रविवार, 25 मई 2008

कार्यपालन यंत्री को मिली कैद, काम नहीं आई बेहिसाब दौलत

कार्यपालन यंत्री को मिली कैद, काम नहीं आई बेहिसाब दौलत

भोपाल : 25 मई, 2008 

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी महकमे के एक कार्यपालन यंत्री की सात लाख 78 हजार 449 रूपए की बेहिसाब दौलत उनके काम नहीं आ सकी है। अलबत्ता, अदालत ने उन्हें इसी वजह से तीन साल की बामुशक्कत कैद और 15 हजार रूपए के जुर्माने की सजा सुना दी है। बेहिसाब दौलत को राजसात करने का हुक्म भी दिया गया है।

यह वाक्या उज्जैन में आज से पाँच साल पहले पी.एच.ई. महकमें में पदस्थ कार्यपालन यंत्री कृष्णकांत व्यास से जुड़ा है। उस वक्त इनके खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति का मामला लोकायुक्त पुलिस ने दर्ज किया था। उनके ऋषिनगर में बने मकान और वैभव कृषि फार्म की बाकायदा ली गई तलाशी में कुल जमा 53 लाख 75 हजार 919 रुपए की चल-अचल संपत्ति पायी गयी। अभियोजन लायक सबूत मिलने पर मामला उज्जैन की विशेष अदालत में बतौर चालान पेश किया गया।

विशेष अदालत के जज श्री एस.के. शर्मा ने 20 मई को उक्त कार्यपालन यंत्री को दोषी ठहराया और पी.सी. एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत यह सजा मुकर्रर कर दी।

 

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