शनिवार, 24 मई 2008

समन्वित आजीविका कार्यक्रम : गरीबों को आमदनी का स्थाई जरिया देने की पहल

समन्वित आजीविका कार्यक्रम : गरीबों को आमदनी का स्थाई जरिया देने की पहल

ग्वालियर 23 मई 08 । स्वरोजगार कार्यक्रम ऐसे होने चाहिये जिनमें हितग्राहियों की क्षमता एवं रूचि का ध्यान रखा गया हो, उनके द्वारा उत्पादित सामग्री की गुणवत्ता बाजार की मांग के अनुरूप हो, जिससे उत्पादित सामग्री बाजार में आसानी से बिक जाये और हितग्राहियों की आमदनी बढ़े । इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार ने समन्वित आजीविका कार्यक्रम लागू किया है । ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विभागों के माध्यम से संचालित विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं को समग्र रूप में एक ही छत के नीचे क्रियान्वयन के उद्देश्य से यह कार्यक्रम सरकार का एक दूरगामी कदम है । गरीब परिवारों को रोजगार का स्थाई जरिया मुहैया कराना कार्यक्रम का लक्ष्य है ।

समन्वित आजीविका कार्यक्रम का संचालन समुदाय की मांग, हितग्राहियों की क्षमता, रूचि-रूझान, बाजार की मांग, क्षेत्र में उपलब्ध संसाधन और जनभागीदारी के आधार पर किया जायेगा । इसमें शासन की भूमिका सहयोगात्मक रहेगी । कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सहभागी समीक्षा के माध्यम से ग्राम और उसकी अर्थ व्यवस्था की समझ विकसित की जायेगी । बाजार का सर्वेक्षण कर मांग के अनुसार ऐसी विभिन्न गतिविधियों को चिन्हांकित किया जायेगा, जिनकी संबंधित क्षेत्र में सफलता की संभावनायें हैं । निजी और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों से उत्पाद, श्रमिकों की मांग और गुणवत्ता निर्धारण और आकलन किया जायेगा । गतिविधियों में सहयोग देने के लिये सेक्टर सपोर्ट संस्था, निजी और सार्वजनिक प्रतिष्ठान आदि से अनुबंध कर निष्पादन किया जायेगा । सहभागी समीक्षा के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों के निर्धारण और क्रियान्वयन के लिये उपलब्ध मानव संसाधन का आकलन कर समुदाय सदस्यों, समूहों का चिन्हांकन कर ग्राम आजीविका योजना बनाई जायेगी । ग्राम आजीविका योजना के आधार पर संकुल स्तरीय आजीविका योजना और जिला स्तरीय आजीविका योजना बनाई जायेगी । जिला आजीविका फोरम की स्वीकृति पश्चात कलेक्टर और मिशन लीडर द्वारा विभिन्न गतिविधियों-कार्यों के लिये योजनाओं के वार्षिक बजट का निर्धारण किया जायेगा ।

स्व-सहायता संवर्धन नीति के अंतर्गत एक जैसी गतिविधि क्रियान्वित करने वाले परिवार गतिविधि आधारित स्व-सहायता समूहों के रूप में संगठित होंगे । समहित समूहों को भी स्व-सहायता समूहों के समकक्ष मानकर इसका लाभ पहुंचाया जायेगा । इन समूहों के परिसंघों का गठन प्रोडयूसर कंपनी अधिनियम 1956 अथवा मैक्स के अंतर्गत किया जायेगा । इन परिसंघों के माध्यम से स्व-सहायता समूह संगठित होकर समग्र रूप से बाजार, तकनीकी ज्ञान, वित्त आदि लिंकेज करेंगे और बाजार की मांग के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन कर सकेंगे । स्व-सहायता समूहों से गतिविधि आधारित फेडरेशन के गठन, संचालन, हैण्डहोल्ंडिग सपोर्ट, कार्यशील पूंजी, ब्रांडिंग सुविधा, अधो संरचना विकास, करों और शुल्कों में छूट, राज्य स्तरीय परिसंघों से मान्यता, बैंक ऋण पर सब्सिडी आदि के माध्यम से स्व-सहायता समूहों को सशक्त बनाने की प्रभावी पहल शासन ने की है । मध्यप्रदेश शासन द्वारा पहली बार इस दिशा में स्व-सहायता समूह संवर्धन नीति लागू की है ।

