सिटीजन रिपोर्ट कार्ड (नागरिक प्रतिवेदन पत्र) पर संक्षिप्त विवरण
सिटीजन रिपोर्ट कार्ड प्रमुखत : किसी शहर की मूलभूत सेवाओं की जानकारी नगर वासियों के दृष्टिकोण से समझने में सहायक होते है । सही मायने में सिटीजन रिपोर्ट कार्ड नगरवासियों द्वारा ली जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता,कार्यकुशलता, व पर्याप्तता के विषय के विषय में उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकते हैं। साथ ही वे सेवा प्रदाता द्वारा जो समस्यायें महसूस करते है उन्हेै भी वास्तविक रूप में प्रकट करते हैं।
सिटीजन रिपोर्ट कार्ड का अध्ययन कई शहरों मे किया गया हेै। इस तरह के अध्ययन मूलभूत सेवाओं की गुणवत्ता,कार्यकुशलता व पर्याप्तता में सुधार लाने के उद्देश्य से किये जाते है। प्रबुध्द समाज के लिये यह आवश्यक है कि सी.आर.सी. के माध्यम से एकत्रित जानकारी बहुत ही स्पष्ट,सरल और अनुसरण करने योग्य हो।
मध्यप्रदेश राज्य के चार प्रमुख शहरों इंदौर, भोपाल,जबलपुर एवं ग्वालियर में सिटीजन रिपोर्ट कार्ड का सर्वे यू.एन. हेबीटेट , प्रोजेक्ट उदय व एन.सी.एच.एस. ई. संस्था द्वारा विगत जनवरी माह में किया गया।प्रस्तावित अध्ययन में प्रदाय की जा रही नगरीय सेवायें जेसे जल आपूर्ति,स्वच्छता,ठोस कचरा निवारण, स्ट्रीट लाईट,सार्वजनिक यातायात, स्वास्थ्य सुविधा,संचार व्यवस्था , सड़क व फुटपाथ ,भवन निमार्ण योजना, सार्वजनिक पार्क सांस्कृतिक सुविधा, सार्वजनिक पार्किंग व अन्य सेवाये हेतु सिटीजन रिर्पोट कार्ड के माध्यम से जानकारियां एकत्रित की गई ।
इसके पहले 15 सितम्बर 2007 को भोपाल में इस विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया ,जिसमें माननीय नरोत्तम मिश्रा (नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री) तथा उनके साथ श्री सुनील सूद (महापौर नगर निगम भोपाल),श्री कुलवंत ंसिह (चीफ टेक्नीकल एडवाइजर यू.एन. हेवीटेट) ने अपना उद्बोधन दिया था।
विगत जनवरी 2008 में ग्वालियर के चार क्षेत्रों के तीन-तीन वार्डो में सेम्पल सर्वे किया गया। जिसमें उच्च आय वर्ग,मध्यम आय वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों का सर्वे किया गया।
पेयजल की उपलब्धता
सर्वे में यह पाया गया कि ग्वालियर शहर में 87प्रतिशत लोगों घर पर पानी उपलब्ध है जबकि 13 प्रतिशत लोग घर के बाहर से पानी लाते है। इसके अन्तर्गत यह भी पता चला कि ग्वालियर नगर निगम द्वारा 80 प्रतिशत घरों को वाटर सप्लाई सिस्टम से जोड़ा गया है। जिसमें :
पाईप द्वारा 77.5 प्रतिशत
टयूब वेल द्वारा 15 प्रतिशत
हेडपम्प द्वारा 7 प्रतिशत
कुंए द्वारा 0.5 प्रतिशत
के आधार पर पानी मिल रहा है।
सर्वे किये गये परिवारों से ये भी पता चला कि कितने घरों में शुध्द जल की उपलब्ध्ता है।
उपलब्ध शुध्द जल 89 प्रतिशत
उपलब्ध अशुध्द जल 11 प्रतिशत
इसमें से 22 प्रतिशत पानी के स्त्रोत में वर्षा का जल मिल जाता है, 21 प्रतिशत में सीवर का दूषित जल मिल जाता है, 16 प्रतिशत में ठीक ढंग से पाईप लाईन जोइंट नही है और बाकी 4 प्रतिशत पानी ठीक ढंग से कवर्ड नहीं है।
अगर पानी की उपलब्धता के आधार पर देखा जाये तो 71 प्रतिशत घरों में आवश्यकतानुसार पानी की कमी महसूस की गई है। जिसके अन्तर्गत 68 प्रतिशत घरों में 15 दिन, 28 प्रतिशत में 16-30 दिन और
4 प्रतिशत में 30 दिन से ज्यादा आवश्यकतानुसार पानी की कमी महसूस की गई है।
पानी की कमी को दूर करने के लिए 46 प्रतिशत घरों में कोई खर्च नहीं करना पड़ता है बाकी 54 प्रतिशत घरों में 100 से 1000 रूपये तक खर्च करना पड़ता है। जिसमें से ज्यादातर लोग 100 से 500 रूपये तक खर्च करते है।
पानी को प्राप्त करने के लिए लोगों द्वारा 2 से 5 घंटे का समय देना पड़ता है।
बाहरी पानी की उपलब्ध्ता के आधार पर देखा जाये तो 68 प्रतिशत पानी शुध्द है जबकि 32 प्रतिशत पानी अशुध्दहेै।
यदि पानी के बिल के भुगतान की बात की जाये तो 18 प्रतिशत लोग पानी का भुगतान नही करते जबकि 82 प्रतिशत लोग जो पानी का भुगतान करते है उनमें से ज्यादातर 50 से 80 रूपये तक भुगतान करते हैं।
