगाना हमारा वादा था ;

अपने आर्थिक और सामाजिक विकास में सबको साथ लेकर चलना हमारा वादा था ;

भारत को दुनिया के देशों के बीच उसकी सही जगह दिलाना हमारा वादा था;

हमारी सरकार ने इन सभी वादों को पूरा करने की ईमानदारी से कोशिश की है ।

हमने ग्रामीण भारत में एक नई उम्मीद जगाई है:

हमने ग्रामीण इलाकों में सेहत, शिक्षा, बिजली, सड़क, आवास और सिंचाई के लिए निवेश बहुत बढा दिया है ।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के जरिए हम खेती के लिए 25,000 करोड़ रूपये लगा रहे हैं ;

कर्ज के बोझ से दबे अपने किसान भाइयों को राहत देने के लिए हमने लगभग 71,000 करोड़ रूपये का बैंको से लिया गया कर्ज माफ किया है ;

पिछले चार सालों में हमने खेती के लिए बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज की रकम 81,000 करोड़ रूपये से बढाक़र 2,25,000 करोड़ रूपये कर दी है और ऐसे कर्ज पर ब्याज दर भी घटाई है;

किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए हमने अनाजों की खरीद कीमतों में काफी बढोतरी की है, जो गेहूं के लिए 50 प्रतिशत तथा धान के लिए 30 प्रतिशत है;

चावल, गेहूं और दालों की पैदावार बढाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन बनाया गया है;

सिंचाई, जलाशयों, बारिश से सिंचाई वाले इलाकों और बाढ राेकने पर हमने खास तवज्जो दी है;

ग्रामीण इलाकों में ज्यादा रकम लगाने और किसानों को कर्ज से राहत देने की हमारी कोशिश से हमारी खेती मजबूत हुई है;

कृषि मे निवेश बढ रहा है और इस क्षेत्र में लगभग एक दशक, खासकर 1998 से 2004 तक, के ठहराव के बाद फिर तेजी आई है । वर्ष 2007-08 में खाद्यान्नों, कपास और चीनी का रिकार्ड उत्पादन हुआ है ।

हमारे खेत फिर से हरे-भरे दिखाई दे रहे हैं । हमारे अनाज के भंडार फिर से भरने लगे हैं । हमारे किसानों में अपने भविष्य और अपनी खुशहाली को लेकर फिर से उम्मीद जगी है।

भाइयों और बहनों,

मैंने अपनी जिन्दगी के पहले दस साल एक छोटे से गांव में बिताए, जहां न बिजली थी, न पीने के पानी का सही इंतजाम, न कोई डाक्टर, न सड़क, न ही फोन । मुझे मीलों चलकर स्कूल जाना पड़ता था । मुझे रात में मिट्टी के तेल के लैम्प की हल्की सी रोशनी में पढार्ऌ करनी पड़ती थी । आजादी मिलने के बाद ग्रामीण इलाकों में काफी विकास हुआ है फिर भी जिस तरह की जिन्दगी मैंने बचपन में गुजारी थी वैसी ही जिन्दगी अभी भी हमारे देश में बहुत से लोग गुजार रहे हैं ।

यही वजह है कि जब हमारी सरकार बनी, हमने देहातों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत निर्माण के प्रोग्राम की शुरूआत की । हमारी सरकार का ग्रामीण भारत को सुधारने का पक्का इरादा है । इन चार सालों में हमने अहम पहलें कीं । मुझे यकीन है कि हमारी कोशिशों से एक नया खुशहाल भारत जरूर बनेगा ।

मेरे प्यारे देशवासियों,

चार साल पहले मैंने अपनी सरकार की सात प्राथमिकताओं या सात सूत्रों के बारे में आपको बताया था । ये हैं - खेती, पानी, शिक्षा, सेहत, रोजगार, शहरी नवीकरण और बुनियादी ढांचे की मजबूती ।

इन सभी क्षेत्रों में हमने अहम पहलें की हैं । मैं खेती की तरक्की और किसानों की खुशहाली के लिए की गई कोशिशों के बारे में आपको पहले ही बता चुका हूं ।

दूसरी सबसे अहम तरक्की बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में हुई है । रेलवे के विकास मे नई तेजी आई है । नई सड़कें बनाई जा रही हं । नए बन्दरगाह और हवाई अड्डे  बनाए जा रहे हैं ।

हमारी आबादी का अब एक बड़ा हिस्सा शहरों में रहता है । जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी मिशन के तहत शहरों की तरक्की और उन्हें नई शक्ल देने के लिए काफी सरमाया मुहैया कराया जा रहा है ।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत गांवो में सेहत से संबंधित सरकारी सेवाओं को बढाया जा रहा है ।

एक ऐसे आदमी की हैसियत से जिसने अपनी प्रोफेशनल लाइफ की शुरूआत शिक्षक के तौर पर की, मुझे यह कहते हुए फख्र है कि हमारी सरकार देश में शिक्षा की तरक्की पर खास तवज्जो दे रही है । प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा में - सभी   levels  पर सरकारी फण्ड बहुत बढा दिया गया है ।

हमने सर्व शिक्षा अभियान के प्रोग्राम को मजबूत किया है ।  Mid-day Meal Programme  का सभी जिलों में मिडिल स्तर तक विस्तार किया गया है और इस स्कीम के तहत लगभग 14 करोड़ बच्चों को स्कूलों में दोपहर का खाना दिया जा रहा है ।

हम 6,000 नए और बहुत अच्छे मॉडल स्कूल स्थापित कर रहे हैं जो सबकी पहुंच में होंगे । हरेक ब्लॉक में, कम-से-कम एक ऐसा स्कूल होगा । पिछड़े जिलों में 373 नए कालेज खोले जा रहे हैं । हम 30 नई यूनिवर्सिटियां, 8 नए IIT , 7 नए IIM , 20 नए IIITs, 5 नए भारतीय विज्ञान संस्थान, 2 Planning +ÉÉè® Architecture  के   School , 10 NITs  और 1000 नए Polytechnics  भी खोल रहे हैं ।

भाइयों और बहनों,

मैंने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना को राष्ट्रीय शिक्षा योजना कहा है । हम चाहते हैं कि शिक्षा हमारे समाज के हर तबके की पहुंच में हो । अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक परिवारों के बच्चों की पहुंच - हरेक बच्चे की पहुंच चाहे वह लड़का हो या लड़की - आधुनिक शिक्षा तक होनी चाहिए ।

हमारी सरकार ने बच्चों की शिक्षा के लिए वजीफों की कई नई योजनाएं चलाई हैं । अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक परिवारों के बच्चों के लिए प्रि-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक वजीफों की योजनाएं चलाई जा रही हैं । इन तबकों के होशियार बच्चों के लिए खास वजीफे भी शुरू किए गए हैं । अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को विदेशों में पढार्ऌ के लिए वजीफे दिए जा रहे हैं । आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के बच्चो और विकलांग बच्चों के लिए भी राष्ट्रीय स्तर की merit-cum-means scholarship BÉEÉÒ ºBÉEÉÒàÉ VÉÉ®ÉÒ BÉEÉÒ गई हैं ।

हमने एक नया Skill Development Mission  कायम किया है जो प्रधानमंत्री की देखरेख में काम करेगा । सरकार एक Skill Development Corporation  भी बनाएगी जिसमें हमारे नौजवानों, कामगारों और तकनीशियनों के लिए खास   Training का इंतजाम किया जाएगा । इसमें निजी क्षेत्र की active  भागीदारी भी हासिल की जाएगी ।

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम अपने मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक मजबूती के लिए पूरी ईमानदारी से जस्टिस सच्चर कमेटी रिपोर्ट की ज्यादातर सिफारिशों को लागू कर रहे हैं ।

भाइयों और बहनों,

भारत तभी बदल सकता है जब हरेक भारतीय पढा-लिखा हो, सबको पेटभर कर खाना मिले, हरेक भारतीय सेहतमंद हो और सबको अच्छा रोजगार मिल पाये ।

मैं एक ऐसा नया भारत देखना चाहता हूं जो वैज्ञानिक सोच रखता हो और जिसमें शिक्षा का फायदा समाज के हर तबको को मिलता हो । हमें उम्मीद है कि इस साल हम एक भारतीय राकेट, चंद्रयान, चांद पर भेजेंगे । यह हमारे  Space Programme  की एक बड़ी कामयाबी होगी ।

