स्वरोजगार के लिए 513 स्व-सहायता समूहों को 15.76 करोड़ रूपये से अधिक की मदद
ग्वालियर, 22 जुलाई 08/ सामूहिक उत्तरदायित्व व साझा प्रयासों से बड़े-बड़े कामों को सफलतापूर्वक अमलीजामा पहनाया जा सकता है । इसी अवधारणा को ध्यान में रखकर ग्वालियर जिले में स्व-सहायता समूहों का विशेष प्रोत्साहन दिया गया है । गत साढ़े चार वर्ष पूर्व प्रदेश में नई सरकार के बनने के बाद इस काम में और तेजी आई। इस दौरान न केवल नये स्व-सहायता समूह गठित किये गये बल्कि इन्हें सरकारी इमदाद से आर्थिक गतिविधियों से भी जोड़ा गया । जिले में 513 स्व-सहायता समूहों में संगठित गरीबी रेखा के नीचे के तकरीबन पाँच हजार परिवारों को बीते चार वर्षों में स्वरोजगार के साधन मुहैया कराये गये हैं। इन समूहों को विभिन्न आर्थिक गतिविधियाँ संचालित करने के लिए बैंकों के माध्यम से 11 करोड़ 17 लाख रूपये से अधिक राशि ऋण के रूप में और लगभग 4 करोड़ 59 लाख रूपये की राशि सरकार द्वारा अनुदान के रूप में इस प्रकार कुल 15 करोड़ 76 लाख रूपये की राशि दी गई है । यह अनुदान सरकार द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जिन्दगी बसर कर रहे परिवारों को आत्म निर्भर बनाने के लिए चलाई जा रही स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत प्रदान किया गया है ।
जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते चार वर्षो के दौरान जिले की जनपद पंचायत मुरार के अन्तर्गत 138 समूहों को स्वरोजगार मूलक गतिविधियाँ संचालित करने के लिए करीबन 386 लाख रूपये का ऋण अनुदान मुहैया कराया गया है । इसी प्रकार जनपद पंचायत बरई में 82 समूहों को करीबन 273 लाख रूपये, डबरा में 154 समूहों को करीबन 483 लाख रूपये तथा जनपद पंचायत भितरवार के अन्तर्गत 139 स्व-सहायता समूहों को लगभग 434 लाख रूपये की राशि ऋण-अनुदान के रूप में प्रदान की गई है । जिले में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत 3 हजार 337 स्व-सहायता समूह गठित किये गये हैं। इनमें से एक हजार 21 समूह मुरार में, 622 बरई में, डबरा में 839 तथा भितरवार में 815 स्व-सहायता समूह गठित किये गये हैं । जिले में गठित कुल समूहों में से एक हजार 514 समूहों ने प्रथम ग्रेडिंग और 901 समूहों ने दूसरी ग्रेडिंग उत्तीर्ण कर ली है ।
जिले के स्व-सहायता समूहों को विशेषकर लघु सिंचाई, पशु पालन, कारपेट, लेदर व टायल्स उत्पाद, आर्टिफीशियल गहने, साबुन उद्योग,झाडू निर्माण,टेण्ट व्यवसाय तथा पेपरमेसी खिलौना उद्योग आदि व्यवसायों से जोड़ा गया है । चमड़े के बेल्ट,पर्स,मोबाइल व डायरी,कवर इत्यादि निर्माण से जुड़ा पुरानी छावनी ग्राम पंचायत का इंदिरा स्व-सहायता समूह हो अथवा चिन्दी दरी निर्माण में संलग्न ग्राम रौरा (बलरामपुरा) का अन्नपूर्णा स्व-सहायता समूह या फिर दलिया निर्माण से जुड़ा ग्राम मस्तुरा का प्रगति स्व-सहायता समूह । इन सभी ने सफलातापूर्वक आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाये हैं । समूहों के सदस्यों द्वारा नियमित बैठकों में जमा की गई छोटी-छोटी बचतों से इन्होंने अपना कोश भी खड़ा कर लिया है और आड़े वक्त में समूह के किसी भी सदस्य को अब किसी महाजन के आगे हाथ फैलाने की अब जरूरत नहीं पड़ती । उनकी आवश्यकता की पूर्ति अपने कोश से हो जाती है और वे आसान किश्त में उधार ली गई राशि को वापस भी जमा करते हैं , जिससे कोश जीवन्त बना रहता है । सदस्यों की मेहनत व सरकारी इमदाद से इन स्व-सहायता समूहों को मजबूती मिली है, जाहिर है वे सफलाता भी प्राप्त कर रहे हैं ।
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