सर्वे के अन्तर्गत यह निष्कर्ष भी निकला कि 80 प्रतिशत लोगों ने पानी की असुविधा के लिए नगर निगम को शिकायत के रूप में अवगत कराया। जिसमें निम्नानुसार कार्यवाही की गई।
61 प्रतिशत ( 2 से 3 दिन में )
18 प्रतिशत ( 4 से 7 दिन में )
10 प्रतिशत ( 8 से 15 दिन में )
3 प्रतिशत ( 16 से 30 दिन में )
8 प्रतिशत ( 30 दिन से अधिक )
जल प्रदाय की व्यवस्था के बारे में लोगों की राय इस प्रकार रहीं।
6 प्रतिशत (जल प्रदाय व्यवस्था बहुत अच्छी है)
20 प्रतिशत (जल प्रदाय व्यवस्था अच्छी है)
12 प्रतिशत (जल प्रदाय व्यवस्था अच्छी नहीं है।)
12 प्रतिशत (जल प्रदाय व्यवस्था बिलकुल अच्छी नहीं है)
बाकी 50 प्रतिशत की राय मिलीजुली रहीं।
शौचालय की उपलब्धता
स्वच्छता : स्वच्छता के बारे में किये गये सर्वे से यह पता चला कि 95.6 प्रतिशत घरों में शौचालय है। जबकि 4 प्रतिशत लोग बाहर शौच के लिए जाते है और बाकी 0.4 प्रतिशत लोग सामुदायिक शौचालय उपयोग करते है।
सीवर सिस्टम : इस सर्वे के अनुसार 79 प्रतिशत लोग सीवर लाईन से जुड़े हुए हैं।सीवर लाईन चौक होने के मामले में यह पाया गया कि एक साल में कितनी बार सीवर लाईन चोक होती है जिसकी सूचना नगर निगम को दी जाती है। 58 प्रतिशत लोग सीवर चोक होने की सूचना नगर निगम को देते हैं।
प्रतिशत के आधार पर देखा जाये तो ,
56 प्रतिशत ( 3 बार सीवर लाईन चौक होती है )
25 प्रतिशत ( 4 से 6 बार )
19 प्रतिशत ( 6 बार से अधिक )
सीवर लाईन शिकायत का निवारण
नगर निगम द्वारा ( 69 प्रतिशत )
स्वयं द्वारा ( 22 प्रतिशत )
सोसायटी द्वारा ( 7 प्रतिशत )
बिल्डर द्वारा ( 2 प्रतिशत )
सीवर शिकायत निवारण में लगने वाला समय
प्रतिशत के आधार पर देखा जाये तो -
83 प्रतिशत (शिकायत का निवारण 2 दिन में कर दिया जाता हेै।)
10 प्रतिशत (शिकायत का निवारण 7 दिन में कर दिया जाता है।)
7 प्रतिशत (शिकायत का निवारण्ण 15 दिन में कर दिया जाता है)
ड्रेनेज : सर्वे के अन्तर्गत यह पाया गया कि 64 प्रतिशत घरों में पानी की निकासी की व्यवस्था है। जिसमें 66 प्रतिशत निकासी पक्की है ( सीमेन्ट कंक्रीट) और 34 प्रतिशत कच्ची है ( बिना सीमेन्ट कंक्रीट )
पानी निकासी व्यवस्था में 83 प्रतिशत में नगर निगम का सुपरविजन रहता है
11 प्रतिशत में सोसायटी का
6 प्रतिशत में प्रायवेट लोगों का
नालियों को साफ की करने की प्रकिृया में 67 प्रतिशत एक हफ्ते के अन्दर हो जाती है।
सर्वे में यह पता चला कि मोटे तौर पर सेनीटेशन व्यवस्था 9 प्रतिशत लोगों की राय में अच्छी है,जबकि 57 प्रतिशत लोगों की राय मिली जुली रही। तथा 34 प्रतिशत लोग सेनीटेशन व्यवस्था से संतुष्ट नजर नहीं आये।
ठोस कचरा प्रबन्धन :
सर्वे के दौरान यह प्रतीत हुआ कि चुने हुए 708 घरों के लोगों में से 51 प्रतिशत कचरा प्रबन्धन को सामान्य रूप से
लेते है बाकी के लोग कचरा प्रबन्धन को सामान्य रूप से नहीं लेते है।
यदि कचरा एकत्रित करने की बात करे तो 54 प्रतिशत लोगों का मानना है कि केवल चुने हुए स्थानों से ही कचरा एकत्रित किया जाता है
27 प्रतिशत लोगों की राय में प्रतिदिन कचरा एकत्रित किया जाता है। और 14 प्रतिशत लोगों का मानना है कि एक दिन छोड़कर कचरा एकत्रित किया जाता हेै। 3प्रतिशत लोगों की राय है कि एक या दो हफ्ते में कचरा कभी कभार उठता है। जबकि 36 प्रतिशत का मानना है कि कचरा प्रबन्धन की उचित सुविधा नहीं है।
साफ सफाई के क्षेत्र मे 62 प्रतिशत लोगों का मानना है कि आवश्यकता के मुताबिक साफ सफाई नहीं होती जबकि 38 प्रतिशत लोगों का मानना हेै कि आवश्यकतानुसार साफ सफाई का कार्य होता है।
कचरे के डिब्बे को रखने के स्थान के बारे जब लोगों से बात की गई तो 92 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कचरा पात्र नियत स्थान पर रखा गया है।
जब कचरा प्रबन्धन में शुल्क देने की बात की गई तो 88 प्रतिशत लोगों ने 10 रूपये देने की इच्छा व्यक्त की।
जबकि 11 प्रतिशत लोगों 10 से 20 रूपये देने की इच्छा व्यक्त की तथा 1प्रतिशत लोगों 20रूपये से अधिक देने की इच्छा व्यक्त की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें