बुधवार, 21 मई 2008

स्वच्छता और सफाई की सरकारी योजना

स्वच्छता और सफाई की सरकारी योजना

मीणा # शिव # राकेश*

 

विशेष लेख  (Press information Bureau, Govt. of India)

स्वच्छता अर्थात सफाई व्यवस्था आज भी भारत में एक चुनौती बनी हुई है। आवासों में सफाई का निम्न स्तर अनेक बीमारियों को घर बना हुआ है। लोगों में सामुदायिक भागीदारी, जागरूकता तथा उत्साह की कमी भी सफाई व्यवस्था की समस्याओं का पैदा होने का मुख्य कारण है।

आईएलसीएस

केंद्र सरकार के द्वारा प्रायोजित सस्ती सफाई योजना की शुरूआत 1980-81 में गृह मंत्रालय के अधीन हुई थी ताकि सफाई कमचारियों को इस कार्य से मुक्त किया जा सके। बाद में इसे कल्याण मंत्रालय ने अपने हाथ में ले लिया। 1989-90 से यह शहरी विकास मंत्रालय के द्वारा चलाई गई, फिर उसके बाद शहरी रोजगार और ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा इसे कार्यान्वित किया गया। फिलहाल इसे आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा चलाया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य मौजूदा शुष्क शौचालयों को कम लागत वाली फ्लैश लैट्रिनों में परिवर्तित करना और जहां पर कोई शौचालय नहीं है वहां पर नई फ्लैश लैट्रिनों का निर्माण करना है।

उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य उचित बदलावों एवं स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार दो टैंक वाली फ्लैश लैट्रिनों के ज़रिये कम लागत वाली सफाई व्यवस्था का निर्माण करना अथवा परिवर्तन करना और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों में जहां पर कोई भी शैचालय नहीं है वहां पर नये शौचालयों का निर्माण करना है। साथ ही इसे वहां भी लागू करना है जिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खुले स्थानों पर मल परित्याग करते है। कुल मिलाकर इस योजना से कस्बों में सफाई व्यवस्था में सुधार होगा।

इसके लिए राज्यों अथवा केंद्र शासित क्षेत्र से कस्बों का चयन करते समय वहां की आबादी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों में जहां पर कोई भी शौचालय नहीं है तथा खुले में शौच करने वाले लोगों को पैमाना नहीं बनाया जायेगा। शौचालयों की व्यापकता के आधार पर लक्ष्य निर्धारित किये जायेंगे। जहां पर शुष्क शौचालयों की अधिकता ह,ै उन कस्बों को प्रमुखता दी जाएगी। यह योजना उन सभी कस्बों मे लागू की जायेगी जहां पर शुष्क शौचालय पहले से ही बने हुए है या जहां लोग खुले में ही शौच करते है और उनके पास शौचालय नहीं है।

इस योजना का विस्तार संपूर्ण कस्बें के आधार पर है। इसके लिए प्रस्ताव, स्थानीय निकायों अथवा संगठनों जैसे, आवासीय बोर्ड, स्लम क्लीयरेंस बोर्ड, विकास प्राधिकरण, उन्नति न्यास, जल आपूति एवं व्ययसन बोर्ड, छावनी बोर्ड इत्यादि, के द्वारा जमा कराया जा सकता है जिन्हें राज्य शहरी विकास प्राधिकरण के द्वारा प्राधिकृत किया गया हो ताकि राज्य सरकार कार्यक्रम का कार्यान्वयन कर सके। संबधित शहरी स्थानीय निकाय को यह शपथ पत्र भी देना होगा की आगे से यहां पर किसी भी शुष्क शौचालय का निर्माण नहीं हो पायेगा।

जिस गैर सरकारी संगठन के पास इस क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव हो उसका चयन सरकार को करना चाहिए तथा उसे 15 प्रतिशत अधिक धन दिया जाएगा। योजना का खर्च कुल लागत से अधिक होने पर इसे योजना क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों के दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा 5 : 1 अनुपात के आधार पर वहन किया जाएगा। आगे, गैर सरकारी संगठन को लाभार्थियों का सर्वेक्षण करने की जरूरत होगी और शहरी स्थानीय निकास एक साल के भीतर किये गये सर्वेक्षण के आधार पर  लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप देंगे। गैर सरकारी संगठन, परिवर्तित इकाइयों के रखरखाव तथा संचालन को देखने के लिए एक बायोमैट्रिक कार्ड जारी करेंगे और चिन्हित किये गये लाभार्थियों के ज़रूरतों को सुनिश्चित करने  के बाद  शहरी स्थानीय निकास अथवा विकास प्रधिकारियों के द्वारा तैयार किये गये आकलनों तथा परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के वास्ते प्रशिक्षण कार्यक्रमों या संगोष्ठियों का आयोजन करेंगे। इस योजना का विस्तार उन सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों तक होगा जहां पर शुष्क शौचालय मौजूद है और जहां पर कोई भी शैचालय नहीं है वहां पर नये शौचालय बनाये जाऐंगे। यह योजना केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों तक ही सीमित रहेगी।

