मुख्य सचिव द्वारा आपराधिक घटनाओं से पीड़ितों की मदद के लिये गठित जिला सलाहकार समितियों की बैठकें आयोजित करने के निर्देश
भोपाल 07 अगस्त 09। मुख्य सचिव श्री राकेश साहनी ने राज्य के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर आपराधिक घटनाओं से पीड़ितों की मदद के लिये गठित सलाहकार समितियों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित कर पीड़ितों को मदद पहुंचाने के निर्देश दिये हैं।
ज्ञातव्य है कि म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने राज्य शासन को विभिन्न आपराधिक घटनाओं से पीड़ित होने वाले लोगों की मदद करने के लिये कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय सलाहकार समितियां गठित करने की अनुशंसा की थी। आयोग का मानना है कि अपराध घटित होने के बाद पुलिस और न्यायिक सेवा के अधिकारी अपराधों की छानबीन और अपराधियों को दण्ड दिलाने की कार्यवाही में लग जाते हैं। जबकि अपराधों से पीड़ितों की खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं होता है, इस प्रकार उनके मानव अधिकारों का हनन होता है। इस विसंगति को दूर करने के लिये आयोग ने एक विक्टिमोलॉजी प्रोजेक्ट तैयार कर राज्य शासन को पीड़ितों की मदद करने की सिफारिश की थी। राज्य शासन ने आयोग की इस अनुशंसा को मानते हुए एक आदेश जारी कर वर्ष 2008 में इन समितियों का गठन किया था। जिला स्तरीय समिति में संबंधित जिले के कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी समितियों की बैठकें नहीं हो पा रही थीं।
मुख्य सचिव ने कलेक्टरों से अपेक्षा की है कि पीड़ितों को आर्थिक, सामाजिक, विधिक और चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने के लिये इन सलाहकार समितियों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जायें ताकि नागरिकों और पुलिस की सहभागिता से अपराधों पर भी रोक लग सके। मुख्य सचिव ने निर्देश दिये हैं कि हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध घटित होने की जानकारी मिलने पर पीड़ित व्यक्ति को मदद देने के लिये सलाहकार समिति की बैठक तत्काल बुलाई जाये। समिति द्वारा यथोचित निर्णय लेकर आवश्यकता के अनुसार शासकीय और जन-सहयोग से पीड़ित व्यक्ति की मदद की जाये।
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