मंगलवार, 20 मई 2008

मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रधानमंत्री से आतंकवाद पर मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाने का आग्रह

मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रधानमंत्री से आतंकवाद पर मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाने का आग्रह

आतंकवाद के विरूध्द प्रभावी सहयोग एवं सतत प्रयास आवश्यक

मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने हाल ही में जयपुर में हुए आतंकवादी बम विस्फोटों में निर्दोष नागरिकों की मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से जयपुर की आतंकवादी घटनाओं से उत्पन्न सुरक्षा संबंधी मामलों पर विचार विमर्श के लिये तत्काल सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि केन्द्र सरकार जयपुर के आतंकवादी विस्फोटों को गंभीरता से नहीं लेने के साथ ही आतंकवाद को समाप्त करने के लिये हर संभव कदम उठाने का संदेश देने में भी असफल रही है।

श्री चौहान ने पत्र में कहा है कि आतंकवाद के विस्तार से हमारे राष्ट्र की एकता, शांति और अखंडता को खतरा है। श्री चौहान के अनुसार आतंकवाद के विरूध्द दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति तथा राष्ट्रीय सहमति तात्कालिक आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार ने बगैर कोई वैकल्पिक प्रावधान किये आतंकवाद के विरूध्द लागू वर्ष 2002 के पोटा अधिनियम को समाप्त करने का प्रतिगामी कदम उठाया। इससे राज्य आतंकवाद के विरूध्द अपर्याप्त एवं अप्रभावी कानूनों का सहारा लेने के लिये मजबूर है। परिणाम स्वरूप जयपुर के हाल के आतंकवादी हमलों पर भी वर्तमान में लागू सामान्य कानूनों के अंतर्गत कार्रवाई की जाना होगी।

इस संदर्भ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पत्र में आतंकवाद, संगठित अपराध तथा विध्वंसक गतिविधियों को प्रभावी रूप से रोकने के लिये मध्यप्रदेश में प्रस्तावित आतंकवादी एवम् उच्छेदक गतिविधियां तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2007 का उल्लेख किया है जो दिसम्बर 2007 में स्वीकृति के लिये केन्द्र सरकार को भेजा गया है। कई बार स्मरण कराए जाने के बाद भी इसकी स्वीकृति अभी तक नहीं मिली है जबकि महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में मकोका और अन्य आतंकवाद विरोधी कानून पहले से लागू हैं। यह दुख का विषय है कि केन्द्र सरकार गैर-यू.पी.ए. शासित राज्यों के प्रस्तावों पर अलग रूख अपनाती है तथा राष्ट्रीय हितों को ध्यान में नहीं रखती।

श्री चौहान ने कहा है कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में आतंकवाद के विरूध्द प्रभावी ढंग से कार्रवाई केन्द्र तथा राज्यों के मध्य आम सहमति, प्रभावी सहयोग तथा लगातार प्रयासों से ही सुनिश्चित हो सकती है। आतंकवादी संगठनों के विरूध्द प्रभावी निरोधात्मक कार्रवाई केन्द्रीय गुप्तचर ऐजेंसियों द्वारा सुस्पष्ट एवं कार्रवाई योग्य सूचनाओं के समय पर आदान-प्रदान से ही संभव है। हालाकि वर्तमान में ऐसी सूचनाएं बहुत कम मिल पाती हैं। श्री चौहान ने अपने पत्र में केन्द्रीय गुप्तचर ऐजेंसियों की क्षमता बढ़ाने तथा राज्यों को आवश्यक वित्तीय एवं तकनीकी सहायता दिये जाने की आवश्यकता बतायी है ताकि राज्य अपनी गुप्तचर व्यवस्था को मजबूत बना सकें।

श्री चौहान ने प्रधानमंत्री को आतंकवाद के विरूध्द कानूनी प्रावधानों को और सशक्त बनाने तथा देश में अपराध न्याय व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिये न्यायाधीश मल्लीमथ समिति की सिफारिशों पर तत्काल अमल का सुझाव दिया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि इसके बगैर हम आतंकवाद, संगठित अपराध तथा आतंरिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना नहीं कर पायेंगे तथा भावी पीढ़ियों को सुरक्षित तथा शांत राष्ट्र नहीं दे पायेंगे।

अंत में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आशा व्यक्त की है कि जयपुर शहर के आतंकवादी हमले केन्द्र सरकार को आतंकवाद के विरूध्द संघर्ष के लिये और अधिक गंभीर तथा सउद्देश्य लगातार कदम उठाने के लिये प्रेरित करेंगे तथा केन्द्र सरकार ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये हर संभव कदम उठाएगी।

कोई टिप्पणी नहीं: