करीबन 498 रूपये की लागत से होगा 8299 हेक्टेयर भूमि का उपचार
कलेक्टर की अध्यक्षता में सम्पन्न जिला सलाहकार समिति द्वारा 12 नईं माइक्रो वाटर शेड परियोजनायें अनुमोदित
ग्वालियर 26 मई 08 । वर्षा आश्रित राष्ट्रीय जल ग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत 11वीं पंचवर्षीय योजना में जिले में करीबन 498 लाख रूपये की लागत से लगभग 8 हजार 299 हेक्टेयर भूमि उपचारित की जायेगी । जिला कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई जिला स्तरीय जल ग्रहण क्षेत्र सलाहकार समिति ने 12 नई माइक्रो वाटर शेड परियोजनाओं के प्रस्तावों को अनुमोदित किया । किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के माध्यम से संचालित वर्षा आश्रित राष्ट्रीय जल ग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत जिले के सभी विकासखंडों में एक-एक मिली वॉटर शेड परियोजना मंजूर हुई है । इनके अंतर्गत 5 माइक्रो वॉटर शेड परियोजनाओं पर पूर्व से ही कार्य चल रहा है । आज जिला सलाहकार समिति द्वारा अनुमोदित 12 और परियोजनाओं को मिलाकर जिले में माइक्रो वाटर शेड परियोजनाओं की संख्या 17 हो गई है। यहां राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में सम्पन्न हुई जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक में जिला पंचायत की उपाध्यक्ष श्रीमती बादामी बाई, जनपद पंचायत भितरवार की अध्यक्ष श्रीमती वंदना किरार, गिर्द विधायक के प्रतिनिधि श्री करन सिंह किरार, सरपंच, ग्राम पंचायत सिकरौदा श्री नवल सिंह, उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विभाग श्री जे.एस. यादव, उप संचालक उद्यानिकी विभाग श्री महावीर सिंह तोमर तथा समिति के अन्य सदस्यगण मौजूद थे ।
जिला सलाहकार समिति द्वारा आज सम्पन्न हुई बैठक में जनपद पंचायत मुरार की मिली वाटर शेड परियोजना गोवई के अंतर्गत बीरमपुरा, भेला खुर्द व चंदपुरा माइक्रोवाटर शेड परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया । इसी प्रकार जनपद पंचायत डबरा की मिलीवाटर शेड परियोजना बिलौआ के अंतर्गत लखनपुरा, बिलौआ -2 व बिलौआ-3, जनपद पंचायत भितरवार की मिलीवाटर शेड परियोजना अमरोल के अंतर्गत भारस बड़ेरा, तोड़ा व धिरोली तथा जनपद पंचायत भितरवार की मिलीवाटर शेड परियोजना सोजना के अंतर्गत पृथ्वीपुरा, मेहदीपुर व महेश्वरा माइक्रोवाटर शेड परियोजना का अनुमोदन भी जिला सलाहकार समिति ने किया है ।
जिला कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव ने सलाहकार समिति की बैठक में संबंधित अधिकारियों से कहा कि वाटर शेड के कार्यों को मूर्त रूप देने में ग्रामीणों के परंपरागत ज्ञान व कौशल को भी शामिल करें । उन्होंने कहा कि कार्य इस प्रकार से करायें जायें, जिससे कृषि उत्पादकता में वृध्दि के साथ-साथ ग्रामीण कुटीर उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिले और ग्रामीण समुदाय का आर्थिक विकास हो सके । जिला कलेक्टर ने उप संचालक कृषि सहित वाटर शेड परियोजना अधिकारियों को हिदायत दी कि स्वीकृत जल ग्रहण क्षेत्र के सभी जल स्त्रोतों व जल स्तर को लिपिबध्द करें । साथ ही काश्तकार व फसलों का रकबा, बी.पी.एल. परिवार आदि आधारभूत जानकारी को भी लिपिबध्द किया जाये । उन्होंने कहा कि वाटर शेड के कार्यों के बारे में जनप्रतिनिधियों को जानकारी दें और उन्हें क्षेत्र भ्रमण भी करायें । कलेक्टर ने साफतौर पर कहा कि सभी कार्य इस प्रकार से करायें जिससे कृषि उत्पादन एवं जल स्तर में बढ़ोत्तरी स्पष्ट रूप से दिखाई दे ।
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