डेंगू बुखार : बचाव, उपचार एवं रोकथाम के उपाय
प्रस्तुति- जनसम्पर्क कार्यालय ग्वालियर
ग्वालियर, 19 जुलाई / 08
डेंगू बुखार एक प्रकार के वायरस, ''डेन वायरस'' भी कहते हैं कि वजह से होता है । एक बार शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद डेंगू बुखार के लक्षण सामान्यत: 5 से 6 दिन के पश्चात मालूम पड़ते हैं । डेंगू बुखार का वायरस एड़ीज नामक मच्छर के काटने से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है । वह मच्छर दिन के समय काटता है । मच्छर के शरीर में एक बार वायरस के पहुंचने के पश्चात यह पूरी जिन्दगी बीमारी फैलाने में समक्ष होता है । |
मादा मच्छर साफ पानी में अण्डे देती है, अण्डे से एक कीड़ा निकलता है, जिसे लार्वा कहते हैं, लार्वा से प्यूपा बनता है एवं फिर मच्छर बन जाता है । लार्वा व प्यूपा अवस्था पानी में रहते हैं और मच्छर पानी के बाहर रहता हैं । अण्डे से मच्छर बनने में करीब एक सप्ताह का समय लगता हैं । मच्छर का जीवनकाल करीब तीन सप्ताह का होता है । एड़ीज मच्छर काले रंग का होता है, जिस पर सफेद धब्बे बने होते हैं, इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता हैं ।
मच्छरों के पैदा होने से रोकें मच्छर एक छोटा से जीव है परन्तु यह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियां फैला सकता है । ये मच्छर आपके घर के अंदर और आस-पास जमा हुये पानी में पैदा होते हैं । मच्छरों के पैदा होने से रोकने के लिये अपने घर के अंदर और आस-पास कहीं पानी को जमा न होने दें । आस-पास के गङ्ढों को जहां पानी जमा हो सकता है भर दें । कचरे, अनुपयोगी सामानों को हटा दें अथवा नष्ट करे दें । एयर कूलर, ड्रम, फूलदान, पौधों के गमलों, पक्षियों के नहाने के स्थान हर सप्ताह खाली करके सुखाएं । कुएं, तालाबों, पानी के बड़े पूल में मच्छरों का लार्वा खाने वाले गमबूशिया मछली छोड़ें। शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहने तथा सोते समय कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें । |
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के घरों में आजकल पानी का संचय करने की प्रवृति होने से अकसर सभी व्यक्ति घरों में पानी कंटेनर में 5-7 दिन से ज्यादा रखने लगे हैं । ये कंटेनर हैं - सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक की टंकी, पानी का हौद, नांद मटका,घरों में रखे हुऐ फूलदान,जिसमें अकसर पानी प्लांट लगाते हैं, पशुओं के पानी पीने के स्थान, टायर,टूटे,फूटे सामान, जिनमें बारिश का पानी जमा होता रहता है में एड़ीज मच्छर पैदा होते हैं । अकसर यह देखते हैं कि ये कंटेनर ढंके हुए नहीं रहते हैं, जिससे इनमें मच्छर पैदा होते रहते हैं, यदि हम इन कंटेनर में भरे हुए पानी को गौर से देखें तो इनमें कुछ कीड़े लार्वा ऊपर नीचे चलते हुए दिखाई देते हैं, ये ही कीड़े मच्छर बनते हैं । अब हमें ज्ञात हैं कि कीड़ों से मच्छर बनते हैं और मच्छर से डेंगू बीमारी फैलती है तो इन कीड़ो का नाश करना बहुत जरूरी हैं । हम जानते हैं कि लार्वा पानी में रहते हैं, इसलिये इन सभी कंटेनर में से प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिए और साफ करके फिर से पानी भरना चाहिए । इन सभी कंटेनर को इस प्रकार से ढंककर रखना चाहिए कि इनमें मच्छर प्रवेश नहीं कर सकें और अण्डे नहीं दे सकें । ये कीड़े स्पष्ट दिखाई देते हैं , इसलिए इन्हें चाय की छन्नी से भी निकाला जा सकता है । ये कीड़े पानी से बाहर निकलाने के बाद स्वत: मर जाते हैं । इस प्रकार का अभियान अपने घर में चलाकर मच्छरों की उत्पत्ति रोकना हैं । केरोसिन में मिलाकर छिड़कने से मच्छर नष्ट होते हैं, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध हैं । मच्छरों के काटने से बचने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं, जैसे पूरी बांह के कपड़े पहनें, पूरा शरीर ढंककर रखें, मच्छरदानी में सोए, नीम की पत्ती का धुंआ घर में कर सकते हैं, खिड़की -दरवाजों में मच्छरपूफ जाली लगायें ।
बीमारी के लक्षण तेज बुखार के साथ कपकंपी, सिर दर्द, पसीना आने के लक्षण हों तो अपने निकटतम स्वास्थ्य कर्मी अथवा स्वास्थ्य इकाई से तत्काल सम्पर्क कर उपचार लें । |
सामान्यत: बुखार 102 से 104 डिग्री फेरानाइट, जो लगातार 2 से 7 दिन कीअवधि तक रहता हैं । बुखार के साथ-साथ यदि तेज सिरदर्द होना, आंखों के आसपास दर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना, जोड़ों में दर्द, शरीर पर चकते बनना आदि में से एक से लक्षण भी हो तो डेंगू की संभावना रहती हैं । साथ ही यदि उपरोक्त के साथ-साथ मसूड़ों से अथवा आंतों से रक्तस्त्राव का होना अथवा खून में ब्लउप्लेट का कम होना लक्षण पाये जायें तो यह गंभीर प्रकार का डेंगू बुखार हो सकता हैं जो घातक हो सकता हैं । इसमें तत्काल अस्पताल में इलाज लेना चाहिए ।
डेंगू की जांच हेतु रक्त के नमूने राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान,दिल्ली तथा राष्ट्रीय विषाणु रोग संस्थान पूणें भेजे जाते हैं, वहीं उनकी जांच होती हैं । आजकल जांच हेतु रेपिड डाइग्नोस्टिक किट भी उपलब्ध हो रहे हैं । बुखार होने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क किया जाना चाहियें । डेंगू बुखर एक वायरस की वजह से होता हैं एव वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं निकलता हैं, न ही इस बीमारी के अभी तक टीके इंजाद हुए हैं, इस लिए मरीज में बीमारी के जो-जो लक्षण दिखाई देते है, उसी अनुसार मरीज को उपचार किया जाता हैं । मरीज को सेलिसिलेट, व एस्प्रिन गोली का सेवन नहीं करना चाहिए, पैरासिटामोल गोली का सेवन किया जा सकता है किन्तु उपचार डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए सामान्यत: 80 से 90 प्रतिशत मरीज 5 से 7 दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं । यदि हेमोरेजिक डेंगू फीवर होता है तो वह घातक हो सकता हैं जी हाँ । इसके एक बार से ज्यादा होने की संभावना रहती है अत: सावधानी बरते ।
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