कुपोषण को खत्म करने हेतु सरकार कटिबध्द श्री विजय शाह
सहरिया आदिवासियों को मिलेगा आयरनयुक्त आटा
ग्वालियर 2 जुलाई 2010 । मध्यप्रदेश के आदिवासी कल्याण तथा अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री कुंवर विजय शाह ने आज होटल रीजेन्सी में सहरिया आदिवासियों के कल्याण के लिए एक विशेष पोषण योजना का शुभारंभ किया । संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व खाद्य कार्यक्रम की यह योजना मध्यप्रदेश सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग के सहयोग से गुना,शिवपुरी तथा श्योपुर जिलों में लागू की जा रही है । संभागायुक्त ग्वालियर श्री एस.बी.सिंह भी इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे ।
मंत्री श्री कुंवर विजय शाह ने कहा कि सरकार कुपोषण को दूर करने का ईमानदार प्रयास कर रही है । सहरिया आदिवासियों को आटे में आयरन देकर एनिमिया दूर करने वाला यह पायलेट प्रोजेक्ट है जो दो वर्षों तक चलाया जावेगा । उन्होनें कहा कि प्रदेश में सहरिया, बैगा तथा भारिया आदिवासी बहुत पिछड़े हैं । सरकार इनके विकास हेतु विशेष प्रयास कर रही है। इनकी शिक्षा के लिए सरकार ने प्रदेश में 50 -50 सीट की क्षमता वाले 100 छात्रावास प्रारंभ किये है । साथ ही उन्होनें बताया कि प्रदेश में 89 आदिवासी ब्लाक में सरकार 1 रूपये किलो में आयोडीन युक्त नमक मुहैया करवा रही है । सहरिया आदिवासियों को दिये जाने वाले गेहूँ की क्वालिटी अच्छी है । सरकार यह गेहूँ 11 रूपये किलो की दर से खरीदकर मात्र 2 रूपये प्रति किलो की दर से सुलभ कराती है ।
उन्होनें कहा कि सरकार कुपोषणको लगातार दूर करने के प्रयास कर रही है। इसी लिए सरकार ने अतिविश्वसनीय संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व खाद्य कार्यक्रम को साथ लिया है । अगर पॉयलेट प्रोजेक्ट कामयाब रहा तो इस योजना को प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी इसे लागू किया जा सकेगा । अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री विजय शाह ने आगे कहा कि सरकार सजृन में विसर्जन तक के लिए जनहित की योजनायें संचालित कर रही है जिसका सीधा लाभ हितग्राहियों को मिल रहा है ।
विश्व खाद्य कार्यक्रम इंडिया (डब्ल्यूएफपी - भारत) के राष्ट्रीय उप महानिदेशक मैथ्यू मैक्लिवेना के मुताबिक डब्ल्यूएफपी सरकार के सहयोग से समाज के सर्वाधिक उपेक्षित लोगों तक पहुँचने के लिए कटिबध्द है । उन्होनें बताया कि इस खास तथा अपनी तरह की पहली परियोजना में बेहद कुपोषित तथा उपेक्षित सहरिया समुदाय के लिए उनके गांवों तक पोषण युक्त भोजन पहुँचाया जा सकेगा ।
इस परियोजना के तहत सहरिया बहुत 428 गांवों के करीब 1,60,000 लोगों द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले गेहूँ के आटे को आयरन और फोलिक एसिड युक्त कराया जायेगा ताकि सहरिया समुदाय के बीच फैली एनीमिया की समस्या का निदान किया जा सके । मध्यप्रदेश राज्य में काफी ज्यादा कुपोषण की रिपोर्ट आई है । राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 3 के मुताबिक मध्यप्रदेश में पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 74 प्रतिशत बच्चे तथा आधी से ज्यादा महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित है । हाल ही में डब्ल्यूएफपी की ओर से प्रायोजित एक जमीनी अध्ययन में पाया गया कि सहरिया गांवों में 90 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं ।
इस परियोजना को लागू करने में गांवों के स्तर पर मिलने वाली आटा चक्कियों की भी मदद ली जाएगी । इन ग्रामीण आटा चक्कियों में पूर्व निर्धारित मात्रा में आयरन तथा फोलिक एसिड की खुराक आटे के साथ मिलाई जाएगी । ग्रामीण आटा चक्की मालिकों को विशेष प्रशिक्षण देकर गुणवत्तापूर्ण आटा खुद बनाने के लिए तैयार किया जाएगा । यह आटा देखने और स्वाद में बिल्कुल आम आटे जैसा ही होगा, लेकिन इसमें एक व्यक्ति की रोजाना की आयरन की जरूरत का 50 प्रतिशत आयरन मिला होगा ।
इस परियोजना में गहन जागरूकता अभियान भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा, जिससे सहरिया समुदाय को अच्छे पोषण तथा गुणवत्तापूर्ण गेहूँ केआटे के फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी मिल सकेगी ।
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