ग्वालियर में इसी वर्ष से खयाल एवं ध्रुपद केन्द्र - संस्कृति मंत्री श्री शर्मा , राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस समारोह संपन्न
ग्वालियर 19 अगस्त 09 । कला एवं संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर को नई-नई सौगातें मिलने का सिलसिला जारी है । इस कड़ी में इस वर्ष से खयाल एवं ध्रुपद गायकी केन्द्र के रूप में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ जायेगा । इस आशय की घोषणा प्रदेश के संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने आज यहां राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में की । संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि यह केन्द्र संगीत के मूर्धन्य कलाकार हस्सू खां व हद्दू खां की समाधि स्थल पर निर्माणाधीन भवन में इसी वर्ष से शुरू कर दिये जायेंगे । ग्वालियर किले पर अगले वर्ष से ध्रुपद महोत्सव मनाने की घोषणा भी समारोह में की गई । समारोह की अध्यक्षता सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने की ।
संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने संगीत विश्वविद्यालय के समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि ग्वालियर के कण-कण में संगीत समाया हुआ है । प्रदेश सरकार ने इस बात को भली भांति समझा है और यहां संगीत मर्मज्ञ राजा मानसिंह तोमर के नाम से देश के दूसरे संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है । उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में ग्वालियर में ध्रुपद एवं ख्याल गायकी केन्द्र की स्थापना की जा रही है । साथ ही इस अचंल के चंदेरी में संगीत सम्राट तानसेन के समकालीन प्रख्यात संगीतज्ञ बैजू बावरा के नाम से संगीत महोत्सव भी इसी वर्ष आगामी अक्टूबर माह में आयोजित किया जायेगा । संस्कृति मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि ग्वालियर में संगीत विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन सहित शैक्षणिक परिसर के निर्माण के लिये 10 एकड़ भूमि प्राप्त हो गई है । इस परिसर का और विस्तार किया जायेगा एवं उसमें पूर्व से दो करोड़ रूपये की लागत से स्वीकृत संस्कृति संकुल एवं एक करोड़ रूपये की लागत से कला केन्द्र भवन का निर्माण किया जायेगा । उन्होंने कहा कि संगीत विश्वविद्यालय के विस्तार में एवं इसे विश्वस्तरीय ख्याति के अनुरूप विकसित करने में धन की कमी आड़े नहीं आने दी जायेगी ।
संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार विकास गतिविधियों के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों को भी पूरा संरक्षण व बढ़ावा दे रही है । प्रदेश में वर्ष भर में 1700 सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती है, जिनकी ख्याति राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुई है ।
सांसद श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस अवसर पर कहा कि ग्वालियर सिर्फ संगीत घरानों के नाम से ही नहीं जाना जाता यह संगीत का तीर्थ भी है । प्रदेश सरकार ने इसी बात को ध्यान में रखकर ग्वालियर को संगीत के क्षेत्रों में कई सौगातें दी हैं । उन्होंने कहा कि संगीत के इस तीर्थ में देश की प्रतिभाओं को बेहतर संगीत सीखने का मौका मिल रहा है । श्री तोमर ने कहा कि ग्वालियर व चंबल अंचल की इस सकारात्मक तस्वीर को उभारने की महती आवश्यकता है । उन्होंने 19 अगस्त को ग्वालियर के लिये ऐतिहासिक दिन निरूपित करते हुये कहा कि इस दिन ग्वालियर को कृषि एवं संगीत विश्वविद्यालय की सौगातें मिली हैं । उन्होंने इसके लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री , संस्कृति मंत्री व पूर्वमंत्री श्री शीतला सहाय के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया ।
राज्य सभा सांसद श्री प्रभात झा ने कहा कि प्रेम, संगीत, युध्द व निर्माण कला में निपुण राजामान सिंह के नाम से ग्वालियर में संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना एक सराहनीय कदम है । उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय से संगीत के क्षेत्र में नई नई प्रतिभायें उभरकर आयेंगी । उन्होंने संगीत को व्यक्ति के चरित्र निर्माण का बहुत बड़ा कारक निरूपित किया करते हुये कहा कि संगीत की साधना समाज की वेदना की अभिव्यक्त होती है ।
राज्य सभा सांसद श्रीमती माया सिंह ने अपने उद्बोधन में संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये प्रदेश सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया ।
महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि कला केवल मनारंजन का साधन भर नहीं है । यह प्रभू की आराधना का सशक्त माध्यम भी है । ऐसी कला के संरक्षण व संवर्धन में संगीत विश्वविद्यालय अहम् भूमिका निभायेगा ।
आरंभ में संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य चितरंजन ज्योतिषी ने संगीतमय स्वागत उद्बोधन एवं अंत में संगीतमय ढंग से वंदे मातरम् की प्रस्तुति दी । विश्वविद्यालय के कुल सचिव डा. धीरेन्द्र सिंह चंदेल ने गत एक वर्ष में हुई विश्वविद्यालय की प्रगति का ब्यौरा प्रस्तुत किया । आरंभ में अतिथियों ने महाविद्यालय की कला विषय के छात्र-छात्राओं द्वारा लगायी गई कला प्रदर्शनी का शुभारंभ व अवलोकन किया ।
स्थापना दिवस समारोह में डा. रागेश्वरी पुरंदरी ने राग यमन में छोटे ख्याल की बंदिश तराना की मनमोहक प्रस्तुति दी । इससे पहले महाविद्यालय के छात्र शुभम कालगांवकर ने तबला वादन प्रस्तुत किया । महाविद्यालय की छात्राओं ने शुरू में संगीत मय सरस्वती वंदना व स्वागत गीत भी प्रस्तुत किया । अंत में आभार प्रदर्शन संस्कृति विभाग के संचालक श्रीयुत श्रीराम तिवारी ने व्यक्त किया । अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में चित्र कला विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई जीवंत कलाकृतियां भेंट की गई ।
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