रविवार, 27 मई 2007

दाई आयुर्वेद कम्पाउंडर भी अब पैरामेडिकल कौंसिल के पाठयक्रम में

दाई आयुर्वेद कम्पाउंडर भी अब पैरामेडिकल कौंसिल के पाठयक्रम में

 

     प्रशान्‍त सिंह तोमर ब्‍यूरो चीफ                                           ग्वालियर 24 मई 2007

 

मध्यप्रदेश पैरामेडिकल कौंसिल (सह चिकित्सीय परिषद) द्वारा महिला दाई आयुर्वेद कम्पाउन्डर पाठयक्रम को कौंसिल की विषय अनुसूची में शामिल किया गया है। अनुसूची में शामिल किये जाने हेतु शासन द्वारा सहमति भी प्रदान कर दी गई है। इस वर्ष से उक्त पाठयक्रम की मान्यता भी परिषद द्वारा दी जायेगी। इसी प्रकार वर्ष 2007-08 से परिषद की अनुसूची में योगा एवं नेचुरोपैथी डिग्री-डिप्लोमा तथा प्रमाण-पत्र पाठयक्रम भी शामिल किया गया है।

कौंसिल के अधिनियम के अंतर्गत मान्यता प्राप्त संस्थाओं के मिड टर्म निरीक्षण हेतु समस्त संस्थाओं के निरीक्षण हेतु समितियां गठित की जा चुकी है। कुछ संस्थाओं के मिड टर्म प्रतिवेदन परिषद (कौंसिल) को प्राप्त हो चुके हैं, जिस पर कार्यवाही की जा रही है।

प्रदेश में पिछले शैक्षणिक सत्र 2006-07 में राज्य शासन द्वारा स्वशासी एवं निजी क्षेत्र में कुल 81 संस्थाओं को विभिन्न पैरामेडिकल पाठयक्रम के संचालन की अनुमति दी गई है जबकि इसके पहले शैक्षणिक सत्र वर्ष 2005-06 में अनुमति प्राप्त संस्थाओं की संख्या 65 थी।

शासन द्वारा म.प्र. पैरामेडिकल कौंसिल की स्थापना में विभिन्न  श्रेणी के कुल 23 पदों के सृजन की अनुमति दी गई है। इन पदों की पूर्ति हेतु भर्ती की कार्यवाही की जा रही है। कौंसिल ने विभिन्न विषयों की पैरामेडिकल संस्थाएं प्रारंभ करने के लिए वर्ष 2004 से 2008 तक के लिए एक विस्तृत नीति भी तैयार की है। शासन के पूर्व अनुमोदन से जिला स्तर के स्थान पर संभाग स्तर पर सीटों की गणना कर संस्थाओं के प्रकरणों पर विचार किये जाने का निर्णय लेकर समस्त संभागायुक्तों एवं जिला कलेक्टरों को सूचित कर दिया गया है।

 

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है, जिसने पैरामेडिकल के संबंध में एक अधिनियम बनाया है, जो मध्यप्रदेश में प्रभावशील है। विभिन्न पैरामेडिकल पाठयक्रम के लिए बनाई गई विस्तृत नीति के तहत यह आवश्यक हो गया कि निजी एवं स्वशासी क्षेत्र में कार्यरत सह चिकित्सीय कर्मी प्रदेश से मान्यता प्राप्त संस्थाओं से प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार प्राप्त कर सकें। सभी मान्यता प्राप्त संस्थाओं से प्रशिक्षण के उपरांत सह-चिकित्सीय कर्मियों को पंजीयन कराना आवश्यक किया गया है।

 

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