शुक्रवार, 7 मार्च 2008

शिफा बनी लाड़ली लक्ष्मी - सफलता की कहानी

शिफा बनी लाड़ली लक्ष्मी  - सफलता की कहानी

 

ग्वालियर 5 मार्च 08 । अपनी बिटिया को अच्छे स्कूल में तालीम दिलाने की शबनम की तमन्ना अब पूरी हो सकेगी । शबनम के इस ख्वाव को हकीकत बनाने का रास्ता प्रदेश सरकार की ''लाड़ली लक्ष्मी योजना'' ने दिखाया है ।

       ग्वालियर नगर के स्टेट बैंक चौराहे के समीप स्थित न्यू कॉलोनी नम्बर-2 में निवासरत एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाली शबनम ने करीबन डेढ़ वर्ष पूर्व बेटी को जन्म दिया । फूल सी कोमल बेटी को अपनी गोद में पाकर शबनम और उसका शौहर तमीम कुर्रेशी को ऐसा लगा मानो जन्नत की सारी खुशियां उनके आंगन में उतर आई हैं । इस दम्पत्ति को पहले से बेटा था और इस बार बेटी की मन्नत खुदा से मांग रखी थी । शबनम ने अपनी बिटिया का नाम ''शिफा'' रखा और वह तमन्ना पाल बैठी कि हम अपनी बिटिया को अच्छे स्कूल में तालीम दिलायेंगे । लेकिन आर्थिक तंगी की बजह से उसे हमेशा अंदेशा रहता कि उसकी यह तमन्ना पूरी होगी भी या नही ? रेलवे में छोटे से पद पर कार्यरत तमीम कुर्रेशी पर संयुक्त परिवार की सारी जिम्मेदारी है । पिता की असामायिक मृत्यु होने से बहिनों की परवरिश व उनके निकाह का जिम्मा भी उसके ऊपर ही था । तभी उसने एक दिन अखबार में पढ़ा कि मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश की सभी बेटियों को गोद लिया है और उनके समग्र कल्याण के लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की है। तमीम को आशा की किरण नजर आई और उसने यह खबर अपनी पत्नी शबनम को पढ़ाई । शबनम के तो मानो पर निकल आये और वह दौड़ी-दौड़ी अपने आंगनबाड़ी केन्द्र पहुंची । वहां से उसने लाड़ली लक्ष्मी योजना के बारे में सारी जानकारी जुटाई और अपनी बिटिया का आवेदन प्रस्तुत कर दिया । बुधवार 5 मार्च को बिरलानगर प्रसूति गृह में प्रोजेक्ट मुस्कान के तहत आयोजित शिविर में स्वास्थ्य परीक्षण के लिये पहुंची शबनम को जब बताया गया कि उसकी बिटिया भी लाड़ली लक्ष्मी बन गई है तो वह खुशी से झूम उठी । शिविर में ही जब जिला कार्यक्रम अधिकारी ने 6 हजार रूपये का राष्ट्रीय बचत पत्र प्रदान किया तो उसकी आंखे खुशी से छलक आईं । वह खुश होकर कहने लगी कि प्रदेश सरकार ने बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों की खुशहाली पर ध्यान दिया है । उसका कहना था कि हम मुस्लिम समुदाय से हैं हमारी बिटिया को भी सरकार ने गोद लिया है । लाड़ली लक्ष्मी योजना तो हमारे लिये वरदान बन गई है अब हम न केवल अपनी बेटी को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलायेंगे बल्कि जब वह बड़ी होगी और उसका निकाह होगा तब सरकार से मिले एक लाख 18 हजार रूपये की राशि देकर उसे खुशी-खुशी विदा भी करेंगे ।

 

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