सोमवार, 4 अगस्त 2008

म.प्र. की समृध्द कला-संस्कृति के विस्तार का पूरा प्रयास होगा

म.प्र. की समृध्द कला-संस्कृति के विस्तार का पूरा प्रयास होगा

गुवाहाटी में आयोजित मध्यप्रदेश उत्सव के शुभारंभ समारोह में संस्कृति मंत्री श्री शर्मा

ध्यप्रदेश की कला एवं संस्कृति अत्यंत समृध्द है। इसकी मविशेषताओं का अन्य प्रदेशों को भी दिग्दर्शन कराने का प्रयास किया जा रहा है। आसाम में आयोजित मध्यप्रदेश उत्सव इसी श्रृंखला की एक कड़ी है। संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने यह बात गत दिवस आसाम की राजधानी गुवाहाटी में आयोजित दो दिवसीय मध्यप्रदेश उत्सव के उद्धाटन समारोह के दौरान कही। प्रदेश के संस्कृति संचालनालय, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय तथा श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र गुवाहाटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह के अवसर पर आसाम के पर्यटन मंत्री श्री रकीबुल हसन विशेष रूप से मौजूद थेश्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने आगे कहा कि विभिन्न प्रदेशों की संस्कृतियों का आदान-प्रदान हो यही मध्यप्रदेश शासन की मंशा है। अभी तक महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और बिहार में मध्यप्रदेश उत्सव आयोजित किये जा चुके हैं। यह क्रम अन्य प्रदेशों में भी जारी रहेगा। उन्होंने आसाम को प्राकृतिक संपदा से भरपूर प्रदेश बताते हुए कहा कि माँ कामाख्या देवी की इस पवित्र धरती में आध्यात्म का भी समावेश है। उन्होंने इस अवसर पर आसाम के कलाकारों को मध्यप्रदेश में अपनी कला के प्रदर्शन के लिये आमंत्रित किया।

आसाम के पर्यटन मंत्री श्री रकीबुल हसन ने कहा कि मध्यप्रदेश का राष्ट्रीय संस्कृति को समृध्द बनाने में बड़ा योगदान है। ऐसे आयोजनों से आपसी संबंध और मजबूत होते हैं। उन्होंने कहा कि वे भी आसाम की संस्कृति को अन्य प्रदेशों में पहुंचाने के इच्छुक हैं। इसी उद्देश्य से भोपाल में आसाम फेस्टिवल आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है।

अपने स्वागत भाषण में संस्कृति संचालक श्री पवन श्रीवास्तव ने बताया कि संचालनालय द्वारा पिछले वर्ष से इस प्रकार के उत्सवों की परम्परा शुरू की गई थी। इस वर्ष का यह पहला आयोजन है। मध्यप्रदेश को पूरी भारतीय संस्कृति का समागम निरूपित करते हुए श्री श्रीवास्तव ने बताया कि हम अपनी इस विरासत को सहेजने और संपुष्ट करने के साथ ही इसकी सुवास दूर-दूर तक फैलाने के लिये प्रयासरत हैं। अंत में राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के क्यूरेटर श्री अशोक तिवारी ने आभार व्यक्त किया।

आरंभ में संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा एवं श्री रकीबुल हसन तथा अन्य अतिथियों ने द्वीप प्रज्जवलित कर उत्सव की शुरूआत की। श्री हसन ने अतिथियों का पारम्परिक ढंग से स्वागत किया। इसके तहत उन्हें असमिया गमछा भी पहनाया गया। मध्यप्रदेश की ओर से भी मेजबानों को शाल एवं श्रीफल तथा प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस दौरान सभी अतिथियों को मध्यप्रदेश का सांस्कृतिक कैलेण्डर भी भेंट किया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश की आयुक्त पुरातत्व एवं संग्रहालय श्रीमती स्मिता गाटे चंद्रा तथा आसाम के संस्कृति सचिव श्री बी.के. दास भी मौजूद थे।

दो दिवसीय इस उत्सव के दौरान मध्यप्रदेश की यशोगाथा का बखान करते हुए गीत की प्रस्तुति 'जय जय मध्यप्रदेश' विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। इसके अलावा बधाई, नौराता, मटकी, गणगौर, राई, मार्शल आर्ट शैली में अखाड़े के प्रदर्शन के साथ ही नर्मदा पर केन्द्रित कथक शैली में नृत्य तथा भारतीय शास्त्रीय शैली का आर्केस्ट्रा मैहर बैंड समारोह में विशेष रूप से सराहे गये। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के पुरावैभव पर केन्द्रित एक प्रदर्शनी भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी रही।

 

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