लोक उपयोगी सेवाओं के लिए स्थायी लोक अदालत
प्रकरणों के त्वरित निराकरण की दिशा में एक अभिनव पहल
ग्वालियर,4 जुलाई 08/ प्रदेश में लोक उपयोगी सेवाओं से संबंधित विवादों के निराकरण के लिए पृथक से स्थाई लोक अदालतों की स्थापना की गई है । मध्य प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण ने ग्वालियर,जबलपुर, भोपाल, इन्दौर, उज्जैन, रीवा व सागर जिलों के जिला न्यायालय परिसर में इन स्थाई लोक अदालतों की स्थापना की है ।
वर्तमान में इन स्थाई लोक अदालतों की बैठकें प्रत्येक शुक्रवार को न्यायालयीन समय के पश्चात अपरान्ह 5 बजे से 7 बजे तक आयोजित हो रही हैं । संबंधित जिला न्यायालय में पदस्थ प्रथम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को उस जिले की स्थाई लोक अदालत का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है । साथ ही लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री (सिविल) एवं मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी को उक्त स्थाई लोक अदालत की पीठ का सदस्य नामांकित किया गया है । विवादों की सुनवाई स्थाई लोक अदालत की पीठ द्वारा की जाती है । लोक उपयोगी सेवाओं से संबंधित विवादों के निराकरण के लिए विशेष रूप से इन स्थाई लोक अदालतों का गठन ''धारा-22 बी विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत किया गया है ।
पक्षकारों के विवादों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रीति, सौहार्द्रपूर्ण वातावरण और आपसी समझौते पर निपटाने का काम स्थायी लोक अदालतें करेंगी। स्थायी लोक अदालते, विवाद के निराकरण के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अध्याय 6 क में निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करेंगी अर्थात स्थायी लोक अदालत सुलह और समझौते के आधार पर या विवाद का गुणागुण के आधार पर विनिश्चय करते समय नैसर्गिक न्याय, निष्पक्षता,साम्या और न्याय के अन्य सिध्दांतों से मार्गदर्शित होगी और सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम,1872 से आबध्द नहीं होगी ।
कोई भी व्यक्ति लोक उपयोगी सेवाओं से संबंधित ऐसे विवाद जो न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किये गये हैं उन विवादों का निराकरण जिला न्यायालय में स्थापित स्थायी लोक अदालत के माध्यम से करा सकता है । लोक उपयोगी सेवाओं' से संबंधित किसी विवाद का कोई पक्षकार, विवाद को किसी न्यायालय के समक्ष लाने के पूर्व स्थायी लोक अदालत के समक्ष निराकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकता है । लोक उपयोगी सेवा से संबंधित विवादों के निराकरण के लिये गठित स्थायी लोक अदालत का प्रत्येक अधिनिर्णय, स्थायी लोक अदालत गठन करने वाले व्यक्तियों के बहुमत द्वारा होगा । स्थायी लोक अदालत द्वारा गुणागुण के आधार पर या सुलह,समझौता करार के आधार पर दिया गया प्रत्येक अधिनियम अंतिम होकर पक्षकारों पर बंधनकारी होगा । वह अधिनिर्णय किसी मूल वाद,आवेदन या निष्पादन कार्यवाही में प्रश्नगत नहीं किया जा सकता । स्थायी लोक अदालत का प्रत्येक अधिनिर्णय सिविल न्यायालय की डिक्री समझा जायेगा । अधिनिर्णय का निष्पादन सिविल न्यायालय द्वारा उसी प्रकार किया जायेगा जिस प्रकार वह उस न्यायालय द्वारा पारित डिक्री का निष्पादन करता है।
उक्त स्थाई लोक अदालते वायु,सड़क या जल मार्ग द्वारा यात्रियों या माल के वाहन के लिए यातायात सेवा,डाक,तार या टेलीफोन सेवा । विद्युत प्रकाश या जल प्रदाय,सावजनिक मल वहन या स्वच्छता प्रणाली,अस्पताल या औषधालय सेवा और बीमा सेवा,जैसी लोक उपयोगी सेवाओं से संबंधित विवादों को संज्ञान में लेगी । स्थायी लोक अदालतों को ऐसे अपराध जो किसी विधि के अधीन शमनीय नहीं है , के संबंध में कोई अधिकारिता नहीं होगी । इसी प्रकार ऐसे मामलों में भी अधिकारिता नहीं होगी जिसमें विवादित संपत्ति का मूल्य 10 लाख रूपये से अधिक है । स्थायी लोक अदालत के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किये जाने के पश्चात उस आवेदन का कोई पक्षकार उसी विवाद के लिये किसी न्यायालय की अधिकारिता का अवलम्ब नहीं लेगा ।
जिला स्तर पर जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष या सचिव,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अथवा जिला विधिक सहायता अधिकारी से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। साथ ही तहसील स्तर पर दीवानी न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश एवं अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति से जानकारी ली जा सकती है। इसके अलावा सदस्य सचिव,मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण,574 साउथ सिविल लाईन्स,जबलपुर में सपंर्क कर भी विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।
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