मंगलवार, 1 मई 2007

पीड़ित महिला को मिलेगी चिकित्सा सुविधा और संरक्षण के साथ आश्रय

घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण देने के लिये अधिनियम, दोषी व्यक्तियों के लिये सजा का प्रावधान

 

पीड़ित महिला को मिलेगी चिकित्सा सुविधा और संरक्षण के साथ आश्रय

ग्वालियर 29 अप्रैल 207

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण करने के लिये 26 अक्टूबर 2006 से घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम लागू किया गया है । इस कानून के तहत घरेलू हिंसा के लिये दोषी व्यक्तियों को तत्संबंधित विधि में न केवल सजा का प्रावधान है, बल्कि पीड़ित महिलाओं को चिकित्सकीय सुविधा, आश्रय की सुविधा और बच्चों के बारे में संरक्षण की सहायता के भी प्रावधान हैं ।

       मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की एक कमेटी ने वर्ष 1989 में यह अनुशंसा की कि सभी सदस्य राष्ट्रों को महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिये कार्य करना चाहिये । केन्द्र सरकार ने इस दिशा में

                     घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण नियम 2006 बनाये जिसे भारत में लागू किया गया । उन्होंने बताया कि महिलाओं को घरेलू हिंसा में संरक्षण देने वाले इस अधिनियम में सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान ''घरेलू हिंसा'' की भविष्य में रोकथाम का भी हैं । इससे न केवल घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को उपचार मिलेगा बल्कि घरेलू हिंसा की संभावना से जो महिलायें भयभीत हैं, उन्हें भी राहत मिलेगी ।

       पीड़ित महिलाओं के लिए न्यायालय एक संरक्षणात्मक प्रतिषेध जारी कर सकता है । न्यायालय किसी पुरूष या महिला को आदेश दे सकता है कि वह '' घरेलू हिंसा '' न करें और यदि आदेश का उल्लंघन होता है तो उसे कारावास की सजा से दण्डित किया जाएगा । यदि घरेलू हिंसा की घटना हो चुकी है तो उसके लिए पीड़ित को आर्थिक प्रतिकार देने का भी प्रावधान अधिनियम में रखा गया है । इस कानून के तहत महिलाओं को जो सबसे बड़ा अधिकार मिला है वह यह है कि महिला जिस रिश्तेदार के साथ रह रही है, विवाद होने पर उस महिला को वहाँ से हटाया नहीं जा सकता भले ही वह कानूनन उस संपत्ति की हकदार न हो ।

       अब न केवल पत्नि अन्य महिला अपने पति या अन्य पुरूष / महिला के खिलाफ लड़ सकेगी, बल्कि घर में रहने वाली बहिन, माँ विधवायें भी उस व्यक्ति के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं । इस कानून की एक विशेषता यह भी है कि अब मामला दर्ज करने के लिए पुलिस के अश्रित नहीं रहना होगा, संरक्षण अधिकारी ही पीड़ित महिला की हर तरह की सहायता करेंगे । राज्य शासन, ' घरेलू हिंसा ' से पीड़ित महिलाओं के लिए ' आश्रय गृह ' निर्धारित करेगा । जहाँ अपने घर की तरह पीड़ित महिलाओं की देख- रेख, सुरक्षा, सुविधा उपलब्ध होगी ।

       उक्त अधिनियम में गैर शासकीय संस्थाओं की सेवायें लेने का भी प्रावधान है । कोई भी रजिस्टर्ड महिलाओं की संस्था इस संबंध में कार्य कर सकती है यदि कोई ' घरेलू हिंसा ' की घटना उनके ध्यान मे आती है तो वह तत्संबंध में एक रिपोर्ट संबंधित संरक्षण अधिकारी या मजिस्ट्रेट को देगी । वह उक्त संबंध में संबंधित पुलिस थाने में भी अपराध दर्ज करा सकती है । समाज सेवी संस्थायें पीड़ित महिला की चिकित्सकीय जाँच करा कर उसे आश्रय गृह में निवास की व्यवस्था कर सकती है । समाज सेवी संस्थाओं के अलावा पड़ोसी, रिश्तेदार या अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी घरेलू हिंसा के संबंध में शिकायत दर्ज करा सकता है ।

 

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