मंगलवार, 17 जून 2008

अंतर्राष्ट्रीय रामलीला मेला केरल के कलाकारों द्वारा कुडिअट्टम शैली में प्रस्तुत रामकथा देखकर दर्शक हुये मंत्रमुग्ध

अंतर्राष्ट्रीय रामलीला मेला केरल के कलाकारों द्वारा कुडिअट्टम शैली में प्रस्तुत रामकथा देखकर दर्शक हुये मंत्रमुग्ध

ग्वालियर 16 जून 08 । बीते सात दिनों से विदेशी सरजमी खासतौर पर दक्षिण ऐशियाई देशों के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रामलीला से अभीभूत दर्शकों के आनंद को आज हम वतन कलाकारों ने चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया । भारत के दक्षिणी राज्य केरल के कलाकारों ने कुडिअट्टम नृत्य शैली में रामकथा मंचित कर भक्ति रस की ऐसी धारा बहाई जिसमें कलाप्रेमियों ने जी भर कर गोते लगाये । कुडिअट्टम एक ऐसी नृत्यशैली है जिसमें अभिनय का विशेष महत्व है ।

      केरल के कलाकारों ने मेला कलामंदिर रंगमंच पर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय रामलीला मेले में आज संध्या कुडिअट्टम नृत्यशैली में ''तोरण युध्द'' के रूप में रामकथा का मंचन किया। ''तोरण युध्द'' की यह कथा हनुमान द्वारा अशोक वाटिका उजाड़ने की आगे की कथा से शुरू हुई । प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि रावण का एक सुरक्षा कर्मी शंकुकर्ण भय से कांपता हुआ महल के द्वार (तोरण) पर पहुंचकर राक्षसी विजया से कहता है कि लंकाधीश रावण को सूचित करें कि एक वानर ने संपूर्ण अशोक वाटिका को तहस-नहस कर दिया है । रावण यह सूचना सुनकर क्रोधित होता है और हनुमान को पकड़ने का आदेश देता है । ब्रह्म फाँस में बंधे हुये हनुमान रावण के समक्ष उपस्थित होते हैं और उसे सीता को राम के पास भेजने के लिये समझाते हैं । यह सुनकर रावण क्रोधित हो जाता है और हनुमान की पूंछ में आग लगाने के लिये कहता है । हनुमान पूंछ में लगी आग से पूरी लंका जला देते हैं । तभी रावण को एक पुरानी बात ध्यान में आती है कि एक बार वह कैलाश पर्वत पर गया था । वहां भगवान शंकर व पार्वती में बहस हो रही थी । पार्वती भगवान शंकर से कह रहीं थी कि आपने गंगा को अपनी जटाओं में क्यों आश्रय दे रखा है उन्हें जटाओं से नीचे उतारो । भगवान शंकर द्वारा यह बात स्वीकार न करने पर पार्वती कैलाश पर्वत छोड़कर जाने लगती हैं । तभी रावण कैलाश पर्वत को उठा लेता है और भगवान शंकर व मां पार्वती में समझौता हो जाता है । भगवान शंकर इससे प्रसन्न होकर रावण को वरदान देते हैं । माँ पार्वती व नंदी भी रावण से वरदान मांगने के लिये कहते हैं । लेकिन रावण यह कहकर वर मांगने से इंकार कर देता है कि हम स्त्री से वर नहीं लेते । इस पर पार्वती उसे शाप देती हैं कि जाओ तुम्हारे अंत का कारण एक स्त्री ही बनेगी । नंदी भी उसे शाप देता है कि रावण के सर्वनाश में वानर का सहयोग रहेगा। हनुमान द्वारा लंका जलाने पर रावण को आभाष हो जाता है कि अब हमारा अंत निकट है । विभीषण ने भी रावण को मां सीता को वापस लौटाने के लिये खूब समझाया, किन्तु रावण तिरष्कृत कर विभीषण को दरबार से बाहर निकाल देता है ।

      ''तोरण युध्द'' के रूप में रामकथा का मंचन मार्गी मधु के निर्देशन में हुआ । इस कथा में हनुमान की भूमिका मार्गी नारायण, विभीषण की सूरज नाम्बियार, रावण की मार्गी मधु, शंकुकर्ण राक्षस की रंजीव रामचंद्रन, विजया राक्षसी की कृष्ण प्रिया व एक अन्य राक्षस की भूमिका नेपथ्य मनीष ने निभाई । नृत्यनाटिका में केरल के ढोलकनुमा प्रसिध्द वाद्ययंत्र ''मियाव'' पर रतीष भाष, अनूप व मणिकण्डन तथा ''इडक्का'' वाद्ययंत्र पर राजन तथा ''तालम'' वाद्य पर डॉ. जी.इंद्र ने कर्णप्रिय संगीत की धुनि बिखेरीं । कलाकारों का मेकअप संतोष के निर्देशन में किया गया था । संचालन अशोक आनंद ने किया । इस आयोजन में संस्कृति संचालनालय से आये श्री विनोद श्रीवास्तव ने भी विशेष सहयोग दिया ।

 

अवध की रामलीला के साथ आज अंतर्राष्ट्रीय रामलीला मेले का समापन

      गत 9 जून से यहां मेला कलामंदिर रंगमंच पर जारी अंतर्राष्ट्रीय रामलीला मेले का समापन 17 जून को अयोध्या से आये अवध आदर्श रामलीला मंडल के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रामलीला के साथ होगा । यह रामलीला प्रतिदिन की भांति रात्रि 7.30 बजे से शुरू होगी ।

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