मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

आओ अपना मध्यप्रदेश सवांरें - राकेश अचल

आओ अपना मध्यप्रदेश सवांरें

राकेश अचल

 

आओ अपना मध्यप्रदेश सवांरें

इसके ऊपर अपना सब-कुछ वारें

 

इस प्रदेश पर प्रकृति दयालु रही है

यहाँ नर्मदा कल-कल क्र बहती है

यह प्रदेश है जहां विपुल वन-धन है

धरा यहाँ की रत्न उगल देती है.

 

पंचवटी की कृपा यहाँ सदियों से

होती हैं अमृत की रोज फुहारें

आओ अपना मध्यप्रदेश सवारें .....

 

तन क्र खड़ी हुई पर्वत मालाएं

गीत वीरता के नित-नूतन गायें

पोर-पोर मै यहाँ बसी समरसता

पूजी जाती यहाँ राजमाताये

 

दीपक राग यही पर आकर जन्मे

यहीं रची जाती है सब मल्हारें

आओ  अपना मध्यप्रदेश सवारें

 

पीले सोने की खदान चम्बल है

स्वाभिमान ही इस धरती का बल है

सहा नही अन्याय हो गए बागी

सीमाओं का रच्छक ये अंचल है

 

पहनाये प्रदेश को चूनर धानी

इस  धरती पर मिलकर स्वर्ग उतारें

आओ अपना मध्यप्रदेश सवारें

जय  मध्यप्रदेश....जय भारत देश ...

 

राकेश अचल

एफ़ १० न्यू पार्क होटल ,पडाव,ग्वालियर ०९८२६२१७७९५

 

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