मंगलवार, 1 जुलाई 2008

ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत- महामहिम राष्ट्रपति

ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत- महामहिम राष्ट्रपति

 

ग्वालियर 30 जून 08 । महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कहा कि असली भारत गांवों में बसता है । ग्रामों को देश की मुख्य धारा से जोड़ने की आज महती जरूरत है । उन्होंने ग्रामों के समग्र विकास के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी ज्ञान को बढ़ावा देने पर जोर दिया और कहा कि देश के इंजीनियर ग्रामीण क्षेत्रों में जायें और वहां की आवश्यकताओं को समझें, इससे वे ग्रामों की समस्याओं से तो रूबरू होंगें ही साथ ही सामाजिक चेतना पैदा करने में मददगार साबित हो सकेंगें ।  श्रीमती पाटिल आज ग्वालियर में माधव प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान के स्वर्ण जयंती के समापन समारोह को संबोधित कर रही थी । इस अवसर पर उन्होंने संस्थान के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भारतीय डाक विभाग द्वारा तैयार किये गये डाक टिकिट को जारी किया । समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री एवं संस्थान और सिंधिया इंजीनियरिंग सोसायटी के अध्यक्ष श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश के खनिज, संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा, मंचासीन थे । इस अवसर पर दर्शकदीर्घा में प्रदेश के जलसंसाधन एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री अनूप मिश्रा, वन एवं राजस्व राज्य मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।

       महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने सरस्वती की प्रतिमा और ग्वालियर के तत्कालीन महाराज श्री जीवाजी राव सिंधिया और श्री माधवराव सिंधिया के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । उन्होंने ग्वालियर के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक वैभव का उल्लेख करते हुये संस्थान द्वारा दी जा रही तकनीकी शिक्षा की प्रशंसा की और शिक्षकों से अपेक्षा की कि वे छात्रों को ऐसी शिक्षा दें जिससे वे राष्ट्र की उन्नति के लिये समर्पित होकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि देश में 39 प्रतिशत स्नातक इंजीनियरों को नौकरी मिल पा रही है और अनेक औद्योगिक संस्थानों को अच्छे इंजीनियर नहीं मिल पा रहे हैं । देश में 3 हजार 500 इंजीनियरिंग कालेज हैं, जहां से प्रतिवर्ष साढ़े चार लाख स्नातक इंजीनियर पढ़ लिखकर निकलते है । इसके बावजूद भी देश में प्रति वर्ष करीब 70 हजार सिविल इंजीनियरों की जरूरत महसूस की जा रही है । यह स्थिति बेहद विसंगतिपूर्ण है। इस कमी को दूर करने के लिये शैक्षणिक संस्थान अपनी प्रशिक्षण विधियों और पाठयक्रमों को उन्नत करें। प्रासंगिक पाठयक्रम के निर्माण में नये उद्योग  और अकादमिक संस्थाओं के बीच विचार विमर्श उपयोगी साबित हो सकता है ।

       महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के बाद स्कूल, कालेज सड़क,सिंचाई, कृषि, औद्योगिक संरचना का विकास आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है । फिर भी भविष्य में इस क्षेत्र में हमें अभी और अधिक काम करने की जरूरत है । उन्होंने दो महत्वपूर्ण बिन्दुओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुये कहा कि इंजीनियरिंग संस्थान भविष्य की चुनौतियों का किस तरह से सामना करें और विद्यार्थी अपने आपको भविष्य के लिये किस तरह तैयार करें । इस पर विचार करने की जरूरत है । उन्होंने तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये एमआईटीएस की सराहना की और कहा कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिये इस तरह के संस्थानों की जरूरत है । उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संस्थान के अध्यक्ष और केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री सिंधिया के निर्देशन में देश में तकनीकी शिक्षा का समुचित विकास एवं विस्तार होगा । उन्होंने शिक्षा के साथ ही साथ खेल, संस्कृति आदि गतिविधियों को बढ़ावा देने की भी वकालत की । इससे विद्यार्थी  शिक्षित और अनुशासित बनेंगें तथा शरीरिक रूप से मजबूत होंगें । उन्होंने बेहतर समाज के निर्माण के लिये समाज के सभी लोगों से सत्य, कर्म और धर्म का पालन करने का आव्हान किया ।

       कार्यक्रम के अध्यक्ष केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिक राज्यमंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी है । आर्यभट्ट ने विश्व को शून्य से परिचित कराया था । सात सौ वर्ष ईसा पूर्व भारत में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में तक्षशिला विश्व का पहला विश्वविद्यालय था, जिसमें उस समय लगभग साढ़े दस हजार विद्यार्थी थे । उन्होंने समाज में ज्ञान आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत प्रतिपादित की और कहा कि यह संस्था राष्ट्र के निर्माण और ज्ञान के प्रसार में अपनी सशक्त भूमिका निभाती रहेगी और देश के लिये कुशल इंजीनियर तैयार करती रहेगी ।

       कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि खनिज, संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि देश में शिक्षा का स्तर सुधरा है , जिसके कारण प्रतिभाओं का पलायन रूका है । उन्होंने कहा कि एमआईटीएस जैसी संस्थायें प्रतिभाओं को आगे लाने और उनका पलायन रोकने का प्रयास कर रही हैं । उन्होंने कहा कि यह संस्था ग्वालियर के लिये ही नहीं अपितु पूरे प्रदेश के लिये भी गौरव है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र लगातार  तरक्की कर रहा है और विश्व का सिरमौर बनने की दिशा में अग्रसर है । उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से महामहिम का अभिनंदन किया ।

       इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति ने संस्थान को अपनी उत्कृष्ट व उल्लेखनीय सेवायें देने के उपलक्ष्य में प्रो. डी पी चक्रवर्ती, प्रो. कांतिलाल देवजी मेहता, प्रो. पी एन विजयवर्गीय, मेजर जनरल पद्म श्री एस एन शर्मा, श्री राधे एस गुप्ता, डा. श्रेयांस कुमार जैन,श्री शिव एस अग्रवाल और श्री संजय एस दुबे को सम्मानित किया ।

       प्रारंभ में संस्थान के सचिव श्री रमेश अग्रवाल ने महामहिम का स्वागत किया और संस्थान के इतिहास और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला । श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अतिथियों को संस्थान की स्मारिका और स्मृति चिन्ह भेंट किये । अंत में सभी की उपस्थिति के लिये संस्थान के प्रशासनिक और वित्तीय मामलों के प्रभारी प्रो. वाय पी सिंह ने आभार व्यक्त किया ।

 

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