भाइयों और बहनों,

रोजगार मुहैया कराना हमारे लिए एक खास प्राथमिकता रही है । खेती, उद्योग, बुनियादी ढांचे और skill development के लिए अपनाई गयी हमारी नीतियों से रोजगार को बढावा मिलेगा ।

हमारी प्रिय पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने कहा था  न्नगरीबी हटाओ न्न। हमारी नेता श्रीमती सोनिया गांधी ने हमें नारा दिया है  रोजगार बढाअो न्न । हमारी सरकार  न्नगरीबी   को दूर करने के लिए  न्नरोजगार न्न बढाने के खास प्रयास कर रही है ।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना हमारी सरकार की एक ऐतिहासिक पहल है । यह कार्यक्रम अब पूरे देश में चलाया जा रहा है और इसके जरिए गांव में रहने वाले सबसे ज्यादा जरूरतमंद करोड़ों लोगों को रोजी-रोटी की मदद दी जा रही है । इसका मकसद गरीबी की तीखी मार को कम करना है ।

भाइयों और बहनों,

रोजगार बढाने के लिए हमें कृषि, Manufacturing  और बुनियादी ढांचे में ज्यादा निवेश करने की जरूरत है । हमें  Industrialization  की एक नई लहर लाने की भी जरूरत है । अगर औद्योगिक विकास का कुछ बुरा असर हमारे किसी भी ग्रामीण इलाके के निवासियों पर पड़ता है तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका सही मुआवजा उनको दिया जाए और प्रभावित लोगों का सही पुनर्वास हो । एक नई पुनर्वास और पुनर्स्थापना नीति बनाई गई है और हम इस पर संसद की मंजूरी लेने जा रहे हैं।

हमने असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा का पएायदा पहुंचाने के लिए संसद में एक  Bill  पेश किया है । हमारी सरकार ने आम आदमी बीमा योजना शुरू की है जिसके तहत देश के देहाती इलाकों में हरेक भूमिहीन परिवार के एक सदस्य का बीमा किया जा रहा है । गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले असंगठित क्षेत्र के कामगारों के परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ पहुंचाने के लिए भी हमने एक Programme  शुरू किया है । इंदिरा गांधी पेंशन योजना के तहत अब गरीबी रेखा से नीचे की जिंदगी गुजारने वाले 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के नागरिकों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है ।

मेरे प्यारे देशवासियों,

पिछले चार सालों में, हमारे निवेश की दर तेजी से बढी है । इससे अर्थव्यवस्था के विकास की दर को बढाने में भी मदद मिली है ।

ये पहली बार ऐसा हुआ है कि चार सालों की मुद्दत में हमारी आर्थिक बढोत्तरी 9 प्रतिशत रही है । सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में भारत की जगह अब सबसे ऊपर के देशों में है ।

लेकिन, हमारे सामने नई चुनौतियां भी हैं । हमारे सामने बढती हुई महंगाई की चुनौती है । मुझे मालूम है कि आप सभी हाल ही में कीमतों में हुई बढोत्तरी से कितने परेशान हैं । इस साल जो  Inflation  हम देख रहे हैं वह बुनियादी तौर पर बाहरी वजहों से है। सारी दुनिया में और ढ़थ्दृडठ्ठथ् ठ्ठध्दत्त्ङ्ढद्यद्म  में खाने-पीने के सामान, ईंधन और दूसरी चीजों के दाम बढे हैं । इन दिनों बहुत से विकासशील देशों में महंगाई बढने क़ी दर भारत से कहीं ज्यादा है ।

हमारी सरकार ने इस बात की पूरी कोशिश की है कि भारत में महंगाई उस हद तक न बढे ज़ितनी कुछ दूसरे देशों में बढ रही है । हमारे अपने समाज के गरीब तबकों को अनाज और ईंधन की बढती क़ीमतों के असर से बचाने के लिए भी कदम उठाए हैं । हमारी सरकार ने मिट्टी के तेल और खाद की कीमत नहीं बढार्ऌ है । हमने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए बिकने वाले गेहूं और चावल की कीमतों में भी बढोत्तरी नहीं की है ।

हम कीमतों को काबू में रखने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं । मैंने सभी मुख्यमंत्रियों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार लाने और उसे मजबूत करने का अनुरोध किया है ताकि रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें आम आदमी को उचित दर पर मिलती रहें । भारतीय रिजर्व बैंक देश में मुद्रा-प्रसार की दर को कम करने की भरपूर कोशिश कर रहा है ताकि महंगाई काबू में आ सके । इन प्रयासों को करते समय हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हम कुछ भी ऐसा न करें जिससे विकास की रपऊतार को नुकसान पहुंचे।

भाइयो और बहनो

आज पिछले चार सालों में हमारी सरकार द्वारा किए गए काम के बारे में बताते हुए मैं आपसे एक वादा और करना चाहता हूं । हमारी सरकार ने बहुत कुछ किया है लेकिन साथ ही साथ मुझे अहसास है कि अब भी बहुत कुछ करना बाकी है । कुपोषण की समस्या हमारे लिए एक कलंक है जिसको हमें हर हाल में दूर करना है । हरेक बच्चे तक अच्छी शिक्षा पहुंचाने और सभी नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए भी हम पूरा प्रयास करते रहेंगे । महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने और उनके आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए की गई अपनी पहलों को हमें और आगे बढाना है । मेरा आपसे वादा है कि देश की तरक्की और खुशहाली के लिए हमारी कोशिशें लगातार जारी रहेंगी । हम हरेक क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मेहनत करते रहेंगे ।

भाइयो और बहनो,

हमें अपनी ऊर्जा की समस्या का मुस्तकिल हल ढूंढने के लिए आधुनिक साइंस और टेक्नोलॉजी का सहारा लेना होगा । हमारे पास तेल और गैस के भंडार कम हैं । हमें ऊर्जा के दूसरे sources  ढूंढने होंगे । मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिक और इंजीनियर ऐसे तरीकों को खोजें जिनसे हम सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो-गैस और ऊर्जा के दूसरे   sources  का बेहतर और ज्यादा इस्तेमाल कर सकें ।

भुखमरी से निजात पाने और सभी के लिए रोजगार मुहैया कराने के लिए हमारी अर्थव्यवस्था हर साल कम से कम 10 फीसदी की दर से बढनी चाहिए । देश की तरक्की के लिए, हमारे उद्योगों और कृषि के विकास के लिए, ऊर्जा, खासकर बिजली एक बहुत बुनियादी जरूरत है । सारी दुनिया में यह समझ बढ रही है कि ऊर्जा सुरक्षा और मौसम में बदलाव की चुनौती से निपटने के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल बहुत जरूरी है । यह एक साफ, पर्यावरण के अनुकूल और कभी खत्म न होने वाला ऊर्जा का  source  है।

भारत के पास विश्व स्तर के परमाणु वैज्ञानिक और टेक्नोलॉजिस्ट हैं । उन्होंने मुश्किलों के बावजूद परमाणु ऊर्जा का विकास किया है । लेकिन कुछ ऐसी कठिनाइयां हैं जिनकी वजह से हमारे ऊर्जा कार्यक्रम में कुछ रुकावट आ रही है । हमारे यूरेनियम का उत्पादन हमारी जरूरतों के लिए काफी नहीं है । हमारा यूरेनियम उतना अच्छा भी नहीं है जितना दूसरे उत्पादकों का है । कई मुल्कों ने भारत के साथ परमाणु साजो-सामान और परमाणु टेक्नोलॉजी के व्यापार पर रोक भी लगा रखी है । इन सभी वजहों से हमारे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पर कुछ बुरा असर पड़ रहा है ।

जिस परमाणु करार के लिए हम दुनिया के बड़े-बड़े देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं उससे भारत पर लगी पाबंदियां खत्म होंगी । दोहरे इस्तेमल में आने वाली   technology और साजो-सामान में व्यापार के नए मौके हमारे सामने आएंगे और हमारे देश के industrialization  में और तेजी आएगी । इस करार से हमें अपने किसानों, दस्तकारों, व्यापार में लगे लोगों और उद्योगों की बिजली की जरूरतों को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी ।