वित्तीय स्वरूप

इस योजना के लिए धन इस प्रकार से मुहैया कराया जाएगा :-

Ø     केंद्र सरकार के द्वारा 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकार के द्वारा 15 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा और लाभार्थियों से 10 प्रतिशत सहायता ली जाएगी। केंद्र सरकार के द्वारा सहायता राशि की दूसरी किस्त, जोकि राज्यों अथवा केंद्र शासित क्षेत्रों के लिए निर्धारित है, तभी जारी की जाएगी जब पहले राज्य सरकार अपने हिस्से की धनराशि की पहली किस्त जारी कर देगी। केंद्र सरकार की सहायता राशि सीधे तौर पर जारी की जाएगी। धनराशि राज्य शहरी विकास एजेंसी (एसयूडीए), ज़िला शहरी विकास एजेंसी (डीयूडीए) या राज्य सरकार द्वारा निश्चित की गई अन्य किसी एजेंसी को जारी की जाएगी। शहरी आधारभूत सेवाऐं कार्यक्रम के लिए चयन की गई नगर पालिका की समुदाय विस्तारित इकाइयों और गैर सरकारी संगठनों की सेवाओं का उपयोग, समुदाय को प्रेरित करने तथा तकनीकी सहायता के लिए किया जाएगा।

Ø     कठिनाई भरे या पहाड़ी क्षेत्राें वाले राज्यों को छोड़, बाकी राज्यों में पूरी तरह से निर्मित प्रत्येक दो टैंक वाली फ्लैश लैट्रिन के लिए अधिकतम 10,000 रु0 की धनराशि निश्चित की जा सकती है। कठिनाई भरे या पहाड़ी क्षेत्राें वाले राज्यों को इसी कार्य के लिए 25 प्रतिशत अधिक राशि प्रदान की जा सकती है, यानि इन राज्यों में अधिकतम 12,500 रु0 की धनराशि निश्चित की जा सकती है।

Ø     केंद्र सरकार के द्वारा आवंटित राशि में से मंत्रालय प्रति वर्ष एक प्रतिशत राशि अपने पास रखेगा और इसका उपयोग एमआईएस, निगरानी व्यवस्था, क्षमता विकास और आईईसी अवयवों के लिए किया जाएगा। आईईसी को आवंटित धनराशि का उपयोग लोगों के बीच स्वच्छ शौचालयों के इस्तेमाल के लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करने, स्कूलों तथा कॉलेजो में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने, नेहरू युवा केंद्रों तथा चेतना संघों के गैर विद्यार्थियों पर, सर्वेक्षण करने, समाचार पत्रों में विज्ञापन देने और मध्यावधि मूल्यांकन अध्ययनों के लिए किया जाएगा। राज्य सरकार भी इन्हीं कार्यों के लिए अपने हिस्से में से एक प्रतिशत धनराशि अपने पास रख सकती है। यदि आवंटित कोष का उपयोग नहीं हो पाता है तो इसे आईएलसीएस परियोजनाओं के लिए मुहैया कराया जा सकता है। आईईसी अवयवों में योजना के तेज एवं प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बाहर से मानवशक्ति को मंगाने और मंत्रालय के अधिकारियों का राज्य सरकार के अथवा कार्यान्वयन मे लगी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए कार्य स्थल की यात्रा करने को भी शामिल किया जा सकता है।

Ø     मंत्रालय सूचना तकनीक से लैस एमआईएस तथा निगरानी व्यवस्था का विकास करेगा और इसी प्रकार की व्यवस्था को राज्य एवं शहरी स्थानीय निकायों के स्तर पर भी लागू किया जाएगा। उपयोग प्रमाण-पत्र के साथ तिमाही प्रगति रिपोर्ट के ज़रिये एमआईएस और निगरानी बकाया धनराशि की किस्तों का सुचारू जारी होना सुनिश्चित करेगी।

