भू-जल संवर्धन के लिये उद्योगपति आगे आयें - प्रो. गौतम
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यशाला सम्पन्न
ग्वालियर 26 मई 08 । भू-जल स्तर में आई गिरावट भी ग्लोबल वार्मिंग का बहुत बड़ा कारण है । इसलिये जमीन के अंदर पानी पहुंचाना आज की महती आवश्यकता है । केवल सरकार पर निर्भर रहकर जल संरक्षण व संवर्धन संभव नहीं है । यह सभी के सहयोग व सहकारिता से संभव होगा । उक्त आशय के विचार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. एस.पी. गौतम ने ''उद्योगों में वेस्ट हीट रिकबरी की सभावनायें एवं रेन वॉटर हार्वेंस्ंटिग'' विषय पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किये । उन्होंने भू-जल संवर्धन को पानी के पुनर्वास की संज्ञा देते हुये कहा इस काम में उद्योगपतियों को आगे आकर पहल करनी चाहिये । यहां एक स्थानीय होटल में सम्पन्न हुई इस कार्यशाला के उद्धाटन सत्र की अध्यक्षता महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने की । इस अवसर पर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) के अध्यक्ष श्री जयसिंह कुशवाह, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य श्री दौलत राम गुप्ता व जे.के. टायर इण्डस्ट्रीज के उपाध्यक्ष श्री आर.सी.सिंह विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे । कार्यशाला में ग्वालियर एवं चंबल अचंल की विभिन्न औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधि व संभाग के विभिन्न नगरीय निकायों के अधिकारियों सहित अन्य संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया ।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. एस.पी. गौतम ने कहा कि जमीन के भीतर पानी की उपलब्धता से स्वत: ही वनीकरण होने लगता है और ग्लोबल वार्मिंग भी कम हो जाता है । उन्होंने बरसाती नदियों के आरंभिक मुहाने से ही स्टॉप डेम की श्रंखला बनाने पर बल देते हुये उद्योगपतियों का आह्वान किया कि वे जल संरक्षण के इस काम में हाथ बटाने के लिये आगे आयें । प्रो. गौतम ने ऊर्जा के अत्याधिक उपयोग को प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण बताया । उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाईयों में ऐसी तकनीक अपनानी चाहियें जिससे ऊर्जा संरक्षित हो । प्रो. गौतम ने कहा कि उद्योगों के वेस्टेज से भी 500 से 600 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है । उन्होंने पॉलीथीन, गुटकों के पाउच आदि प्लास्टिक कचरे को एकत्रित करने की बात कही । प्रो. गौतम ने बताया कि सीमेण्ट फैक्ट्रीज में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल ईंधन के रूप में होने लगा है ।
उन्होंने कहा कि गेहूं के डंठलों को खेतों में ही जला देने से बॉयोमास की क्षति होती है, जिससे जमीन की उत्पादन क्षमता घट जाती है । साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है । इसलिये किसानों को इसके प्रति जागृत करना होगा ।
महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने पॉलीथीन कचरा प्रबंधन और जल संरक्षण के लिये प्रायवेट पब्लिक पार्टनशिप पर बल देते हुये कहा कि यह सभी की भागीदारी से संभव होगा । नगर निगम ने इस दिशा में पहल भी की है और लेण्डफिल साईट संयत्र का निर्माण कर नगर के कचरे का प्रबंधन किया जा रहा है। महापौर ने कहा कि लोग अब रेन वॉटर हार्वेस्ंटिग संरचनायें बनाने के लिये आगे आ रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस काम में तकनीकी मार्गदर्शन देने की पहल करे, जिससे लोग अच्छी और कारगर जल संरचनायें बना सकें ।
साडा के अध्यक्ष श्री जयसिंह कुशवाह ने कहा कि छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट भी पानी बचाने के अच्छे माध्यम साबित हो रहे हैं । अत: इसे बढ़ावा देने में उद्योगपति सहयोग करें । उन्होंने पद्मा विद्यालय एवं विवेकानंद नीडम में जल प्रबंधन पर हुये सफल प्रयोगों का उदाहरण देकर छोटी-छोटी जल संरचनायें बनाने पर बल दिया ।
कार्यशाला में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य श्री दौलतराम गुप्ता व जे.के. टायर इण्डस्ट्रीज के उपाध्यक्ष श्री आर.सी. सिंह ने भी अपने विचार रखे । प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्री आर.के. गुप्ता ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यशाला के विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला । कार्यशाला का संचालन सुश्री रूचि गांधी ने किया । कार्यशाला के तकनीकी सत्र में डॉ. आनंद राय, श्री के.के. श्रीवास्तव तथा ए.सी.सी. कैमूर व सतना सीमेण्ट के प्रतिनिधियों ने विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला ।
पारदर्शिता पर विशेष ध्यान
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा और बोर्ड को पेपरलेस कार्यालय बनाने के लिये प्रभावी कदम उठाये गये हैं । बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. एस.पी. गौतम ने आज सम्पन्न हुई कार्यशाला में जानकारी दी बोर्ड के काम-काज व गतिविधियों को कम्प्यूटरीकृत कर ऑन लाइन किया गया है। कोई भी व्यक्ति इंटरनेट के जरिये बोर्ड के क्रियाकलापों व कार्रवाई के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।
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