आजीविका केन्द्र एवं मित्र

प्रदेश और प्रदेश के बाहर और उद्योगों की मांग के अनुरूप युवाओं को प्रशिक्षित किया जाकर सुनिश्चित रोजगार अथवा स्व-रोजगार से जोड़े जाने के लिये प्रदेश में रोजगोन्मुखी प्रशिक्षण नीति 2007 भी लागू की गई है । इसके अंतर्गत ग्रामीण कुशल और अकुशल, शिक्षित और अशिक्षित शिल्पियों और कामगारों के पंजीयन, परिचय पत्र, प्रशिक्षण, प्रमाणीकरण सहित विभिन्न उद्योगों और प्रतिष्ठानों में नियोजन कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी । रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति का क्रियान्वयन दो-तीन पंचायतों के मध्य एक आजीविका केन्द्र स्थापित कर किया जायेगा । इस आजीविका केन्द्र में एक सदस्य आजीविका मित्र के रूप में वातावरण निर्माण, स्किल मेपिंग, पंजीकरण और परिचय पत्र उपलब्ध कराने का कार्य करेगा । इन आजीविका केन्द्रों के माध्यम से जिला रोजगार कार्यालय, आजीविका फोरम, शासकीय और निजी प्रतिष्ठान आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण, प्रमाणीकरण और नियोजन की सुविधा उपलब्ध करवायेंगे । इस केन्द्र के माध्यम से विभिन्न प्रकार की सुविधायें जैसे दूरभाष के माध्यम से परिवार के सदस्यों से संपर्क करना, सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ दिलाना, कायक्षेत्र में श्रमिकों को भिजवाने की व्यवस्था आदि भी की जायेगी ।

स्व-सहायता संवर्धन नीति

इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा स्व-सहायता समूहों को अधिकाधिक सुविधायें मुहैया कराने और सहायता देने के उद्देश्य से स्व-सहायता समूह संवर्धन नीति तैयार की गई है । यह नीति प्रदेश में एक नवम्बर 07 से प्रभावशील हो गई है । इसके माध्यम से आजीविका से संबंधित क्षेत्रों में बेहतर लाभ सृजित करना एक प्रमुख प्रयास होगा ।

 

ग्वालियर जिले में कार्यक्रम पर अमल

ग्वालियर जिले में भी समन्वित आजीविका कार्यक्रम के तहत जिला आजीविका फोरम के गठन सहित अन्य आवश्यक कार्रवाईयों पर अमल किया गया है ।  कार्यक्रम के संबंध में प्राप्त दिशा निर्देशों के तहत जिले में प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में जिला आजीविका फोरम का गठन किया गया है। इस फोरम में सभी विधायकगण व जिला योजना समिति के सभी सदस्य शामिल किये गये हैं । इसी प्रकार कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला कार्यकारिणी समिति भी गठित की गई है । कार्यकारिणी समिति में कृषि, ग्रामीण विकास, नगरीय कल्याण, उद्योग, आदिम जाति व अनुसूचित जाति, वन, मत्स्य, पशुपालन, उद्यानिकी, महिला एवं बाल विकास आदि विभागों के अधिकारी सदस्य बनाये गये हैं । इस समिति के अलावा सहयोगी इकाई भी गठित की गई है, जिसमें विभिन्न विषयों के 12 विशेषज्ञ शामिल किये गये हैं । जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी श्री विनोद शर्मा ने बताया कि जिले के सभी चार विकासखंडों में संकुल स्तरीय 19 केन्द्र स्थापित किये गये हैं । इनमें से विकासखंड घाटीगांव (बरई) में चार और डबरा, भितरवार व मुरार जनपद पंचायत में पांच-पांच केन्द्र स्थापित किये गये हैं ।

 

समूह खुद करेंगे योजना का क्रियान्वयन

कार्यक्रम के तहत आजीविका योजना का क्रियान्वयन व्यक्ति/स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जायेगा । सामुदायिक अधो-संरचना का निर्माण ग्राम पंचायत और संबंधित लाइन डिपार्टमेंट द्वारा किया जायेगा । गतिविधि आधारित स्व-सहायता समूह और सदस्य द्वारा अपने नाम से बैंक में एक खाता खुलवाया जायेगा । स्व-सहायता समूह/व्यक्ति का सहयोग दल द्वारा पंजीकरण किया जायेगा । स्व-सहायता समूह सदस्यों द्वारा पहले नियमित रूप से साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक बचत की जायेगी । बचत से निर्मित कोष का उपयोग रिवाल्ंविग कोष के रूप में आवश्यकतानुसार सदस्यों का सूक्ष्म ऋण उपलब्ध कराने में किया जायेगा । सहयोग दलों द्वारा समूह/व्यक्ति का योजनाओं के नियमों और मापदंडों के अनुरूप उप योजना प्रस्ताव तैयार कर तकनीकी स्वीकृति और प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कर राशि की स्वीकृति के लिये प्रस्ताव जिला सहयोग इकाई को भेजा जायेगा । जिला इकाई द्वारा उपयोजना प्रस्तावों की स्वीकृति पश्चात पूर्ण स्वीकृत राशि का हस्तांतरण एकमुश्त सीधे समूह/ व्यक्ति के बैंक खाते में कर दिया जायेगा । गतिविधि का कियान्वयन, प्रबंधन, सामग्री खरीदी आदि समूह/व्यक्ति द्वारा स्वयं की जायेगी ।

 

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