रविवार, 3 अगस्त 2008

आर्थिक और सामाजिक विषमताओं के कारण ही डकैती और नक्सलवाद जैसी समस्यायें पैदा होती हैं - जस्टिस श्री धर्माधिकारी

आर्थिक और सामाजिक विषमताओं के कारण ही डकैती और नक्सलवाद जैसी समस्यायें पैदा होती हैं - जस्टिस श्री धर्माधिकारी

 

''डकैती प्रभावित क्षेत्रों में मानव अधिकारों के संरक्षण '' विषय पर कार्यशाला आयोजित

ग्वालियर 1 अगस्त 08 । म. प्र. मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस श्री डी. एम. धर्माधिकारी ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक विषमताओ और नैसर्गिक न्याय प्राप्त करने मे होने वाली कठिनाइओं के कारण ही समाज में डकैती, नक्सलवाद और आतंकवाद जैसी समस्यायें पैदा होती हैं। श्री धर्माधिकारी ने यह बात आज यहां ''डकैती प्रभावित क्षेत्रों में मानव अधिकारों के संरक्षण '' विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही । मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग और ग्वालियर पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यशाला में आयोग के सदस्य द्वय जस्टिस श्री नारायण सिंह 'आजाद' और श्री विजय शुक्ल , प्रमुख सचिव डा. ए एन अस्थाना, ग्वालियर और चंबल रेंज के आई जी द्वय श्री डी एस सेंगर और श्री अरविंद कुमार, डीआईजी श्री आदर्श कटियार, कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक श्री व्ही के सूर्यवंशी के अलावा ग्वालियर जिले के विभिन्न थानों से आये डीएसपी और निरीक्षक स्तर के अधिकारी उपस्थित थे ।

       श्री धर्माधिकारी ने कहा कि पुलिस कर्मियों को मानव अधिकार आयोग को अपना प्रतिद्वंदी मानने के बजाय अपना सहयोगी मानना चाहिये । यह बात सही है कि आयोग को  मिलने वाली शिकायतों में 50 प्रतिशत से अधिक शिकायतें पुलिस कर्मियों के खिलाफ होती हैं, लेकिन इनमें से 80 प्रतिशत शिकायतें प्रारंभिक जांच पड़ताल के बाद ही खारिज हो जाती हैं। केवल गंभीर त्रुटियां करने वाले पुलिस कर्मियों के विरूध्द ही अनुशंसायें की जाती हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में तो अधिकांश डकैत गिरोहों का सफाया हो चुका है लेकिन यह समस्या फिर से उत्पन्न न हो इसकी ठोस रणनीति अभी से पुलिस को बना लेनी चाहिये । श्री धर्माधिकारी ने कहा कि डकैती प्रभावित क्षेत्रों में जिन लोगों के मानव अधिकारों का हनन होता है , उनकी मदद के लिये एनजीओ, पुलिस कर्मियों तथा संवेदनशील प्रशासन को समन्वित प्रयास करने चाहिये । श्री धर्माधिकारी ने कहा कि दोषी व्यक्ति को सजा मिले इसके लिये यह जरूरी है कि अपराधों की विवेचना अचूक ढंग से की जाये तथा उनकी गुणवत्ता का स्तर अच्छा हो । श्री धर्माधिकारी ने कहा कि पुलिस अपनी व्यावसायिक कठिनाइयों को आयोग के समक्ष खुलासा करे । आयोग, पुलिस की कठिनाईयों को शासन से संवाद करके उनके निराकरण के प्रयास करेगा । उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था, व्हीआईपी डयूटी और अपराधों की विवेचना के तीन अलग-अलग विंग होने चाहिये । केन्द्र सरकार के स्तर पर इस मुद्दे पर विचार चल रहा है । श्री धर्माधिकारी ने कहा कि पुलिस के विरूध्द होने वाली झूठी शिकायतों की जानकारी आयोग को दी जा सकती है । आयोग, इसमें पुलिस कर्मियों की मदद करेगा। श्री धर्माधिकारी ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन पर विचार चल रहा है। इसमें विक्टिमोलॉजी विषय को भी शामिल करने के सुझाव दिये गये हैं ।