भाइयो और बहनो,

चार साल पहले मैंने आपसे कहा था कि अच्छा शासन मुहैया कराना हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है । हमने सरकार को पारदर्शी, कुशल और जवाबदेह बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं । सूचना का अधिकार कानून एक ऐसा ही बड़ा कदम था । हमने सरकार के काम-काज को सुधारने ओर उसमें नए तरीके अपनाने के लिए भी पहल की है । राष्ट्रीय ई-गवर्नेस कार्यक्रम से अब सभी नागरिकों के लिए सरकार की तमाम एजेंसियों के साथ संपर्क करना आसान हो जाएगा ।

हमने छठे Pay Commission  की रिपोर्ट की जांच पूरी कर ली है । सरकारी कर्मचारियों की जितनी तनख्वाहें बढाने की सिफारिश कमीशन ने की थी, हमने उससे भी ज्यादा तनख्वाहें बढार्ऌ हैं । ऐसा करते वक्त हमने अपनी सेनओं और para-military forces  और हमारी civil services   के नीचे के स्तर पर काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के हितों और भलाई का खास ख्याल रखा है । यह सरकार को कार्य कुशल बनाने के लिए एक और कदम है ।

हमें सरकार के हर स्तर पर और सुधार लाने की जरूरत है । हम सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पतालों और दूसरी सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाना चाहते हैं । शासन को decentralize  करने और उसमें सुधार लाने में पंचायती राज संस्थाओं की अहम भूमिका होगी । हमें उनके प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार बढाने होंगे । मेरी राज्य सरकारों से अपील है कि सरकार के काम को बेहतर बनाने के लिए वह हर मुमकिन कोशिश करें और केन्द्र सरकार की पहलों में हमारी मदद करें ।

मेरे प्यारे देशवासियो,

दहशतगर्दी, उग्रवाद, सांप्रदायिकता और कट्टरता हमारे देश की एकता और अखण्डता के लिए बड़ी चुनौतियां बनकर उभरे हैं । बंगलौर, अहमदाबाद, जयपुर और देश के दूसरे हिस्सों में हाल ही में जो आतंकवादी हमले हुए हैं उनसे सारे देश को परेशानी है । इस तरह से वहशियाना हमलों की निन्दा करने के लिए मरे पास शब्द नहीं है । दहशतगर्दी के शिकार हुए लोगों का दुख और दर्द मैं समझ सकता हूं । ऐसे परिवारों को राहत पहुंचाने और उनके  Rehabilitation  के लिए भारत सरकार ठोस कदम उठाएगी ।

हमारे सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां कठिन हालात में इस समस्या से जिस लगन के साथ जूझ रहे हैं इसके लिए मैं उनकी सराहना करता हूं । लेकिन मैं मानता हूं कि दहशतगर्दी से निपटने के लिए हमें  Police और Intelligence Agencies  को और ज्यादा मजबूत करना होगा ।

हम अपनी Intelligence एजेंसियों, पुलिस और सुरक्षा बलों के कामकाज का जायजा लेंगे और उन्हें इस चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे। जो भी संसाधन जरूरी होंगे उन्हें मुहैया कराया जाएगा । जितनी   manpower  की जरूरत होगी, हम मुहैया करायेंगे । इस समस्या से निपटने का हमारा इरादा पक्का है ।

मैं राज्य सरकारों, सभी राजनैतिक दलों, civil society groups  और सामाजिक और धार्मिक रहनुमाओं से गुजारिश करता हूं कि वे दहशतगर्दी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए हमें अपना सहयोग दें ।

भाइयो और बहनो,

मुझे पुरा विश्वास है कि हम इन चुनौतियों का बखूबी मुकाबला कर पाएंगे । लेकिन इसके लिए कड़ी मेहनत की और एकजुट होकर आगे बढने क़ी जरूरत है । इसके लिए

सहमति की राजनीति चाहिए न कि टकराव की राजनीति। हमें अपने मतभेद दूर करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाने की जरूरत है।

एक बंटा हुआ मुल्क सांप्रदायिकता, आतंकवाद आम extremism जैसी चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर सकता है।

एक बंटा हुआ समाज पर्यावरण ओर इकॉलॉजी के नुकसान की चुनौती का सामना नहीं कर सकता है।

यदि हम लोग बंटे रहेंगे तो देश में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक तबकों का आर्थिक और सामाजिक विकास मुमकिन नहीं हो पाएगा।

भाइयों और बहनों,

मैंने कई मौकों पर कहा है कि मुझे विकास में इलाकाई असंतुलन की समस्या की बहुत चिंता है। हमारे देश के कुछ हिस्से दूसरे हिस्सों की बनिस्वत ज्यादा तरक्की कर रहे हैं यह खुशी की बात है लेकिन कुछ पीछे रह गए हैं। यह असंतुलन काफी वक्त से चला आ रहा है। लेकिन हमें यह देखना होगा कि पिछड़े हुए राज्य जल्दी से आगे बढ पायें ।

हमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। हमारी सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर में सरकारी निवेश काफी बढाया है। हम इन इलाकों में तरक्की और रोजगार के लिए बुनियादी ढांचे और शिक्षा में ज्यादा रकम लगा रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर और  North-East में विकास के लिए अमन-चैन कायम करना बहुत जरूरी है। इन इलाकों में शांति कायम करने के लिए हमने बहुत सी पहलें की हैं। इस सिलसिले में हमारी कोशिश आगे भी जारी रहेगी।

भाइयों और बहनों

जम्मू और कश्मीर रियासत में हाल ही में हुई वारदातें चिन्ता का विषय हैं। मुसीबत की इस घड़ी में बंटवारे की राजनीति हमें कहीं का नहीं रखेगी। मैं सभी राजनैतिक पार्टियों से अपील करता हूं कि वे जम्मू-कश्मीर के भावी हितों का खास ख्याल रखें और रियासत के तमाम मसलों का स्थायी हल तलाश करने के लिए मिल-जुल कर काम करें।

श्री अमरनाथ का पवित्र धाम तमाम भारतवासियों को एक साथ मिलकर आगे बढने क़ी प्रेरणा देता है। यह धाम हमारी  secular  परंपरा की एक बहुत ही बेहतरीन मिसाल है जहां बरसों से हिन्दू यात्रियों की देखभाल उनके मुसलमान भाई करते रहे हैं। इस पवित्र स्थान से जुड़े मुद्दे, खासकर यात्रियों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रबंध, आपसी सद्भावना और शांतिपूर्ण वातावरण पैदा करने से ही हल हो सकते हैं। धर्म के नाम पर लोगों को बांटने से ये मसले और भी पेचीदा हो सकते हैं और उससे देश की एकता और अखण्डता भी खतरे में पड़ सकती है। मैं जम्मू और कश्मीर की जनता से अपील करता हूं कि राज्य में अमन और शांति बहाल करने में हमारा साथ दें। मेरा यह यकीन है कि हर एक मसले का हल बातचीत से और शांतिपूर्ण तरीके अपनाकर ही हो सकता है।

भाइयों और बहनों,

हमारे प्राचीन हिमालय के पर्यावरण को खतरा है। अगर हिमालय के ग्लेशियर पिघल निकले तो हमारी पवित्र नदियों में पानी कम हो जाएगा। मौसम में बदलाव का बुरा असर हमारी अर्थव्यवस्था पर भी कई तरह से पड़ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारे कुछ समुद्र के किनारे वाले इलाके डूब भी सकते हैं। बारिश के मौसम की कैफियत बदल सकती है। इन खतरों से निपटने के लिए कारगर उपायों की जरूरत है। इस  सिलसिले में सरकार द्वारा सही नीतियां बनाने के लिए एक राष्ट्रीय सहमति की भी जरूरत है।

हमारी सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर एक राष्ट्रीय कार्यनीति बनाई है। जिसमें बताया गया है कि हम किस तरह के काम करने और रहने के तरीकों को अपनाएं और अपने कुदरती संसाधनों के साथ किस तरह से पेश आएं, ताकि हमारा कार्बन एमिशन सिमित रह सके और पर्यावरण सुरक्षित रहे।

