तम्बाकू के दुष्परिणामों से समाज को सचेत करने मीडिया आगे आये- डॉ. नैयर
तम्बाकू आपदा नियंत्रण पर मीडिया कार्यशाला आयोजित
ग्वालियर, 26 सितम्बर 09। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख लोगों की मृत्यु तम्बाकू सेवन से होने वाली बीमारियो से होती है, जिसमें करीब 9 लाख भारतीय होते हैं । पूरी दुनिया में मुँह के कैंसर रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है। इस समस्या से निजात पाने के लिये समाज का जागरूक होना तथा कानूनी प्रावधानों का त्वरित क्रियान्वयन किया जाना जरूरी है। तम्बाकू के भयावह दुष्परिणामों से समाज को सचेत करने का काम मीडिया सबसे बखूबी ढंग से कर सकती है। अत: इस दिशा में प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया से जुड़े लोगों को आगे आकर पहल करने की जरूरत है। यह बात शनिवार को म.प्र. वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसियेशन इन्दौर तथा वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसियेशन नई दिल्ली द्वारा होटल सेन्ट्रल पार्क में तम्बाकू आपदा नियंत्रण विषय पर आयोजित मीडिया वर्कशॉप में जाने माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.एस.नैयर ने कही।
मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. नैयर ने कहा तम्बाकू का प्रत्यक्ष सेवन नहीं करने वाले लोग भी तम्बाकू सेवन के दुष्प्रभावों की चपेट में हैं। ऑंकडे बताते हैं कि पूरी दुनिया में 70 करोड़ बच्चे तम्बाकू से दूषित हवा में सांस लेते हैं। इस दिशा में यदि शीघ्रातिशीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गये तो वर्ष 2030 तक सम्पूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष एक करोड़ लोगों की मृत्यु तम्बाकू सेवन के कारण होगी।
इसी क्रम में उप संचालक जनसंपर्क श्री जी.एस.मौर्य ने कहा कि तम्बाकू उत्पादों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों की जानकारी आम आदमी को दिया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा जनजागरूकता का कार्य करने में स्वयंसेवी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। म.प्र. वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसियेशन इन्दौर ने इस दिशा में सार्थक पहल की है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए म.प्र. वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसियेशन इन्दौर के मुख्य कार्यकारी निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि भारत सरकार ने तम्बाकू के बढ़ते उपयोग को रोकने के लिये 18 मई 2003 को तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम 2003 ''सिगरेट और अन्य तम्बाकू (विज्ञापन का प्रतिशेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम 2003 '' पारित किया है। यह अधिनियम उन सभी उत्पादों पर लागू होगा, जिनमें किसी भी रूप में तम्बाकू मौजूद है। इसी अधिनियम के सेक्शन 21 तथा 24 में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने तथा किसी अवयस्क व्यक्ति के द्वारा तम्बाकू उत्पादन बेचने पर दण्डस्वरूप 200 रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस अधिनियम के क्रियान्वयन में सामाजिक जागरूकता की प्रथम आवश्यकता है और इस कार्य में मीडिया के सहयोग की जरूरत है।
इस दिशा में किए जा रहे स्वैच्छिक प्रयासों की चर्चा करते हुए संस्कृति संस्था मुरैना के निदेशक देवेन्द्र तोमर ने कहा कि तम्बाकू सेवन के कुप्रभावों से म.प्र. भी अछूता नहीं है तम्बाकू में अमोनिया, कार्बन मोनो ऑकसइड तथा' आर्सेनिक जैसे तत्व पाए जाते हैं जो प्राणघातक होते हैं। ऑंकड़े बताते हैं कि म.प्र. में 15 से 49 आयु वर्ग के करीब 70 प्रतिशत पुरूष तथा 16 प्रतिशत महिलाएँ किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करते हैं साथ ही भारत में कुल बीड़ी उत्पादन का 17 प्रतिशत उत्पादन म प्र. में होता है जो, सबसे अधिक है। ऐसी परिस्थिति में नि:संदेह हमारे सामने एक गंभीर चुनौती है, जिसका सामना सरकार समाज, मीडिया और स्वयसेवी संस्थाआं को मिलकर करना होगा। जहां तक स्वैच्छिक रणनीति का सवाल है हम अनुरोध से लेकर आन्दोलन तक हर संभव प्रयास करते हुए समस्या का समाधान खोजेंगे।
कार्यशाला के प्रारंभ में एम.पी.व्ही.एच.ए. के कार्यक्रम अधिकारी श्री बकुल शर्मा ने कार्यशाला के उद्देश्यों को रखांकित करते हुए कहा कि इस विषय में मीडिया की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि मीडिया जहां एक ओर समाज को जागरूक करने का कर्य करता है वहीं दूसरी ओर सरकार को दिशा सूचक सुझाव देने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाता है। सार संक्षेप में कहा जाए तो मीडिया एक ऐसा सेतु है जो सरकार और समाज को समस्या से समाधान की ओर ले जाता है।
कार्यशाला में ग्वालियर चंबल संभाग के प्रमुख पत्रकार स्वयसेवी संस्थाओं के चुनिंदा प्रर्तिनिधि, एम.पी.व्ही.एच.ए.इन्दौर के प्रतिनिधि तथा विषय विशेषज्ञ मौजूद थे। वर्कशाप का संचालन देवेन्द्र तोमर ने किया तथा आभार प्रदर्शन वकुल शर्मा ने किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें