रविवार, 4 मई 2008

नगर पालिक निगम, ग्वालियर – एक दिलचस्‍प सर्वे सिटीजन रिपोर्ट कार्ड (नागरिक प्रतिवेदन पत्र) पर संक्षिप्त विवरण

नगर पालिक निगम, ग्वालियर एक दिलचस्‍प सर्वे सिटीजन रिपोर्ट कार्ड (नागरिक प्रतिवेदन पत्र) पर संक्षिप्त विवरण -

सिटीजन रिपोर्ट कार्ड प्रमुखत : किसी हर की मूलभूत सेवाओं की जानकारी नगर वासियों के दृष्टिकोण से समझने में सहायक होते हैं। सही मायने में सिटीजन रिपोर्ट कार्ड नगरवासियों द्वारा ली जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता,कार्यकुशलता, व पर्याप्तता के विषय के विषय में उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकते हैं। साथ ही वे सेवा प्रदाता द्वारा जो समस्यायें महसूस करते है उन्हेै भी वास्तविक रूप में प्रकट करते हैं।

सिटीजन रिपोर्ट कार्ड का अध्ययन कई 6ाहरों मे किया गया हेै। इस तरह के अध्ययन मूलभूत सेवाओं की गुणवत्ता,कार्यकु6ालता व पर्याप्तता में सुधार लाने के उद्दे6य से किये जाते है। प्रबु.द्ध समाज के लिये यह आव6यक है कि सीअारसी क़े माध्यम से एकत्रित जानकारी बहुत ही स्पष्ट,सरल और अनुसरण करने योग्य हो।

मध्यप्रदेश राज्य के चार प्रमुख शहरोंं इंदौर, भोपाल,जबलपुर एवं ग्वालियर में सिटीजन रिपोर्ट कार्ड का सर्वे यूएन हेबीटेट , प्रोजेक्ट उदय व एनसीएचएस र्ऌ संस्था द्वारा विगत जनवरी माह में किया गया।प्रस्तावित अध्ययन में प्रदाय की जा रही नगरीय सेवायें जेसे जल आपूर्ति,स्वच्छता,ठोस कचरा निवारण, स्ट्रीट लाईट,सार्वजनिक यातायात, स्वास्थ्य सुविधा,संचार व्यवस्था , सड़क व फुटपाथ ,भवन निमार्ण योजना, सार्वजनिक पार्क सांस्कृतिक सुविधा, सार्वजनिक पार्किंग व अन्य सेवाये हेतु सिटीजन रिर्पोट कार्ड के माध्यम से जानकारियां एकत्रित की गई ।

इसके पहले 15 सितम्बर 2007 को भोपाल में इस विषय पर एक कार्यशााला का आयोजन किया ,जिसमें माननीय नरोत्तम मिश्रा (नगरीय प्र6ाासन एवं विकास मंत्री) तथा उनके साथ श्री सुनील सूद (महापौर नगर निगम भोपाल),श्री कुलवंत ंसिह (चीफ टेक्नीकल एडवाइजर यूएन हेवीटेट) ने अपना उद्बोधन दिया था।

विगत जनवरी 2008 में ग्वालियर के चार क्षेत्रों के तीन-तीन वार्डो में सेम्पल सर्वे किया गया। जिसमें उच्च आय वर्ग,मध्यम आय वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों का सर्वे किया गया।

पेयजल की उपलब्धता

सर्वे में यह पाया गया कि ग्वालियर 6ाहर में 87 प्रतित लोगों घर पर पानी उपलब्ध है जबकि 13 प्रतित लोग घर के बाहर से पानी लाते है। इसके अन्तर्गत यह भी पता चला कि ग्वालियर नगर निगम द्वारा 80 प्रतित घरों को वाटर सप्लाई सिस्टम से जोड़ा गया है। जिसमें :

