सोमवार, 11 जनवरी 2010

ज्ञान, भक्ति व कर्म मार्ग ईश्वर प्राप्ति के साधन- श्री चौहान , आध्यात्मिक एवं संत समागम में अचानक पहुँचे मुख्यमंत्री

ज्ञान, भक्ति व कर्म मार्ग ईश्वर प्राप्ति के साधन- श्री चौहान , आध्यात्मिक एवं संत समागम में अचानक पहुँचे मुख्यमंत्री

ग्वालियर 10 जनवरी 10। जी वाय एम सी. मैदान में चल रहे आध्यात्मिक एवं संत समागम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य है। ज्ञान मार्ग, भक्ति मार्ग व कर्म मार्ग के रूप में ईश्वर प्राप्ति के तीन रास्ते हैं। इनमें से कोई एक मार्ग पर चलकर ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है।

      आध्यात्मिक अभिरूचि श्री शिवराज सिंह चौहान को जी वाय एम सी. मैदान ग्वालियर में चल रहे आध्यात्मिक समागम में खींच लाई थी। दरअसल मुख्यमंत्री आज यहां ग्वालियर में नवगठित नगर निगम परिषद के शपथ ग्रहण समारोह व अन्य कार्यक्रमों में शिरकत करने  पधारे थे। ग्वालियर आगमन पर जब श्री चौहान को यह पता चला कि स्थानीय जी वाय एम सी. मैदान में महामण्डलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज की मौजूदगी में विशाल आध्यात्मिक सन्त समागम चल रहा है, तो वे बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के इस संत समागम में पहुँच गये। आध्यात्मिक समागम में पहुँचकर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने महामण्डलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। स्वामी जी ने मुख्यमंत्री के संत प्रेम व आध्यात्मिक अभिरूचि की सराहना की और उनसे समागम में मौजूदा भक्तों को संबोधित करने को कहा।

      मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने उद्बोधन में ज्ञान मार्ग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जगदगुरू शंकराचार्य द्वारा ईश्वर प्राप्ति के लिये अपनाया गया मार्ग ' ज्ञान मार्ग' का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने शंकराचार्य के विवर्तवाद के बारे में सरल शब्दों में विस्तार से बताया। भक्ति मार्ग पर बालते हुए उन्होंने कृष्ण प्रेम में दीवानी 'मीरा' व राम भक्त हनुमान का उदाहरण दिया। 'कर्म मार्ग' पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य मात्र को कर्मयोगी बनकर ईश्वर प्राप्ति के प्रयास करने चाहिये। उन्होंने कहा कि किसान पूरे मनोयोग से खेती करे, शिक्षक निष्ठापूर्वक विद्यार्थियों को शिक्षा दे और चिकित्सक प्राणपण से अपने मरीज को स्वस्थ करने का उद्यम  करे। इसी तरह नेता घपले-घोटाले किये बिना जनता की सेवा करता है तो उसे ईश्वर की प्राप्ति अवश्य होगी।

      मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाराज श्री की आज्ञा का पालन करते हुए अपना उद्बोधन देवी-देवताओं के जयकारों के साथ प्रारंभ किया। उन्होंने स्वामी परमानंद गिरि महाराज की स्तुति की तथा कहा कि महामण्डलेश्वर श्री महाराज ने समाज को सच्चा ज्ञान देने के लिये मानव शरीर धारण किया है। महामण्डलेश्वर जी द्वारा मोक्ष के लिये जो मार्ग बताया जा रहा है वह भक्तों व संतों के लिये भी अनुकरणीय है।

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