कार्यान्वयन

इस योजना को आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा सीधे तौर पर लागू किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा सहायता राशि की पहली किस्त अनुदान समझौता पर हस्ताक्षर होने के बाद जारी की जाएगी तथा इसे दो किस्तो मे जारी किया जाएगा। यह कार्य क्षेत्र की मांग तथा एजेंसियों की वास्तविक मांग और उपयोग क्षमता से संबंधित होगी। 25 प्रतिशत सहायता राशि योजना को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद ही जारी हो जाएगी। राज्य सरकार द्वारा चयन की गई एजेंसियां या शहरी स्थानीय निकाय राज्य सरकार को अपना प्रस्ताव भेज सकते है। राज्य सरकार इन प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान कर राज्य समन्वयन समिति को भेजेगी जो इन्हें मंजूर कर हुडको के क्षेत्रिय कार्यालय को भेज देगी। हुडको क्षेत्रिय कार्यालय इसे मंजूरी प्रदान कर हुडको के मुख्यालय को भेज देगा और हुडको मुख्यालय इस प्रस्ताव की जांच पड़ताल कर केंद्रीय समन्वयन समिति को भेज देगा।

योजना का कार्यान्वयन निम्नलिखित चरणों में होगा :-

Ø     राज्य में स्थानीय निकायों के द्वारा जिन लाथार्थियों के लिए शुष्क शौचालयों का परिवर्तन किया जाना है, उनकी पहचान करना।

Ø     क्रमश: 75 : 25 अनुपात में शुष्क शौचालयों का परिवर्तन और नये शौचालयों के निर्माण प्रस्तावों को शहरी स्थानीय निकायों के द्वारा राज्य शहरी विकास एजेंसी (एसयूडीए), ज़िला शहरी विकास एजेंसी (डीयूडीए) के पास जमा कराया जाएगा। जिन पर ये विचार-विमर्श कर अपनी मंजूरी प्रदान करेंगे तथा इन्हें राज्य समन्वयन समिति के पास प्राथमिकता तय करने के लिए भेज दिया जाएगा।

Ø     व्यवहार्य परियोजनाओं को राज्य सरकार के द्वारा हुडको के क्षेत्रीय कार्यालय में जमा कराया जाएगा॥

Ø     हुडको के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा इस परियोजना की लागत निर्धारित की जाएगी और फिर इसे हुडको के मुख्यालय भेज दिया जाएगा।

Ø     हुडको मुख्यालय इस प्रस्ताव की जांच पड़ताल कर केंद्रीय समन्वयन समिति को विचार-विमर्श के लिए भेज देगा।

Ø     आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय की केंद्रीय समन्वयन समिति का गठन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में किया जाएगा। समिति के अन्य सदस्य सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय, केंद्रीय लोक स्वास्थ्य पर्यावरण एवं अभियंत्रिकी संगठन और संबंधित राज्य के प्रतिनिधि होंगे।

Ø     केंद्रीय समन्वयन समिति का कार्य हुडको द्वारा जमा कराये गये प्रस्तावों पर विचार करना तथा धनराशि जारी करना होगा।

Ø     केंद्रीय समन्वयन समिति की सालभर के दौरान प्रत्येक तिमाही में कम से कम एक बार जरूर बैठक हुआ करेगी ताकि एक संपूर्ण समीक्षा की जा सके।

Ø     हुडको परियोजनाओं की लागत निर्धारण को सुनिश्चित करेगा और अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के ज़रिये योजना के कार्यान्वयन पर नज़र रखेगा।

प्रत्येक राज्य को एक राज्य समन्वयन समिति का गठन करना चाहिए जिसमें राज्य के संबंधित विभाग के हुडको क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधि जिनमें समाज कल्याण से संबंधित विभाग राज्य स्तर पर परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करना करेगा तथा योजना के कार्यान्वयन की वास्तविक निगरानी भी करेगा जिसमें हाथ से सफाई करने की व्यवस्था को समाप्त करना भी शामिल है। यह समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि योजना की लागत तथा समय में बढ़ोत्तरी न हो। साथ ही इस कार्य की निगरानी राज्य एवं स्थानीय स्तर पर पूरी कड़ाई से की जाए।

· आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा उपलब्ध

 

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