रविवार, 30 अगस्त 2009

1.13 लाख रक्त पट्टियों का परीक्षण: 571 पॉजिटिव, 61 मलेरिया फाल्सी फैरम प्रभावित

1.13 लाख रक्त पट्टियों का परीक्षण: 571 पॉजिटिव, 61 मलेरिया फाल्सी फैरम प्रभावित

ग्वालियर, 29 अगस्त 09  अगस्त माह तक एक लाख 13 हजार 465 रक्त पट्टियां तैयार कर परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान 571 मलेरिया पॉजिटिव पाये गये। मलेरिया फाल्सीफेरम के भी 61 मामले सामने आये हैं। 571 मलेरिया पॉजिटिव में से 570 को रेडिकल ट्रीटमेंट दिया गया है। यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी डा.आर.के. सोनी ने दी।

      डॉ. सोनी ने बताया कि मच्छरजन्य परिस्थितियों को समाप्त करने के लिये लार्वा भक्षी गम्बूशिया मछलियां बहुत लाभदायक हैं इसके संचयन के लिये एक लाख का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके विरूध्द अभी तक एक लाख 53 हजार मछलियां उपलब्ध हैं। इनका संचयन इटालियन गार्डन के पानी में, अम्बेडकर पार्क के कुण्ड में, लक्ष्मण तलैया, लक्ष्मीबाई समाधि स्थल पर संचित जल और हनुमान ताल में किया गया था। इसकी प्रगति अभी भी जारी है।

       गम्बूशिया मछलियां मच्छरों के लार्वा को बहुत चाव से खाती हैं। एक मछली दिन में 200 से 300 तक लार्वा चट कर जाती हैं। गम्बूशिया मछलियों की संख्या तेजी से बढ़ती है और गर्मी बढ़ जाने पर भी जीवित रहती हैं। अन्य जलचर भी इस मछली को नहीं खाते। जो व्यक्ति गम्बूशिया मछली पालना चाहते हैं वे मलेरिया कार्यालय से नि:शुल्क प्राप्त कर सकते हैं।

      मलेरिया की रोकथाम के लिये 45-45 दिन के तीन चक्र में छिड़काव निर्धारित किया गया हैं। प्रथम चक्र की शुरूआत 16 जून से की गई थी, दूसरा चक्र एक अगस्त से क्रियाशील है। अगला और तीसरा चक्र 16 सितम्बर से शुरू होगा। यह छिड़काव ज्यादा प्रभावित 65 गांवों में किया जा रहा है। इसमें बरई, पनिहार, रायपुर, रैहट, बड़गांव, जखौदा, घाटीगांव, आंतरी, आरोन, बड़कागांव, टेकनपुर, आंतरी (भितरवार) आदि सब सेन्टर शामिल हैं।

मलेरिया से बचाव

       जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. आर के. सोनी ने बताया कि मच्छरों से बचाव के लिये जनता को साफ-सफाई से रहना चाहिये। अपने घर के आस पास भी साफ सफाई रखें और पानी की निकासी की पूर्ण व्यवस्था करानी चाहिये। उन्होंने अपील की कि घर के आस पास के गड्डों में पानी न भरा रहने दें। हो सके तो गड्डों को मिट्टी से भर दें। घर में भी कचरे, अनुपयोगी सामानों को हटा दें अथवा नष्ट कर दें। एयर कूलर, ड्रम, फूलदान, पौधे के गमलों, पक्षियों के नहाने के स्थान को हर सप्ताह खाली कर के सुखायें। ओवरहेड टैंक को ढक कर रखें। घर की छत एवं बगीचे में पड़े टायर आदि, अनुपयोगी हैं, तो उसको हटा दें, अन्यथा उनमें पानी भरे रहने से मच्छर पैदा हो जाते हैं। शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें तथा सोते समय कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें। ग्रामीण क्षेत्र में नीम की पत्ती का धुंआ भी किया जा सकता है।     डॉ. सोनी ने सभी आम नागरिकों से अपील की है कि किसी व्यक्ति को बुखार आये तो योग्य चिकित्सक को दिखाकर रक्त पट्टिका का परीक्षण अवश्य करायें।

 

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