झोलाछाप डाक्टरों पर रोक लगाने के साथ नर्सिंग होम एक्ट का कड़ाई से पालन
दौ सौ करोड़ के उपकरण और दवाएं खरीदेगी सरकार, चिकुनगुनिया के प्रति अभी से सतकर्ता बरतने के निर्देश
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अजय विश्नोई ने स्वास्थ्य विभाग के संभागीय संयुक्त संचालकों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को झोलाछाप चिकित्सकों पर रोक लगाने के साथ ही नर्सिंग होम एक्ट का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये है। संयुक्त संचालकों और सी.एम.एच.ओ. को निचले स्तर पर इलाज की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है। श्री अजय विश्नोई आज प्रशासन अकादमी में स्वास्थ्य विभाग के संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की दो दिवसीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्री एम.एम. उपध्याय और आयुक्त डॉ. राजेश राजोरा भी उपस्थित थे।
श्री अजय विश्नोई ने कहा कि भोले-भाले लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डाक्टरों पर तत्काल रोक लगाना आवश्यक है। सभी सी.एम.एच.ओ. यह देखें कि उनके जिले में ऐलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सकों के अलावा अन्य कोई पध्दति का चिकित्सक लोगों का इलाज तो नही कर रहा, यदि ऐसे चिकित्सक मिलते है तो उनके विरूध्द तुरंत कार्रवाई हो। कानून में उनके लिए तीन साल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में नर्सिंग होम एक्ट प्रभावशील हो गया है। एक्ट की प्रतियां सभी जिलों को भेजी गई है। अब सी.एम.एच.ओ. अपने-अपने जिलों में नर्सिंग होम एक्ट का पालन सुनिश्चित करायें।
श्री विश्नोई ने बताया कि नई दवा नीति के तहत अब जिलों में दवाओं की कोई कमी नहीं रहेगी। सभी जिलों में अत्यावश्यक 40-50 दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है, जो भंडार गृहों में उपलब्ध रहेगी। सरकार ने इस साल 200 करोड़ की दवाएं एवं उपकरण क्रय करने की व्यवस्था की है। पिछले साल के अनुभवों को देखते हुए इस वर्ष सभी जिलों को चिकुनगुनिया और डेंगू के प्रति विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। शासन ने चिकुनगुनिया, डेंगू से निपटने के लिए जिला स्तरीय कार्ययोजना बनाई है। कार्ययोजना के तहत बुखार के पांच मरीजों में से एक मरीज के ब्लड का सेम्पल लेकर उसे जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा जाना चाहिए। इसी तरह अन्य सभी वैक्टर जनित बीमारियों से निपटा जाए। जून माह मलेरिया निरोधक माह के रूप में मनाया जा रहा है, मच्छरों की उत्पत्ति को रोकने के लिए दवाओं का छिड़काव भी सुनिश्चित कराया जाए।
श्री विश्नोई ने बताया कि ग्यारह आदिवासी विकास खण्डों में शुरू किये गये दीनदयाल चलित अस्पतालों के अलावा शीघ्र ही 52 और चलित अस्पताल शुरू किये जायेंगें। भोपाल में सेन्ट्रल कंट्रोल रूम बनाकर जी.पी.एस. सिस्टम के जरिए उनकी सतत निगरानी की जायेगी। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग का चेहरा जिस तेजी से बदल रहा है, उतनी तेजी से लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ रही है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे नई योजनाओं के दवाब में पुरानी योजनाओं एवं अपने मूल कार्य को न भूले। संयुक्त संचालक प्रत्येक छ: माह में, सी.एम.एच.ओ. प्रत्येक तीन माह में तथा ब्लाक मेडिकल आफीसर प्रत्येक माह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर जाकर चिकित्सालय व्यवस्था का जायजा लें। निरीक्षण के बाद वे शासन को इसकी रिपोर्ट भी सौपें। योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जो बजट राशि आवंटित हुई है, उसका सभी जिले सदुपयोग करें। कुछ जिलों से क्रय नियमों के उल्लंघन की जानकारी मिली है, जो उचित नहीं है। श्री विश्नोई ने बताया कि शासन सी.एम.एच.ओ. और संयुक्त संचालकों को शासकीय खरीदी में मौजूदा वित्तीय अधिकार को क्रमश: 25 हजार एवं एक लाख से बढ़ाकर दो लाख व 10 लाख करने जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार जननी सुरक्षा योजना की राशि 28 करोड़ को अगले वर्ष बढ़ाकर 180 करोड़ करेगी। उन्होंने सी.एम.एच.ओ. से कहा कि वे अस्पतालों में पलंग, बिस्तर, उपकरणों की व्यवस्था को दुरस्त रखें। विशेषकर रात्रि में आने वाले मरीजो के उपचार की माकूल व्यवस्था रहे। कर्मचारियों,ए.एन.एम., आशा कार्र्यकत्ताओं की भर्ती की प्रक्रिया को जारी रखते हुए उनकी ट्रेनिंग का भी इंतजाम रहे। प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक नियमित रूप से होती रहना चाहिए। आई.ई.सी. गतिविधियों के लिए समन्वयकों की नियुक्ति में पत्रकारिता उत्तीर्ण छात्रों को मौका दिया जाए। संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए निजी अस्पतालों को जननी सहयोगी योजना से जोड़ा गया है। जननी एक्सप्रेस योजना के वाहन के टेलीफोन नम्बर की जानकारी सभी को होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि टीबी रोग से आज सबसे ज्यादा मृत्यु हो रही है। टीबी के मरीज को इलाज की बेहतर व्यवस्था का लाभ मिले इस पर ध्यान दिया जाए। टीकाकरण के आंकड़ों को दुरूस्त कर वास्तविक जानकारी दी जाए। प्रजनन दर को कम करने के प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया जाए।
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