       कार्यशाला में जस्टिस श्री नारायण सिंह 'आजाद' ने कहा कि पुलिस आम आदमी के जीवन और प्रतिष्ठा की रक्षा में उनकी मदद करे । महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की रोकथाम के लिये पुलिस महानिदेशक ने वर्ष 2004 में जो मार्गदर्शिका जारी की है, उसका अनुसरण किया जाये । आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लोगों की कठिनाईयों को पूरी संवेदनशीलता के साथ सुन कर उन पर कार्यवाही करें । श्री आजाद ने कहा कि कालांतर में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं के कारण उनके द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्यायें की जा रही हैं । इन आत्म हत्याओं की विवेचना भी निष्पक्ष और निर्भीक तरीके से करें । इन्हें एक साधारण घटना मानकर दाखिल दफ्तर न करें । श्री आजाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के हाल के एक निर्णय में स्पष्ट किया गया है कि महिला उत्पीड़न के मामले में यदि एक बयान भी पीड़िता के पक्ष में जाता है, तो आरोपी को दंडित किया जाये ।

       श्री विजय शुक्ल ने कहा कि पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज न करने, घटनाओं को कमतर करके आंकने, विवेचना ठीक ढंग से न करने और दहेज प्रताड़ना मृत्यु के प्रकरणों पक्षपात की आम शिकायतें होती हैं । पुलिस यदि ऐसे मामलों को भी गंभीरता से नहीं लेगी तो समाज में उसकी साख बरकरार नहीं रह सकती । डकैतों की फर्जी मुठभेड़ की शिकायतें भी मिलती हैं । ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में डकैती समस्या के उद्भव की जड़ में भूमि विवाद रहे हैं । पुलिस  प्रशासन को इस बात पर ध्यान देना होगा कि किस तरीके से अब इस समस्या को फिर से उभरने न दिया । उन्होंने कहा कि वर्ष 1972 में एक मुश्त 22 गिरोहों का समर्पण, पुलिस की बहुत बड़ी सफलता थी । उस समय पुलिस के पास संसाधन भी कम थे, लेकिन पुलिस का मनोबल ऊंचा होने के कारण वह ऐतिहासिक उपलब्धि मिल सकी थी ।   श्री शुक्ल ने पुलिस के वरिष्ठ  अधिकारियों को सुपरवीजन प्रणाली को फिर से शुरू करने का सुझाव दिया ।

       चंबल रेज के आईजी श्री अरविंद कुमार ने कहा कि आयोग का पुलिस के प्रति सकारात्मक रूख स्वागत योग्य है । उन्होंने स्वीकार किया पुलिस कि वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों के कार्यों का सुपरवीजन करना कम कर दिया है । उन्होंने कहा कि चंबल संभाग में 150 पुलिस कर्मियों के विरूध्द आपराधिक मामले चल रहे हैं । श्री अरविंद कुमार ने कहा कि पुलिस, न्यायिक सेवाओं की सहयोगी संस्था है, इसलिये मानव अधिकार आयोग और न्याय पालिका को भी पुलिस सुधार के क्षेत्र में मदद करना चाहिये । श्री अरविंद कुमार ने आश्वस्त किया कि चंबल सभाग में मानव अधिकारों के संरक्षण की ओर विशेष ध्यान रखा जायेगा । उन्होंने इस कार्यशाला के ग्वालियर में आयोजन के लिये आयोग के पदाधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर एडीशनल एसपी श्री मनोहर वर्मा, पीटीएस तिघरा के एसपी श्री चेतराम सिह भदौरिया और डीएसपी श्री राकेश सिन्हा ने भी विचार व्यक्त किये ।

 

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