जितने अधिक फरियादियों को न्याय मिले उतना ही मानवीय गौरव बढ़ेगा- डा.कलाम
ग्वालियर 15 मार्च 08 । जितने अधिक मुकदमों का फैसला हो, फरियादियों को न्याय मिले, उतना ही मानवीय गौरव सम्मानित होगा । देश के हर नागरिक , हर वर्ग , व्यवसाय करने एवं धर्म के मानने वाले स्त्री, पुरूष मानसिक रूप से बाधित और यहां तक कि कैदी के अधिकारों का भी हनन न हो यही प्रजातंत्र में सामाजिक न्याय की अवधारणा है । उक्त आशय के विचार देश के पूर्व राष्ट्रपति डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने आज यहां उच्च न्यायालय परिसर में बार एसोसियेशन द्वारा आयोजित गरिमापूर्ण समारोह में ''न्यायपालिका में सामाजिक न्याय के लिये अपेक्षित सुधार'' विषय पर व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि सही फैसले हों और शीघ्र न्याय मिले इसके लिये राजनीतिज्ञों, कानून बनाने वाली विधायिका, कानून का पालन आश्वस्त कराने वाली कार्यपालिका, न्याय करने वाली न्याय पालिका, उत्तेजना रहित जागरूक एवं संवेदनशील मीडिया आदि संयुक्त रूप से एकीकृत समाधान खोजें तभी सामाजिक न्याय का लक्ष्य अर्जित किया जा सकता है ।
पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम ने न्याय प्रक्रिया की मीमांसा करते हुये उसके क्रमिक विकास का खाका खींचा । महात्मागांधी की एक घटना का उल्लेख करते हुये बताया कि जनहित में उपयोग के लिये प्राप्त उपहार की अंशराशि के दुरूपयोग होने की जानकारी मिलने पर महात्मागांधी ने उपवास रखा । उन्होंने कर्नाटक की धर्माधिकारी न्याय परम्परा का भी जिक्र किया तथा पंजाब में सुल्तानपुर लोधी में सिख समुदाय ने ज्ञानी बलवीर सिंह की अगुवाई में गुरूद्वारे की पहल पर 160 किलोमीटर नदी को प्रदूषण रहित बनाने में अर्जित कामयाबी का उदाहरण दिया जो सामाजिक न्याय की अवधारणा को पुष्ट करने वाली मिसाल है ।
डा. कलाम ने बतौर राष्ट्रपति अपने विभिन्न देशों के भ्रमण एवं नागरिकों से मुलकात के दौरान उनके समक्ष आये प्रासंगिक प्रश्नों को भी श्रोताओं के समक्ष रखा व साथ ही उनमें से कई प्रश्नों के हल भी सुझाये । विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के कृषकों को अपनी उपजाऊ भूमि कदापि न देने की सलाह देते हुये उन्होंने शासन से ऐसे क्षेत्रों के लिये वैकल्पिक स्थानों का चयन करने तथा अधिग्रहित भूमि के बदले ऐसे भूमि मालिकों/ कृषकों को उनकी भूमि की मौजूदा कीमत के बराबर इक्विटी शेयर देने को अधिक न्याय संगत ठहराया । साथ ही उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में भी नगरीय सुविधायें जुटाने की वकालत की ।
समारोह की अध्यक्षता करते हुये मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री ए के पटनायक ने पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को राष्ट्र के प्रति समर्पित तथा न्यायपालिका की गहरी समझ रखने वाला विचारक निरूपित किया । उनकी न्याय की अवधारणा एवं न्याय प्रक्रिया में सुधार संबंधी सुझावों का खुलासा करते हुये उन्होंने कहा कि मानव भौतिक प्राणि मात्र नहीं है । मानव की समग्र स्वतंत्रता एवं अधिकारों का संरक्षण हो । अपनी बात को स्पष्ट करते हुये उन्होंने कहा कि कैदी के कुछ अधिकार अमूमन कालअवधि विशेष के लिये ही बाधित किये जाते हैं न कि उसके समूचे मानव अधिकार। न्यायमूर्ति श्री पटनायक ने उच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों के निराकरण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुये कहा कि अब 43 पदों में से 42 पर नियुक्ति के फलस्वरूप तेजी से काम होने लगा है । उच्च न्यायालय में हर वर्ष ऐसे लंबित 2000 प्रकरणों का निपटारा हो रहा है । इसी प्रकार सैशन कोर्ट में तथा निचली अदालतों में भी काम में तेजी आई है । न्यायमूर्ति श्री पटनायक ने संख्यात्मक उपलब्धियों के अलावा गुणवत्ता पर भी बल दिया तथा विधि शिक्षा में गुणात्मक बदलाव पर जोर दिया ।
समारोह को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के प्रशासकीय न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री ए के गोहिल तथा मध्यप्रदेश के एडवोकेट जनरल श्री आर एन सिंह ने भी संबोधित किया । कार्यक्रम के प्रारंभ में एसोसियेशन ग्वालियर के अध्यक्ष श्री डी आर शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया तथा अंत में मध्यप्रदेश बार एसोसियेशन के अध्यक्ष श्री रामेश्वर नीखरा ने आभार व्यक्त किया ।
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