प्यारे देशवासियों,

  South Asia क्षेत्र में हमारा मकसद एक शांतिपूर्ण, स्थिर और खुशहाल पड़ोस का है। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखते हुए अपने देश और क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास की रपऊतार तेज करन  ाहते हैं। हमारी विदेश-नीति इन्हीं उसूलों पर आधारित रही है। हम अपने सभी पड़ोसियों का भला चाहते हैं। हम अपने पड़ोस, खासकर भूटान, नेपाल और पाकिस्तान में लोकतांत्रिक ताकतों के मजबूत होने का स्वागत करते हैं।

काबुल स्थित भारतीय दूतावास में हाल ही में हुए बम धमाकों से हमारी अपने पड़ोसी मुल्क के साथ रिश्ते सामान्य करने की कोशिशों पर कुछ बुरा असर पड़ा है। हमारे क्षेत्र में अमन कायम करने के हमारे प्रयास भी इस से प्रभावित हुए हैं। मैंने निजी तौर पर अपनी निराशा और चिंता पाकिस्तान सरकार को बतला दी है।

दहशतगर्दी के मसले का हल निकाले बगैर, दोनों देशों के लोगों की अमन-चैन से रहने की हमारी ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकेगी। शांति के लिए जो कदम हम उठाना चाहते हैं, वह भी नहीं उठा पाएंगे। दहशतगर्द और उनकी मदद करने वाले लोग भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के अवाम के, दोनों के बीच बढ रही दोस्ती के, और शांति प्रक्रिया के दुश्मन हैं। हमें उनको शिकस्त देनी ही होगी।

भाइयों और बहनों,

पिछले साल में हमने दुनिया की बड़ी ताकतों, दक्षिण अमरीकी देशों, अरब देशों और अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंध और मजबूत किए हैं। अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में हमारा प्रयास जारी रहेगा।

आज दुनिया हमें सम्मान के साथ एक ऐसे देश के रूप में देखती है जो तेजी से तरक्की कर रहा है। तमाम देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग हर तरह के कारोबार में लगे हैं और उनकी सलाहियत का लोहा अब दुनिया भर में माना जा रहा है। हमें इनकी कामयाबियों से प्रेरणा मिलती है। दुनिया को भारत से ये उम्मीद है कि वह दुनिया के मुल्कों में अपनी सही जगह हासिल करेगा। हमारे लिए यह एक बहुत ही बेहतरीन मौका है।

हम दुनिया के मुल्कों में अपनी सही जगह फिर से पाने के लिए बहुत तेजी से आगे बढ रहे हैं। लेकिन इस मुकाम को पाने के लिए हमें अभी काफी मेहनत करनी होगी। हमें उन सभी चुनौतियों का मुकाबला करना होगा जिनका मैंने अभी जिक्र किया है। हमें कोशिश करनी होगी कि विभिन्न राजनैतिक पार्टियां, हमारे समाज के सभी तबके और सभी समुदाय, मिल-जुल कर और एकजुट होकर काम करें।

हमें अपने कुदरती और वित्तीय संसाधनों का सूझ-बूझ के साथ इस्तेमाल करना होगा। आने वाली पीढियाें के प्रति हमारी जवाबदेही है। हम केवल अपने लिए ही नहीं सोच सकते। हम सिर्फ एक दिन से दूसरे दिन, एक साल से दूसरे साल या एक चुनाव से अगले चुनाव तक अपनी सोच के दायरे को सीमित नहीं रख सकते। हमें अपने बच्चों, उनके बच्चों और आने वाली पीढियाें की भलाई और खुशहाली के बारे में भी सोचना होगा।

भाइयों और बहनों,

अगर हम सब एक देश के रूप में मिल जुल कर काम करने का प्रण करें, मेहनत करें और अपने सभी लोगों की भलाई का ख्याल रखें, तो ऐसा कोई भी काम नहीं है जिसे हम नहीं कर सकते हैं।

आइए, आज हम तय करें कि हम एक रहेंगे, और देश की एकता और अखंडता को हर तरह से मजबूत करने और अपने सपनों का एक नया भारत बनाने के अपने इरादे पर दृढता से, और हमेशा कायम रहेंगे।

प्यारे बच्चों अब आप मेरे साथ मिलकर तीन बार बोलेंगे -

जय हिन्द ;

जय हिन्द ;

जय हिन्द ।

धन्यवाद ।

 

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