स्वर्णिम मध्यप्रदेश में सहकारिता की सहभागिता
· अरूण सिंह तोमर
अध्यक्ष मप्र. राज्य सहकारी संघ
मर्या.भोपाल
ग्वालियर दो जुलाई 10। पूरे विश्व की सहकारिता 3 जुलाई 2010 को अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस मना रही है। इस बार 88वां दिवस है। यह दिवस अन्तर्राष्ट्रीय सहकारी संघ के बेनर तले वर्ष 1923 से मनाया जाता रहा है। दिन सप्ताह व माह हमें मंच उपलब्ध कराते हैं- अपने आंकलन का। हम कहां थे कहां आ गये और किधर जाना है। मध्यप्रदेश राज्य सहकारी संघ ने इस दिवस की थीम स्वर्णिम मध्यप्रदेश की परिकल्पना में सहकारिता की संभावना रखी है।
वर्ष 2003 में सहकारिता को नये आयाम देने का मध्यप्रदेश में जो बीज बोया गया था वह आज पुष्पित व पल्लवित होने लगा है। लोगों का विश्वास भी जगने लगा है। सहकारिता क्षेत्र में हुई प्रगति आज परवान चढ़ रही है। सहकारिता का भले ही साख हो या आवास, उपभोक्ता हो या शिक्षा। इन क्षेत्रों से जुड़ी सहकारी संस्थाओं ने अपनी भूमिका का महत्वपूर्ण अंजाम दिया है और प्रदेश के मुख्य मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी के स्वर्णिम मध्यप्रदेश के स्वप्न को साकार करने में सहभागी है।
ब्याज कम हुआ चमके चेहरे- किसानों को अल्पावधि ऋण जो 18 प्रतिशत पर मिलता था वह अब इतिहास बन चुका है। किसान को वर्ष 2007-08 में 7 प्रतिशत पर दिया एवं वर्ष 2008-09 में 5 प्रतिशत और 2009-10 में 3 प्रतिशत और अब तो मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री भंवरसिंह जी शेखावत ने किसानों को आगामी वर्षों से बिना ब्याज के अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराने का मन बना लिया है। किसानों को अल्पावधि ऋण भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्घ कराया गया है। वर्ष 2008-09 में 2516.30 करोड़ का अल्पावधि ऋण वितरण हुआ। वर्ष 2009-10 में 4200 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित था।
68 प्रतिशत क्रेडिट कार्ड सहकारिता से - प्रदेश सरकार कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने को कृत संकल्पित हैं इस हेतु किसानों की साख, आवश्यकता को कम ब्याज व सरल प्रक्रिया के तहत आसानी से उपलब्धता के प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों को क्रेडिट कार्ड के वितरण में भी पीछे नहीं हैं। 31 मार्च 2009 तक सहकारी बैंकों से संबध्द प्राथमिक साख संस्थाओं द्वारा 3211752 क्रेडिट कार्ड वितरित किये गये तथा वर्ष 2009-10 में 2, 26, 300 नवीन क्रेडिट कार्ड जारी करने के लक्ष्य के विरूध्द 31 मार्च 2010 तक प्रदेश के सभी बैंकिंग संस्थाओं द्वारा 50,34262 किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गये। जिसमें सहकारी र्बैंकों की 68 प्रतिशत भागीदारी है, जिसे अब शतप्रतिशत किया जाना है। प्रदेश की अन्य सहकारी संस्थायें भी लाभार्जन की स्थिति में हैं।
खाद की आपूर्ति सुगम- किसानों को रासायनिक खाद की आपूर्ति भी आवश्यकतानुसार म प्र. सहकारी विपणन संघ द्वारा की जाती है। विपणन संघ द्वारा डबल लॉक केन्द्रों से 4581 प्राथमिक सहकारी संस्थाओं तथा 344 विपणन सहकारी संस्थाओं के माध्यम से प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में रासायनिक खाद की व्यवस्था की जाती है। प्रदेश में विपणन संघ ने वर्ष 2008-09 में कुल 13.26 लाख मीट्रिक टन राशि 942.20 करोड़ रूपये का रासायनिक खाद का वितरण किया है। डी ए पी. की कमी को आयात कर पूरा किया गया है।
