मत्स्य पालन हेतु प्रत्येक विकासखण्ड में 5 तालाब बनाये जायेंगे
ग्वालियर 23 फरवरी 10। मत्स्य पालन गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रत्येक विकासखण्ड में 5 तालाब ग्राम पंचायतों द्वारा तैयार किये जायेंगे। यह निर्णय आज जिला पंचायत में मत्स्य पालन विभाग की विभागीय समीक्षा बैठक में लिया गया। बैठक परियोजना अधिकारी जिला पंचायत डॉ. बिजय दुबे की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में संयुक्त संचालक मत्स्योद्योग श्री दीक्षित सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
श्री दुबे ने बताया कि मत्स्य पालन विभाग की हितग्राही मूलक योजनाओं के लिये बैंकों से प्रकरण समय सीमा में स्वीकृत कराये जावें। उन्होंने कहा कि प्रकरण स्वीकृत करने में रूचि न लेने वाली बैंकों की सूची तैयार कर लीड बैंक प्रबंधक को सौंपी जावे। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा बजट का सदुपयोग समय सीमा में किया जावे।
बैठक में संयुक्त संचालक ने बताया कि ग्वालियर जिले में मत्स्य पालन की प्रचुर संभावनायें हैं जिले में 5185 हैक्टेयर क्षेत्र में तालाब उपलब्ध हैं। जिनमें 312 हैक्टेयर के ग्रामीण तालाब जिले में उपलब्ध हैं तथा जिले में 334 किमी. प्रवाहित नदियों की क्षमता भी है जिनमें मत्स्य पालन किया जा सकता है।
संयुक्त संचालक श्री दीक्षित ने बताया कि मत्स्य पालन में मत्स्यबीज एक प्रमुख आवश्यकता है। निजी क्षेत्र में मत्स्यबीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु बैंक ऋण से हैचरी निर्माण करने पर एक लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। उन्होंने बताया कि जिले के मछुआरों को मत्स्याखेट एवं मत्स्य पालन का 15 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण की अवधि में प्रशिक्षणार्थी को दैनिक भत्ता, आने जाने का यात्रा व्यय एवं जाल के लिये नायलॉन धागा उपलब्ध कराया जाता है। प्रशिक्षणार्थी पर 1250 रूपये की सीमा तक व्यय किया जाता है। साथ ही अन्य प्रदेशों में मत्स्य पालन की नवीनतम तकनीकी की प्रत्यक्ष जानकारी से अवगत कराने हेतु प्रदेश के बाहर शत प्रतिशत व्यय पर प्रशिक्षण भ्रमण हेतु प्रगतिशील मत्स्यपालकों को भेजा जाता है।
श्री दीक्षित ने आगे बताया कि शासन की नीति अनुसार ग्रामीण तालाब स्थानीय हितग्राहियों को 10 वर्षीय पट्टे पर मत्स्य पालन हेतु प्रदान किये जाते हैं। हितग्राहियों को अभिकरण के अन्तर्गत तालाबों में इनपुट्स जिसमें पट्टा राशि मत्स्यबीज, खाद, पूरक आहार एवं दवाइयों के लिये 30 हजार रूपये प्रति हैक्टेयर ऋण पर सामान्य मछुओं को 20 प्रतिशत की दर से अधिकतम 6 हजार रूपये एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मछुओं के लिये 25 प्रतिशत की दर से अधिकतम 7 हजार 500 रूपये अनुदान देय होता है। तालाब सुधार जिसमें पानी आवागमन के रास्ते पर जाली लगाना, पार मरम्मत, जलीय वनस्पति सफाई आदि के लिये 60 हजार रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। उपलब्ध कराये गये ऋणों में सामान्य मछुओं को 20 प्रतिशत 12 हजार रूपये अधिकतम एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मछुओं को 25 प्रतिशत अधिकतम 15 हजार रूपये की दर से अनुदान प्रदाय किया जाता है। साथ ही हितग्राही को मत्स्य पालन की नवीनतम तकनीक का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। लाभार्थियों को स्वयं की भूमि पर इनलेट, आउटलेट टयूबवेल के एवं नये तालाबों के निर्माण हेतु 2 लाख रूपये की ऋण राशि एवं स्वयं के व्यय पर प्रति हैक्टेयर अनुसूचित जाति, जनजाति के किसानों को 25 प्रतिशत अधिकतम सीमा 50 हजार रूपये तथा सामान्य वर्ग के किसानों के लिये 20 प्रतिशत अधिकतम 40 हजार रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से सहायता दी जाती है।
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