स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने के निर्देश
ग्वालियर 13 जुलाई 10। वाहनों से स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन कराने के लिये क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने जिला शिक्षा अधिकारी सहित सभी स्कूल संचालकों को पत्र लिखे है। पत्र के माध्यम से कहा गया है कि बस संचालक उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करें और बच्चों की सुरक्षा के लिये सभी सावधानियाँ बरतें।
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बसों के उपयोग के संबंध में विभिन्न सावधानियां भी पत्र में उल्लेखित की हैं। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 के प्रावधान अनुसार बसों के आगे और पीछे बड़े व स्वच्छ अक्षरों में ''स्कूल बस'' लिखा जाये। साथ ही यदि स्कूल बस किराये की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालयीन सेवा में (ऑन डयूटी) लिखा जाये। विद्यालय द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली किसी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाये जायें। प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से प्राथमिक चिकित्सा हेतु ''फर्स्ट एड बाक्स'' की व्यवस्था हो, बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) अनिवार्य रूप से लगाई जाये। साथ ही प्रत्येक बस में अग्निशमन यंत्री की व्यवस्था हो।
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने कहा है बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर बड़े अक्षरों में अवश्य लिखा जाये। बस के वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम 05 वर्ष का अनुभव होना चाहिये तथा वह पूर्व में ट्रैफिक नियमों का दोषी ठहराया गया नहीं होना चाहिये। केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 के नियम-17 के प्रावधानों के अनुसार बस में वाहन चालक के अतिरिक्त एक अन्य व्यक्ति भी हो, यह सुनिश्चित किया जावे। सुरक्षा की दृष्टि से लाते ले जाते समय यह व्यक्ति यथासंभव स्कूल शिक्षक होना चाहिये। बच्चों के बस्ते रखने के लिये सीट के नीचे जगह भी होना चाहिये।
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