पाईप द्वारा 775 प्रति

टयूब वेल द्वारा 15 प्रति

हेडपम्प द्वारा 7 प्रति

कुंए द्वारा 05 प्रति

के आधार पर पानी मिल रहा है।

सर्वे किये गये परिवारों से ये भी पता चला कि कितने घरों में शुद्ध जल की उपलब्ध्ता है।

उपलब्ध 6 शुद्ध जल89 प्रति

उपलब्ध अ शुद्ध  जल11 प्रति

इसमें से 22 प्रतित पानी के स्त्रोत में वर्षा का जल मिल जाता है, 21 प्रतित में सीवर का दूषित जल मिल जाता है, 16 प्रतित में ठीक ढंग से पाईप लाईन जोइंट नही है और बाकी 4 प्रतित पानी ठीक ढंग से कवर्ड नहीं है।

अगर पानी की उपलब्धता के आधार पर देखा जाये तो 71 प्रति6ात घरों में आवश्‍यकतानुसार पानी की कमी महसूस की गई है। जिसके अन्तर्गत 68 प्रतित घरों में 15 दिन, 28 प्रतित में 16-30 दिन और

4 प्रति6ात में 30 दिन से ज्यादा आव6यकतानुसार पानी की कमी महसूस की गई है।

पानी की कमी को दूर करने के लिए 46 प्रतित घरों में कोई खर्च नहीं करना पड़ता है बाकी 54 प्रतित घरों में 100 से 1000 रूपये तक खर्च करना पड़ता है। जिसमें से ज्यादातर लोग 100 से 500 रूपयs तक खर्च करते है।

पानी को प्राप्त करने के लिए लोगों द्वारा 2 से 5 घंटे का समय देना पड़ता है।

बाहरी पानी की उपलब्ध्ता के आधार पर देखा जाये तो 68 प्रतित पानी शुद्ध है जबकि 32 प्रतित पानी अशुद्ध हेै।

यदि पानी के बिल के भुगतान की बात की जाये तो 18 प्रतित लोग पानी का भुगतान नही करते जबकि 82 प्रतित लोग जो पानी का भुगतान करते है उनमें से ज्यादातर 50 से 80 रूपये तक भुगतान करते हैं।

सर्वे के अन्तर्गत यह निष्कर्ष भी निकला कि 80 प्रतित लोगों ने पानी की असुविधा के लिए नगर निगम को शिकायत के रूप में अवगत कराया। जिसमें निम्नानुसार कार्यवाही की गई।

61 प्रति( 2 से 3 दिन में )

18 प्रति( 4 से 7 दिन में )

10 प्रति( 8 से 15 दिन में )

3 प्रति( 16 से 30 दिन में )

8 प्रति( 30 दिन से अधिक )

जल प्रदाय की व्यवस्था के बारे में लोगों की राय इस प्रकार रहीं।

6 प्रतित (जल प्रदाय व्यवस्था बहुत अच्छी है)

20 प्रतित (जल प्रदाय व्यवस्था अच्छी है)

12 प्रतित (जल प्रदाय व्यवस्था अच्छी नहीं है।)

12 प्रतित (जल प्रदाय व्यवस्था बिलकुल अच्छी नहीं है)

बाकी 50 प्रतित की राय मिलीजुली रहीं।

शौचालय की उपलब्धता

स्वच्छता :स्वच्छता के बारे में किये गये सर्वे से यह पता चला कि 956 प्रतित घरों में शौचालय है।जबकि 4 प्रतित लोग बाहर शौच के लिए जाते है और बाकी 04 प्रतित लोग सामुदायिक शौचालय उपयोग करते है।

सीवर सिस्टम :इस सर्वे के अनुसार 79 प्रति6ात लोग सीवर लाईन से जुड़े हुए हैं।सीवर लाईन चौक होने के मामले में यह पाया गया कि एक साल में कितनी बार सीवर लाईन चोक होती हैजिसकी सूचना नगर निगम को दी जाती है। 58 प्रतित लोग सीवर चोक होने की सूचना नगर निगम को देते हैं।

