महिलाओं को दी गयी कानूनी जानकारी
ग्वालियर 31 अगस्त 09। म प्र. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कृष्णकांता तोमर ने कहा है कि प्रत्येक महिला मीरा दीदी बनेंगी और बालिकाओं को सही दिशा देंगी तभी महिला उत्पीड़न एवं उनके शोषण में कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि महिलायें आखरी तक परिवार को टूटने से बचाने के लिये हरसंभव प्रयास करती हैं तथा अनेक घटनाओं को वे तूल नहीं देती हैं। लेकिन प्रताड़ना की अधिकता होने पर ही वे कानून का सहारा लेती हैं। श्रीमती तोमर आज यहां राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से राज्य महिला आयोग द्वारा आयोजित '' मीरा दीदी से पूछो'' कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को संबोधित कर रही थी। इसमें महिलाओं के कानूनी अधिकारों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि समाज सेविका शैलजा काकर्णे (ताई) थी। अध्यक्षता नगर निगम के महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने की। इस अवसर पर शासकीय कन्या महाविद्यालय मुरार की प्राचार्य श्रीमती सरोज मोदी, सेवा निवृत्त प्राचार्य डॉ. आशा माथुर, समाज सेंविका श्रीमती रेखा शेटे, महिला बाल विकास अधिकारी श्रीमती सीमा शर्मा के अलावा महिला सामाजिक कार्यकर्ता, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी उपस्थित थी।
आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तोमर ने कहा कि आयोग द्वारा बैंचों के माध्यम से पूरे प्रदेश में जाकर महिलाओं की समस्यायें सुनी जाती हैं तथा उनका निराकरण किया जाता है। आयोग द्वारा दोनों पक्षों को सुनकर यथोचित निर्णय लिया जाता है। साथ ही विभिन्न स्थानों पर जागरूकता शिविर लगाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ित महिला को सही स्थान पर भेजना भी समस्या का हल कराने में बड़ा योगदान होता है। उन्होंने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की विस्तार से जानकारी दी। श्रीमती तोमर ने कहा कि मीरा दीदी कोई महिला विशेष नहीं हैं बल्कि पीड़ित महिला को कानूनी जानकारी देने एवं उसकी मदद करने वाली प्रत्येक महिला मीरा दीदी है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझेगा, सभी महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलेगा और वे सशक्त होंगी। उन्होंने विभाग के अधिकारियों से कहा कि घरेलू हिंसा के प्रकरण दर्ज हों, जागरूकता शिविर लगें तथा टीम भावना से कार्य करके महिलाओं की योजनाओं को घर-घर तक पहुँचायें। अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये अनेक कदम उठाये हैं। हर वर्ग की महिलाओं के लिये अलग-अलग योजनायें बनाई गईं हैं। जिनका उन्हें लाभ मिल रहा है।
नगर निगम के महापौर श्री शेजवलकर ने कहा कि महिला संरक्षण के लिये बनाये गये कानून का उपयोग सही होगा, तभी कार्यक्रम सफल होगा। उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़न के विरोध की शुरूआत घर से करनी होगी। जिसके तहत महिलायें अपने बेटा एवं बेटी को एक समान समझें तथा उन्हें समान सुविधायें मुहैया करायें। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिये केवल कानून पर्याप्त नहीं है। जब तक सभी महिला पुरूष जागरूक नहीं होंगे, तब तक महिलाओं की समस्यायें हल नहीं होंगी। समाज सेविका शैलजा ताई ने कहा कि जीवन के लिये व्यवहारिक शिक्षा भी अतिआवश्यक है, जिस परिवार में रहना है, उनके साथ कैसा व्यवहार हो,यह जानना जरूरी है। डॉ. आशा माथुर ने कहा कि जब किसी महिला का शोषण होता है तो वह टूट जाती है। उसी समय यदि उसे कोई मीरा दीदी मिल जाये तो उसका परिवार बच सकता है। उन्होंने कहा कि आयोग के इस कार्यक्रम को सभी जगह सराहा जा रहा है। प्रदेश में महिला उत्पीड़न सेल गठित किया गया है। साथ ही राशन आवंटित करने की अनुशंसा भी शासन को भेजी गई, जिसे मान्य कर लिया गया है। उन्होंने महिला वकीलों को मीरा दीदी के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया। साथ ही ऐसे कार्यक्रम कन्या महाविद्यालयों में रखने का भी सुझाव दिया।
प्राचार्य श्रीमती सरोज मोदी ने कहा कि कि बालिकाओं का घटता लिंगानुपान समाज के सामने एक भीषण चुनौती है तथा इससे सामाजिक समस्या पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता में कमी एवं दूसरों की बातों में आ जाने के कारण कन्या भ्रूण हत्या से बालिकाओं की संख्या घट रही है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण का मतलब उनके आत्मविश्वास में वृध्दि एवं निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना है। महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक श्री सुरेश तोमर ने कहा कि लिंगानुपात में कमी वाले क्षेत्रों की पहचान करके वहां योजनाबध्द तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। साथ ही मीडिया के द्वारा भी वातावरण निर्माण करने से भी कार्यक्रम को नई दिशा मिल सकेगी। इस अवसर पर समाज सेविका श्रीमती रेखा शेटे ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पुष्पा सिसौदिया ने किया।
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