बुधवार, 26 मार्च 2008

ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण के काम को व्यवस्थित ढंग से अंजाम दें - कलेक्टर

ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण के काम को व्यवस्थित ढंग से अंजाम दें - कलेक्टर

प्रदेश व्यापी विशेष राजस्व अभियान का पांचवा चरण शुरू

       ग्वालियर 25 मार्च 08 । प्रदेश व्यापी विशेष राजस्व अभियान का पांचवा चरण 25 मार्च से ग्वालियर जिले में भी शुरू हो गया है । राजस्व विभाग के अंतर्गत योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये इस अभियान का पांचवा चरण 25 जून तक चलेगा । जिला कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव ने अभियान के दौरान ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से करने के निर्देश संबंधित राजस्व अधिकारियों को दिये हैं । उन्होंने यह भी निर्देश दिये हैं कि प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिकायें किसानों को मुहैया कराई जायें । साथ ही किसानों को एकीकृत भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिकायें भी प्रदान की जायें ।

इस अभियान के अंतर्गत स्थायी सीमा चिन्हों का सत्यापन, मरम्मत योग्य एवं गुमशुदा सीमा चिन्हों का पुर्नस्थापन तथा भू-अभिलेख में इनकी प्रविष्टि की जायेगी । सीमांकन प्रकरणों का सिटीजन चार्टर में दी गई समयावधि के अनुसार निराकरण कराया जाना, खसरे के साथ-साथ नक्शों का अद्यतनीकरण कार्य, खसरा एवं बी-1 का मिलान कर सूची तैयार करना तथा उसका मिलान करना, खसरा, नक्शा एवं बी-1 की प्रतियां प्रदान करना, नक्शा नवीनीकरण तथा नक्शाविहीन ग्रामों के नक्शे तैयार कराना, शासकीय एवं निस्तार हेतु सुरक्षित भूमियों से अतिक्रमण हटाने तथा ग्रामीणों के निस्तार हेतु भूमि सुरक्षित रखने की कार्यवाही, नामांतरण एवं बंटवारा और भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिकाएं वितरित करने जैसे राजस्व संबंधी कार्य भी संपादित किये जायेंगे।

मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका देगी वास्तविक स्वामित्व

राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के भूमि और भवन के धारकों को आवास अधिकार पुस्तिका प्रदान की जायेगी। इस आवास अधिकार पुस्तिका में भूमि अथवा भवन के स्वामी द्वारा धारित भूमि अथवा भवन का क्षेत्रफल, चतुर्सीमा, ग्राम, गली, मोहल्ला, मजरा-टोला आदि सहित अन्य प्रासंगिक विवरण दर्ज होगा।

वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में भू-राजस्व संहिता 1959 के अंतर्गत नागरिकों के रहवासी उद्देश्य हेतु आबादी भूमि सुरक्षित करने का प्रावधान मौजूद है। अभी प्रचलित व्यवस्था में अभिलेख देखकर यह सुनिश्चित नहीं होता कि कौन सी भूमि का स्वामी कौन व्यक्ति है और उस भूमि का क्या आकार है। वस्तुत: ग्रामीण व्यक्तियों के पास आबादी क्षेत्र में आवासीय भूमि अथवा भवन आदि स्थल पर तो मौजूद होते हैं और उनकी इस अचल सम्पत्ति की कीमत भी होती है, परंतु उनके पास इसके स्वामित्व या अधिकार का कोई अभिलेख नहीं होता है। लेकिन अब आवास अधिकार पुस्तिका से इस समस्या का समाधान हो सकेगा।

ग्रामीणों के पास 'आवास अधिकार पुस्तिका' होने से उनकी भूमि की खरीदी-बिक्री रजिस्ट्री हो सकेगी। बैंकिंग इन्स्टीटयूशन ग्रामीण भूमि और भवन पर उसके स्वामी को उसकी आवश्यकता और पात्रता के अनुसार ऋण दे सकेंगे। कोर्ट-कचहरी में जमानत आदि हेतु आवास अधिकार पुस्तिका उपयोग में लायी जा सकेगी। इसके अतिरिक्त भी अन्याय बहुत से कार्यों में उक्त अधिकार पुस्तिका का उपयोग किया जा सकेगा।

 

 

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