मंगलवार, 5 जून 2007

सूचना के अधिकार से शासकीय कार्यो में आयेगी पारदर्शिता और निष्पक्षता

सूचना के अधिकार से शासकीय कार्यो में आयेगी  पारदर्शिता और निष्पक्षता

ग्वालियर 4 जून 2007

       आजादी के बाद देश में दो क्रांति हुई हैं, पहली कृषि क्रांति और दूसरी सूचना क्रांति शासकीय कार्यालयों एवं शासन द्वारा वित्त पोषित संस्थाओं के कार्यों में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता लाने तथा भ्रष्टाचार रोकने के लिए भारतीय संसद द्वारा 12 अक्टूबर 2005 को सूचना का अधिकार कानून पास किया गया है । इस कानून के तहत देश का हर नागरिक शासकीय विभागों में चल रही कार्यों की जानकारी प्राप्त कर सकता है तथा यह मालूम कर सकता है, कि जिस सरकार का चयन हमने किया है, वह हमारे प्रति कितनी संवेदन शील एवं जिम्मेदार हैं ।

       सूचना के अधिकार के नियम के तहत हर विभाग में एक लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति की गई है । इस अधिकारी का नाम स्पष्ट रूप से विभाग के कार्यालय में प्रदर्शित रहता है लोक सूचना अधिकारी अपने इस कार्य के लिए अन्य अधिककारियों की सहायता भी मांग सकते हैं । इन अधिकारियों को लोक सूचना अधिकारी की हर प्रकार से सहायता करनी होगी । कोई भी व्यक्ति अगर किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त करना चाहता है, तो उसे निर्धारित शुल्क सहित (बी.पी.एल. परिवार के सदस्यों को छोड़कर) लोक सूचना अधिकारी को, लिखित में सूचना देनी होगी । इसमें उसे अपनी मांगी सूचना के बारे में ब्यौरा देना होगा । सूचना का आवेदन पाने के बाद लोक सूचना अधिकारी , जितनी जल्दी हो सके अधिकतम 30 दिन के अन्दर या तो सूचना उपलब्ध करायेंगे या कारण बताते हुए आवेदन को नामंजूर कर देंगे ।

       यदि मांगी गई सूचना किसी व्यक्ति की जान या निजी स्वतंत्रता से संबंध रखती हो तो सूचना 48 घंटों के अन्दर ही दी जानी चाहिए । मांगी गई सूचना पर कुछ शुल्क लगाया जा सकता है । जहाँ सूचना की मात्रा अधिक होगी, वहाँ सूचना अधिकारी शुल्क भरने के लिए आवेदक को सूचित करेगे ।

       सूचना के अधिकार के तहत ऐसी सूचनाओं की सूची है, जिनको देने पर प्रतिबंध है । इसके अलावा कुछ सरकारी संस्थाएें हैं, जिनका काम सुरक्षा और गुप्त सूचना की प्राप्ति से जुड़ा है । इस कानून के तहत इन संस्थाओं से सूचना नहीं मांगी जा सकती है ।

       सूचना के अधिकार के तहत यदि कोई लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन लेने से इन्कार किया जाता है, समय सीमा के अन्दर सूचना नहीं दी जाती है,या जान बूझकर गलत या अपूर्ण या भ्रामक जानकारी दी जाती है या सूचना को नष्ट किया जाता है । तो ऐसी परिस्थिति में सूचना आयोग द्वारा संबंधित लोक सूचना अधिकारी को 250 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से कुल 25000 रूपये तक दंड दिया जा सकता है ।

       भारत में अब सूचना का अधिकार कानून पारित होने से, यह लोक तंत्र में जान डाल देने वाला कदम जैसा है अब आत्म विश्वास के साथ कहा जा सकता है, कि भारत का हर नागरिक शासन प्रशासन में भागीदारी कर सकता है और शासकीय कार्यालयों में होने वाली कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है ।

 

 

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