मंगलवार, 20 जुलाई 2010

मध्यप्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं में महिला भागीदारी मिशाल बनी

मध्यप्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं में महिला भागीदारी मिशाल बनी

ग्वालियर 19 जुलाई 10 बात थोड़ी पुरानी है पिछले साल जून की। हम सड़क मार्ग से वाया मकसूदनगढ़ भोपाल जा रहे थे। मकसूदनगढ से 15-16 किलोमीटर आगे गये होंगे तभी सड़क किनारे कूप निर्माण को देख कर रूक गये। वो गुंजारी गांव का हिस्सा था। मजदूर खुश थे, 28 हाथ पर उन्हें पानी जो मिल गया था। वहां श्रमिकों से बात करने पर ज्ञात हुआ कि उनका गांव बिशन खेड़ा ग्राम पंचायत में आता है श्रीमती अयोध्या बाई उनकी सरपंच है। बिशन खेड़ा में चार गांव लक्ष्मणपुरा, शंकरपुरा, गुंजारी और बिशन खेड़ा शामिल थे। ज्ञातव्य है कि बिशन खेड़ा ग्राम पंचायत ग्वालियर संभाग के गुना जिले के राघौगढ़ विकासखण्ड की पंचायत है। ग्राम पंचायत के सचिव मोहनबाबू साहू ने बताया कि कपिल धारा और निर्मल नीर योजना में कुंए बनवा रहे हैं। तब बिशन खेड़ा पंचायत में कूप निर्माण, ग्रेवल रोड़ मुरमीकरण आदि के बीस काम चल रहे थे बहुत से श्रमिक काम पर लगे थे। महिला सरपंच तब तक एक दर्जन कूप आधा दर्जन अन्य निर्माण कार्य करवा चुकी थी। उसका सेवाभावी पुत्र सूरज गुर्जर निरन्तर हर काम की मुस्तैदी से निगरानी में जुटा था ताकि अपनी माँ का नाम रोशन कर सके।

       इधर सागर जिले की मकरोनिया बुजुर्ग की सरपंच भी अच्छा नाम कमा रही है। सागर नगर से सटी इस ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती लता गुड्डू वानखेड़े ने लगातार परिश्रम करके घर घर तक पानी की पाइप लाइन पहुँचा दी है। पानी की यह सप्लाई वो सागर की पेयजल योजना से लायी है जो कतई आसान काम नहीं था। सारा गांव आज उसके गुण गाता है। अपने विनम्र स्वाभाव और सेवा भावी सफल प्रयासों के कारण श्रीमती वानखेड़े ग्रामवासियों का दिल जीतकर लगातार तीसरी बार सरपंच बनी है।

       बिशन खेड़ा ग्राम पंचायत की सरपंच हो या फिर मकरोनिया बुजुर्ग की सरपंच तथा ऐसी अन्य कई बहिनों ने यह सिध्द कर दिया है कि महिलाओं के लिये पंच सरपंच जैसे पदों का दायित्व निर्वहन कोई कठिन कार्य नहीं है। मध्यप्रदेश में महिलाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल के अब अच्छे परिणाम आने लगे हैं।

       अगर मध्यप्रदेश की पंचायत राज संस्थाओं में महिला सदस्यों की स्थिति पर दृष्टि डालें तो हम पाते हैं कि राज्य के 50 जिलों में से 25 जिला पंचायतों में महिला अध्यक्ष हैं। प्रदेश की 125 जनपद पंचायतों और 95 नगर पंचायतों में महिलायें बतौर अध्यक्ष नेतृत्व प्रदान कर रहीं हैं। जिला पंचायतों में 415 और जनपद पंचायतों में 3400 महिला सदस्य हैं। राज्य की 11 हजार 520 ग्राम पंचायतों में महिला सरपंच हैं और पंचों की संख्या एक लाख अस्सी हजार है। देश के किसी भी राज्य में  ग्रामीण स्तर पर विकास की पुख्ता नींव रखने में महिलाओं की इतनी सशक्त भागीदारी अपने आप में एक मिशाल है। पहले जब आरक्षण कम था तो उतनी महिलायें भी सामने नहीं आती थीं। तब उनकी भागीदारी बमुश्किल 20-25 प्रतिशत होती थी। अब यह भागीदारी बढ़ कर 50-55 प्रतिशत हो चुकी है जो निश्चित ही सराहनीय है। ऐसी सभी महिलाओं के हौसले को सलाम।

 

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