उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले व्यक्ति संस्था पुरस्कृत होगी
आवेदन 5 मार्च तक आमंत्रित
ग्वालियर 24 फरवरी 2010/ उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने तथा उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले स्वैच्छिक उपभोक्ता सगठनों एवं व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य शासन द्वारा राज्य एवं संभाग स्तरीय पुरस्कार दिये जाते है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस 15 मार्च को प्रदान किये जाते है।
सहायक कलेक्टर सुश्री छवि भारद्वाज ने बताया कि इन पुरस्कारों के लिये ऐसे संगठन एवं व्यक्तियों का चयन कलेण्डर वर्ष 1 जनवरी 2009 से 31 दिसम्बर 2009 तक की अवधि में हासिल उपलब्धियों के आधार पर किया जावेगा। इस वर्ष भी राज्य स्तरीय पुरस्कार योजना के अन्तर्गत प्रदेश के ऐसे स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों एवं व्यक्तियों को चुना जावेगा जो उपभोक्ता क्रेन्दित संरक्षण में सक्रिय रूप से जुडे है। आदिवासी एवं पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत संगठनों को प्राथमिकता दी जावेगी। राज्य एवं संभाग स्तर पर तीन- तीन पुरस्कार मय प्रशस्ति पत्र के प्रदान किये जावेगें।
प्रदेश स्तर पर प्रथम 15 हजार रूपये, द्वितीय 10 हजार रूपये तथा तृतीय पुरस्कार 5 हजार रूपये का होगा। संभाग स्तर पर प्रथम 3 हजार, द्वितीय 2 हजार तथा तृतीय एक हजार रूपये का पुरस्कार मय प्रशस्ति पत्र के रहेगा।
आवेदन करने वाले उपभोक्ता संगठनों को समिति पंजीयन अधिनियम 1960 या ऐसे किसी कानून के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है। पुरस्कार हेतु चयन में यह ध्यान रखा जावेगा कि व्यक्ति अथवा संस्था पिछले तीन वर्षो से उपभोक्ता संरक्षण में सक्रिय है या नही तथा गैर राजनैतिक होना चाहिये।
राज्य एवं संभाग स्तरीय पुरस्कार हेतु आवेदक व्यक्ति संस्थाये अपने आवेदन पत्र दिनांक 5 मार्च 2010 तक कलेक्टर कार्यालय ग्वालियर में प्रस्तुत कर सकते है। राज्य स्तरीय पुरस्कार हेतु इच्छुक व्यक्ति संस्था आवेदन पत्र की अग्रिम प्रति सीधे खाद्य संचालनालय को प्रस्तुत कर सकते है। विलम्ब से प्राप्त आवेदन पत्र स्वीकार नही किये जावेगे।
1 टिप्पणी:
तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=
सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
एक टिप्पणी भेजें