रविवार, 18 अक्टूबर 2020

शहर की सफाई व्यवस्था के लिए कलेक्टर ने धारा-144 के तहत जारी किए आदेश, नगर निगम को हिदायत जारी ईको ग्रीन कंपनी के खिलाफ कार्यवाही के आदेश

 ग्वालियर | 18-अक्तूबर-2020

     कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत नगर निगम आयुक्त को निर्देशित किया है कि शहर की साफ सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए नगर निगम सीमा अंतर्गत कचरा संग्रहण परिवहन एवं निस्तारण हेतु या तो अनुबंधित कंपनी से कचरे का निस्तारण सुनिश्चित कराएं या नगर निगम स्वयं अपने संसाधनों से तत्काल कचरा संग्रहण, परिवहन व निस्तारण की कार्यवाही सुनिश्चित करें।
    नगर निगम आयुक्त श्री संदीप माकिन द्वारा कलेक्टर को भेजे गए स्वच्छता के संबंध में प्रस्ताव पर कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने शहर की साफ सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए धारा 144 के तहत आदेश जारी करते हुए नगर निगम आयुक्त से कहा है कि शहर में साफ सफाई की व्यवस्था के लिए नगर निगम ने जिस कंपनी से अनुबंध किया था, उक्त इकोग्रीन कंपनी द्वारा पिछले 7 दिवस से शहर से कचरा संग्रहण परिवहन एवं निस्तारण का कार्य ना किया जाकर अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते शहर में हर तरफ गंदगी  है और कोविड-19 की महामारी की संभावना और अधिक बढ़ सकती है।
   कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि शहर में साफ सफाई व्यवस्था हेतु कचरा संग्रहण, परिवहन एवं निस्तारण संबंधी कार्य का दायित्व नगर निगम ग्वालियर का है। इसलिए नगर निगम द्वारा अन्य किसी एजेंसी को अनुबंधित कर उक्त कार्य कराया जा सकता है या फिर अपने संसाधनों से उक्त कार्य संपादित कराना सुनिश्चित करे, लेकिन वर्तमान में इसका पूर्णता भाव परिलक्षित हो रहा है।
   इसलिए अब नगर निगम आयुक्त की जिम्मेदारी है कि कचरा संग्रहण परिवहन एवं निस्तारण के संबंध में नगर निगम एवं संबंधित कंपनी के मध्य विवाद का विधिक प्रक्रिया के तहत उचित फोरम पर एक माह के अंदर निराकरण कराना सुनिश्चित करें और कचरा प्रबंधन की सुचारू व्यवस्था बनाएं जिससे भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति की संभावना निर्मित ना हो। इसके साथ ही निगम द्वारा इस हेतु की जाने वाली समस्त कार्रवाइयों के दस्तावेज संधारित किए जाएं।
   कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील होगा तथा आदेश का उल्लंघन करने पर भारतीय दंड विधान की धारा 188 के तहत दंडनीय होगी।

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