मास्टरों से सूने नहीं रहेंगे अब सरकारी स्कूल, रिटायर होने पर भी पढ़ाएंगे पूरे साल
अधबीच में नहीं छूटेगी पढ़ाई, मिलेगी पुनर्नियुक्ति, जरूरी नहीं होगी वित्त विभाग की मंजूरी
भोपाल : 25 मई, 2008
प्रदेश में अब यह गुजरे जमाने की बात होने जा रही है कि कोई सरकारी स्कूल मास्टरों को लेकर सूना पड़ जाए और इसी वजह से शैक्षणिक सत्र के ठीक बीचों-बीच छात्रों की पढ़ाई पर असर आ जाए। शिक्षा के क्षेत्र में एक साफ-सुथरा माहौल आने वाले कल के लिये तैयार करने की कई अन्य कोशिशों की कड़ी में सरकारी स्कूलों के रिटायर होने वाले मास्टरों को पूरे सत्र तक पढ़ाने के लिये पुनर्नियुक्ति दिया जाना भी शामिल किया गया है। इसके लिये मास्टरों की श्रेणी के अनुरूप विभिन्न स्तरों पर कार्रवाई के अधिकार दिये गये हैं। इन मामलों में सत्र के समाप्त होने तक वित्त विभाग से सहमति की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यह कवायद सरकारी स्कूलों में तैनात ऐसे सभी शिक्षकों की वजह से की जा रही है जो शिक्षा सत्र के ठीक बीच यानि एक नवंबर के बाद रिटायर होते हैं। पढ़ाई के लिये बाकी के महीने ही सबसे खास और निर्णायक इसलिये होते हैं कि उसी दौरान हाफ इयरली और एन्युअल एक्जाम से छात्रों को दो-चार होना है। अब अगर पता चले कि फलां टीचर दिसंबर, जनवरी या इसके अगले दो महीनों में रिटायर होने वाले हैं तो पढ़ाई को लेकर छात्रों का परेशान और विचलित हो जाना लाजिमी ही तो होगा। मझधार में होने की उस विकट स्थिति को महसूस करके ही इससे छात्रों को निजात दिलाने का फैसला किया गया है।
सरकारी स्कूलों में एक नवंबर के बाद रिटायर होने वाले सभी वर्गों के शिक्षकों को पूरे सत्र के लिये स्कूल में मौजूद रखना इस फैसले का मकसद है। तय यह किया गया कि इन्हें 30 अप्रैल तक के लिये पुनर्नियुक्ति दी जायेगी। इस रास्ते को और आसान बनाने के लिये यह भी तय कर दिया गया है कि पुनर्नियुक्ति के इन मामलों में वित्त विभाग की सहमति लेने की जरूरत नहीं है। इसे जनवरी में पहले से ही हासिल किया जा चुका है। ऐसे में वित्त विभाग के जरिये महालेखाकार के आदेश पृष्ठांकन की जरूरत भी स्वत: ही नहीं रहेगी।
पुनर्नियुक्ति देने का यह फैसला सहायक शिक्षकों से लेकर शिक्षा महाविद्यालय के प्राध्यापक और प्राचार्यों तक पर लागू होगा। शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों के मद्देनजर ही यह भी तय किया गया है कि पुनर्नियुक्ति आदेश जारी किये जाने की प्रक्रिया में बेवजह देरी न हो। इसके लिये विभिन्न स्तरों पर आदेश देने के अधिकार बांटे गये हैं।
इस सिलसिले में जारी आदेश के मुताबिक सहायक शिक्षकों के पुनर्नियुक्ति आदेश जिला शिक्षा अधिकारी देंगे। ऐसे प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों का मामला संभागीय लोक शिक्षण संयुक्त संचालक निपटा देंगे। जहां तक उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के व्याख्याताओं और प्राचार्यों का सवाल है तो उन्हें पुनर्नियुक्ति आयुक्त लोक शिक्षण देंगे। शिक्षा महाविद्यालयों के सहायक प्राध्यापकों और व्याख्याताओं के लिये ऐसे आदेश जारी करने का अधिकार संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के जिम्मे किया गया। राज्य शासन सिर्फ शिक्षा महाविद्यालयों के प्राचार्यों और प्राध्यापकों के लिये यह आदेश जारी करेगा।
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