प्रति6ात के आधार पर देखा जाये तो ,

56 प्रति( 3 बार सीवर लाईन चौक होती है )

25 प्रति( 4 से 6 बार )

19 प्रति( 6 बार से अधिक )

सीवर लाईन 6ािकायत का निवारण

नगर निगम द्वारा( 69 प्रति6ात )

स्वयं द्वारा( 22 प्रतित )

सोसायटी द्वारा( 7 प्रतित)

बिल्डर द्वारा ( 2 प्रतित )

सीवर 6ािकायत निवारण में लगने वाला समय

प्रतित के आधार पर देखा जाये तो -

83 प्रतित (शिकायत का निवारण 2 दिन में कर दिया जाता हेै।)

10 प्रतित (शिकायत का निवारण 7 दिन में कर दिया जाता है।)

7 प्रतित (शिकायत का निवारण 15 दिन में कर दिया जाता है)

ड्रेनेज :सर्वे के अन्तर्गत यह पाया गया कि 64 प्रतित घरों में पानी की निकासी की व्यवस्था है। जिसमें 66 प्रतित निकासी पक्की है ( सीमेन्ट कंक्रीट) और 34 प्रतित कच्ची है ( बिना सीमेन्ट कंक्रीट )

पानी निकासी व्यवस्था में 83 प्रतित में नगर निगम का सुपरविजन रहता है

11 प्रतित में सोसायटी का

6 प्रतित में प्रायवेट लोगों का

नालियों को साफ की करने की प्रकिृया में 67 प्रति6ात एक हफ्ते के अन्दर हो जाती है।

सर्वे में यह पता चला कि मोटे तौर पर सेनीटे6ान व्यवस्था 9 प्रतित लोगों की राय में अच्छी है,जबकि 57 प्रतित लोगों की राय मिली जुली रही। तथा 34 प्रति6ात लोग सेनीटेशन व्यवस्था से संतुष्ट नजर नहीं आये।

ठोस कचरा प्रबन्धन :

सर्वे के दौरान यह प्रतीत हुआ कि चुने हुए 708 घरों के लोगों में से 51 प्रतित कचरा प्रबन्धन को सामान्य रूप से

लेते है बाकी के लोग कचरा प्रबन्धन को सामान्य रूप से नहीं लेते है।

यदि कचरा एकत्रित करने की बात करे तो 54 प्रतित लोगों का मानना है कि केवल चुने हुए स्थानों से ही कचरा एकत्रित किया जाता है

27 प्रतित लोगों की राय में प्रतिदिन कचरा एकत्रित किया जाता है। और 14 प्रतित लोगों का मानना है कि एक दिन छोड़कर कचरा एकत्रित किया जाता हे। 3 प्रतित लोगों की राय है कि एक या दो हफ्ते में कचरा कभी कभार उठता है। जबकि 36 प्रतित का मानना है कि कचरा प्रबन्धन की उचित सुविधा नहीं है।

साफ सफाई के क्षेत्र मे 62 प्रतित लोगों का मानना है कि आवश्‍यकता के मुताबिक साफ सफाई नहीं होती जबकि 38 प्रतित लोगों का मानना है कि आश्‍यकतानुसार साफ सफाई का कार्य होता है।

कचरे के डिब्बे को रखने के स्थान के बारे जब लोगों से बात की गई तो 92 प्रतित लोगों का मानना है कि कचरा पात्र नियत स्थान पर रखा गया है।

जब कचरा प्रबन्धन में 56शुल्क देने की बात की गई तो 88 प्रतित लोगों ने 10 रूपये देने की इच्छा व्यक्त की।

जबकि 11 प्रतित लोगों 10 से 20 रूपये देने की इच्छा व्यक्त की तथा 1 प्रतित लोगों 20रूपये से अधिक देने की इच्छा व्यक्त कीै।

 

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