प्रमाणित बीज की पहल- किसानों को बीज प्रमाणित मिले इस हेतु प्रत्येक ब्लॉक में बीज सहकारी संस्थाओं के गठन के प्रयास किये जा रहे हैं। इन संस्थाओं की कठिनाईयों को दूर करने व इन्हें संगठित करने हेतु प्रदेश में दिसम्बर 2004 में बीज उत्पादक सहकारी संघ की भी स्थापना की जा चुकी है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को नई शक्ल- यही नहीं प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के पूरे ढांचे को नये मुकाम तक पहुँचने की कोशिश की है ताकि गरीब तबके तक आसानी से और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जिसे पाने के वे हकदार हैं। इसके तहत उन पर नियंत्रण भी किया गया है तथा इन दुकानों को नई शक्ल भी दी जाने की योजना प्रस्तावित है तथा समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी में 100 रूपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त बोनस दिया जा रहा है।
आवास संस्थाओं पर कसा शिकंजा- गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के सदस्यों को उनका वाजिब हक मिले और सहकारी मनमानी न कर पाये इस उद्देश्य से प्रदेश के सहकारी अधिनियम में कठोर दण्डात्मक कार्यवाही के भी प्रावधान किये गये हैं तथा गृह निर्माण संस्थाओं की गैर कानूनी गतिविधियों पर भी अंकुश लगाया गया है। इसके परिणाम स्वरूप भू-माफिया अब जनता के मकान का स्वप्न तोड़ नहीं पायेंगे।
परिणामोन्मुखी राज्य संघ की गतिविधियां- प्रदेश में सहकारिता के विकास का पूरा दारोमदार म प्र. राज्य सहकारी संघ का है। हमने राज्य संध की गतिविधियों को परिणाम मूलक बनाने पर जोर दिया है, ताकि समाज के अन्तिम छोर के व्यक्ति के जीवन में कुछ बदलाव आ सकें। हमने रायसेन जिले की दो संस्थाओं का चयन किया है, जिन्हें हम आदर्श रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। संभागीय स्तर पर सहकारी प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने की भी योजना हैं।
कम्प्यूटर शिक्षा में उपलब्धी- इसके लिये डी सी ए./ पी जी डी सी ए. पाठयक्रम प्रारंभ किया है, जिसे राज्य सहकारी संघ के तीन केन्द्रों तथा 38 सहयोगी केन्द्रों में संचालित किया जा रहा है। राज्य सहकारी संघ के भोपाल केन्द्र को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से संबध्द कर डी सी ए./ पी जी डी सी ए. पाठयक्रम संचालित है। अपने केन्द्रों को माखनलाल विश्वविद्यालय से संबध्दता की भी योजना क्रियान्वित की जा रही है, जिसमें डी सी ए./ पी जी डी सी ए. की मान्यता की योजना है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लगेंगे होर्डिंग्स- राज्य सहकारी संघ द्वारा प्रदेश की सहकारी संस्थाओं और कृषि उपज मंडियों के माध्यम से प्रचार प्रसार हेतु होर्डिंग लगाने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है। सहकारी संस्थायें विधि अनुरूप कार्य कर सकें, इसके लिये सहकारिता मैन्युअल, सहकारी अधिनियम का भी प्रकाशन किया गया है। समाचार पत्र प्रचार प्रसार का सशक्त माध्यम है। राज्य सहकारी संघ द्वारा पाक्षिक रूप से सहकारी समाचार का प्रकाशन किया जाता है, जिसके माध्यम से प्रदेश की सहकारी गतिविधियों को अन्य जनों तक पहुँचाया जाता है। इसकी आजीवन सदस्यता की योजना प्रारंभ की गई है, जिसके तहत 1500 रूपये में 25 वर्षों तक सहकारी समाचार उपलब्ध कराया जायेगा। एक वर्ष में 700 आजीवन ग्राहक बन चुके हैं।
आंकड़े विकास के दस्तावेज है। स्वर्णिम म प्र. के इतिहास में एक अध्याय सहकारिता का भी होगा इसी संकल्प के साथ हम सब सहभागी हैं। ''जय सहकार''
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