मंगलवार, 29 जुलाई 2008

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के प्रयास रंग लाये

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के प्रयास रंग लाये

संस्थागत प्रसवों में उल्लेखनीय इजाफा

ग्वालियर 26 जुलाई 08 । मातृ एवं शिशु मृत्यु दर, लोगों का स्वास्थ्य तथा भोजन- पानी की सुलभता मानव विकास के मुख्य पैमाने हैं। प्रदेश सरकार ने इन सभी क्षेत्रों में योजनाएँ बनाई  और शिद्दत के  साथ उन्हें लागू किया है। इसी क्रम में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से संस्थागत प्रसवों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है । इस प्रोत्साहन के फलस्वरूप ग्वालियर जिले में संस्थागत प्रसवों की संख्या लगातार बढ़ रही है । दूरदराज तथा पर्वतीय व वंनाचल क्षेत्र में बसे गांवों की गर्भवती महिलायें भी अब घर पर ही प्रसव के बजाय अस्पताल में प्रसव के लिये आने लगी हैं । वर्ष 2007-08 में जिले में 36 हजार से अधिक संस्थागत प्रसव हुए। संस्थागत प्रसव के लिए आईं महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के तहत 4 करोड 61 लाख 6 हजार रूपये से अधिक की आर्थिक मदद प्रोत्साहन स्वरूप उपलब्ध कराई गई । जिसमें संस्थागत प्रसव को बढावा देने में प्रेरक की भूमिका निभाने वाली आशा तथा उनके समतुल्य कार्यकर्ताओं सहित कुल 17 हजार 318 प्रेरकों को मुहैया कराई गई करीबन 41 लाख 15 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि शामिल  है ।

       गौरतलब है कि घर में ही असुरक्षित प्रसव, शिशु और उसकी मां के असमय काल के गाल में समा जाने का बहुत बड़ा कारण रहा है । प्रदेश सरकार ने इसे गंभीरता से समझा है और ऐसे कदम उठाये , जिससे हर वर्ग के गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं के भी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव हों , वो भी सरकारी खर्चे पर। सरकार ने इसके लिये जननी सुरक्षा योजना शुरू की है । जिसके तहत गर्भवती महिलाओं के प्रसव का समस्त खर्चा तो सरकार उठाती ही है, साथ ही ग्रामीण अंचल की गर्भवती माता को संस्थागत प्रसव कराने पर 1400 रूपये की राशि व शहरी अंचल की महिला को एक हजार रूपये की राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान करती है । इसके अलावा गर्भवती माता को अस्पताल तक लेकर आने वाले ग्रामीण क्षेत्र के प्रेरक को 600 रूपये व शहरी क्षेत्र के प्रेरक को 200 रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है । जिले में दो सीमॉक व पाँच बीमांक संस्थायें भी सुरक्षित प्रसव के लिये विकसित की गई हैं।  उल्लेखनीय है कि सीमॉक संस्थाओं में सामान्य प्रसव सहित सीजर ऑपरेशन और बीमॉक संस्थाओं में 24 घंटे संस्थागत प्रसव की सुविधा रहती है।

निजी अस्पताल में भी सीजर ऑपरेशन के लिये मदद

संस्थागत प्रसव में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जननी सहयोगी योजना भी सरकार ने आरंभ की है। इस योजना के अन्तर्गत मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की पूर्ण सुविधा रखने वाले निजी क्षेत्र के नर्सिंग होम को अभिप्रमाणित कर अनुबंधित किया जाता है। योजनान्तर्गत जिले में 10 निजी संस्थाओं को अभिप्रमाणित किया गया है। निजी क्षेत्र के नर्सिंग होम में गरीबी रेखा के नीचे की गर्भवती महिलाओं के सीजर ऑपरेशन के लिये सरकार साढे पांच हजार रूपये तक आर्थिक सहायता प्रदान करती है । इसी प्रकार सामान्य प्रसव पर 12 हजार 500 रूपये प्रदान किये जाते हैं।

 

माह दर माह बढी संस्थागत प्रसवों की संख्या

       प्रदेश सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये उठाये गये कदमों की बदौलत ग्वालियर जिले में संस्थागत प्रसवों मेें लगातार इजाफा हुआ है। गत वर्षों में हुए संस्थागत प्रसवों की तुलना इस वर्ष हुये प्रसवों की संख्या से करें, तो पाते हैं कि माह दर माह और वर्ष दर वर्ष इस संख्या में उल्लेखनीय वृध्दि हुई है । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्चना शिंगवेकर ने बताया कि वर्ष 2004-05 में जहां संस्थागत प्रसवों की संख्या 11 हजार 326 थी वहीं वर्ष 2005-06 में वह बढ़कर 15 हजार 911 हो गई । वर्ष 2006-07 में जिले में संस्थागत प्रसवों की संख्या 19 हजार 814 पहुँच गई । वर्ष 2007-08 में यह संख्या और भी बढ कर 36 हजार से अधिक हो गई। मौजूदा वर्ष में संख्या में और भी इजाफा होगा । मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी शुरूआती तीन महीनों अर्थात जून माह तक तकरीबन 6 हजार संस्थागत प्रसव हुये हैं और इन सभी महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना से लाभान्वित कराया गया है ।

 

जननी एक्सप्रेस से बढ़ी सुरक्षित प्रसव की रफतार

जिले में संस्थागत प्रसवों की संख्या बढ़ाने में जननी एक्सप्रेस योजना भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है । गत वित्तीय वर्ष में जिले के सभी विकास खंडों में जननी एक्सप्रेस ने 25 हजार 605 किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर  5 हजार 801 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिये अस्पतालों तक पहुंचाया है । जिले में यह योजना गत वर्ष जून माह के दूसरे पखवाड़े में शुरू हुई थी । योजना के तहत जिले में वर्तमान में 7 वाहन काम कर रहे हैं।

 

कोई टिप्पणी नहीं: