जनभागीदारी से वनीकरण कर प्रदेश का आर्थिक परिदृश्य बदलें- श्री सरताज सिंह
वन मंत्री द्वारा ग्वालियर चंबल संभाग की वनीकरण योजनाओं की समीक्षा
ग्वालियर 12 जुलाई 10। वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने कहा है वन विभाग की योजनाओं को इस प्रकार से अंजाम दें, जिससे अच्छे वनीकरण के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिले। उन्होंने कहा वन विभाग के पास बहुत जमीन उपलब्ध है, इस पर हम जनभागीदारी से वनीकरण व उससे जुड़े अन्य विकास कार्यों को मूर्त रूप देकर प्रदेश का आर्थिक परिदृश्य बदल सकते हैं। वन मंत्री आज ग्वालियर चंबल संभाग के वन अधिकारियों की बैठक में वनीकरण योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे।
यहाँ वन संरक्षक कार्यालय के सभागार में आयोजित हुई बैठक में मुख्य वन संरक्षक श्री एल के. चौधरी, अनुसंधान एवं विस्तार वृत ग्वालियर के मुख्य वन संरक्षक श्री ए के. विसारिया, मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री मुरलीकृष्णन, वन संरक्षक ग्वालियर श्रीमती बिन्दु शर्मा, वन संरक्षक वर्किंग प्लान श्री विश्राम सागर, वन मण्डलाधिकारी मुरैना श्री एस के. सिंह, भिण्ड श्री व्ही एस. होतगी, श्योपुर श्री व्ही के एस. भदौरिया व दतिया श्री यू एस. कीर एवं कूनो अभ्यारण्य के वन मण्डलाधिकारी श्री ए के. मिश्रा सहित ग्वालियर-चंबल संभाग के समस्त जिलों के अनुविभागीय अधिकारी वन मौजूद थे।
वृहद स्तर पर बाँस रोपण पर जोर देते हुए वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने कहा कि बांस रोपण आर्थिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसी बात को ध्यान में रख कर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2010 को बांस वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों में बांस के फर्नीचर व इसके अन्य व्यवसायिक उपयोग से जुड़े व्यापारियों ने उत्तर भारत की ओर रूख किया है, अत: बांस रोपण को बढ़ावा देकर हम प्रदेश के किसानों को आय का अतिरिक्त जरिया मुहैया करा सकते हैं। श्री सिंह ने कहा कि बंजर भूमि व बिगड़े वन क्षेत्रों में बांस सहित अन्य प्रजातियों के पौधों को जनभागीदारी से रोपित करायें, जिससे लोगों का इनसे जुड़ाव हो और वनों के संवर्धन के साथ लोगों को आर्थिक लाभ भी मिले।
वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने ग्वालियर-चंबल अंचल में बीहड़ सुधार कार्यों पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कम मिट्टी व कम वर्षा वाले क्षेत्रों व बीहड़ भूमि पर करील व टेंटी के बीज एकत्रित कर बोये जाने के निर्देश अधिकारियों को दिये। बैठक में बताया गया कि अंचल के करीबन 6 हजार 800 हैक्टेयर क्षेत्र में 8 करोड़ 16 लाख रूपये की लागत से कम मिट्टी/ कम वर्षा वाले क्षेत्र के सुधार की योजना बनाई गई है।
चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने पर भी वनमंत्री ने विशेष बल दिया। बैठक में बताया कि चंबल नदी में जलकुण्डों की गहराई नापी गई है। इस सर्वेक्षण में 94 जलकुण्डों में से 18 कुण्डों की गहराई दस मीटर पाई गई है, जो डाल्फिन मछली के लिये आदर्श हैं। बैठक में बताया गया कि चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र में अब तक 69 डॉल्फिन चिन्हित की जा चुकी है। इसी तरह 870 घड़ियाल व 301 मगर भी चंबल में मौजूद हैं। घड़ियाल संरक्षण कार्यक्रम के तहत नदी से घड़ियाल के 500 अण्डे सुरक्षित लाये गये थे, जिनसे निकले घड़ियाल के 411 बच्चे स्वस्थ हालत में मौजूद हैं।
बैठक में अनुसंधान एवं विस्तार वृत ग्वालियर के अन्तर्गत चल रहे कार्यों व कूनो-पालनपुर वन्य प्राणी अभ्यारण्य की गतिविधियों की भी विस्तार से समीक्षा की गई। वन मंत्री श्री सिंह ने कहा गुजरात के गिरि फॉरेस्ट से कूनो अभ्यारण्य में एशियाई सिंहों को लाने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण का फैसला आने तक अभ्यारण्य में शेरों को लाने के लिये अन्य वैकल्पिक उपाय सोचें। वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री मुरली कृष्णन ने बैठक में जानकारी दी कि चिड़िया घरों से टाईगर की नर-मादा जोड़ी लाकर व उन्हें अभ्यारण्य की परिस्थतियों में ढाल कर बाघों को बढ़ावा देने का एक प्रस्ताव तैयार किया गया है। श्री मुरलीकृष्णन ने बताया कि कूनो अभ्यारण्य ऐशियाई शेरों के लिये हर तरह से मुफीद तो है ही, साथ ही पक्षियों की करीबन 165 प्रकार की प्रजातियों का भी यहां बसेरा रहता है। साथ ही जैव विविधता के क्षेत्र में भी यह अभ्यारण्य विशेष धनी है।
अवैघ उत्खनन रोकने की कार्रवाई की ली जानकारी
वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने संभाग में अभ्यारण्य व वनभूमि क्षेत्र से रेत व पत्थर के अवैध उत्खनन रोकने के लिये उठाये गये कदमों की भी विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को हिदायत दी कि अवैध उत्खनन रोकने के लिये सख्त कदम उठाये जाने के साथ-साथ वन समितियों आदि के माध्यम से लोगों को इस अवैध गतिविधि से दूर रहने के लिये प्रेरित करें। साथ ही खदान श्रमिकों को रोजगार के अवसर भी मुहैया करायें। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि जिस क्षेत्र में बिल्कुल भी वन नहीं हैं वहां की खदानों को राजस्व विभाग को हस्तान्तरित करने की कार्रवाई करें, बैठक में बताया गया कि ग्वालियर व मुरैना जिले के 13 वन खण्डों की करीबन 2 हजार 761 हैक्टेयर भूमि को राजस्व विभाग को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
औषधीय वनस्पतियों को संरक्षित करने पर जोर
बैठक में बताया गया कि ग्वालियर एवं चंबल अंचल के वन क्षेत्र में औषधीय वनस्पतियों का प्रचुर भण्डार है। अकेले श्योपुर जिले में 537 प्रकार की औषधीय वनस्पतियाँ चिन्हित की जा चुकी हैं। इसी तरह ग्वालियर जिले में भी एक सैकड़ा से अधिक औषधीय वनस्पतियां वन विभाग द्वारा चिन्हित की जा चुकी हैं। वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने औषधीय वनस्पतियों को पूरा संरक्षण देने के बैठक में निर्देश दिये। साथ ही कहा कि औषधीय वनोपजों को संग्रहीत करने वाले स्थानीय लोगों के हितों का प्रदेश सरकार पूरा ध्यान रखेगी और औषधीय वनोपजों के विपणन की व्यवस्था भी सरकार करायेगी, जिससे लोगों को वाजिव दाम मिल सकें। वन संरक्षक श्री चौधरी ने ग्वालियर चंबल अंचल में औषधीय वनस्पतियों के संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी।
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