संस्थायें रक्तदान को अपना प्रमुख एजेण्डा बनायें - श्री त्रिपाठी
रक्तदान को बढ़ावा देने के लिये बुलाई गई स्वयंसेवी व सामाजिक संस्थाओं की बैठक में कलेक्टर का आह्वान
ग्वालियर 31 जुलाई 09। रक्तदान महादान है, क्योंकि हम इसे दान करके लोगों का जीवन बचाते हैं। इसलिये स्वयंसेवी एवं सामाजिक संस्थायें को अपने एजेण्डे में रक्तदान को सबसे प्रमुखता से शामिल करना चाहिये। इस आशय के उद्गार जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने आज भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की ग्वालियर शाखा द्वारा रक्तदान को बढ़ावा देने के मकसद से बुलाई गई नगर के स्वयंसेवी एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। बैठक में बताया गया कि रेडक्रॉस सोसायटी ने इस वर्ष जिले में 10 हजार यूनिट से अधिक रक्त जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सोसायटी द्वारा गत वर्ष भी 8 हजार यूनिट से अधिक रक्त अपने कोष में जुटाया था। सोसायटी के आंकलन के अनुसार जिले के लिये लगभग 30 हजार यूनिट रक्त की आवश्यकता इस वर्ष होगी।
कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने कहा कि पूरे समर्पण भाव के साथ किया गया रक्तदान ही महादान कहा जा है। इसलिये रक्तदान के समय अधिकार अर्थात यह भाव मन में न हो कि इसके बदले में हमें भी कुछ मिलेगा। उन्होंने इस अवसर पर स्वयंसेवी व सामाजिक संस्थाओ का आह्वान किया कि वे रोस्टर बनाकर जिले में पृथक-पृथक रक्तदान शिविर आयोजित कर जिले के लिये आवश्यक रक्त जमा करने में सहयोगी बनें। श्री त्रिपाठी ने कहा कि यह शिविर लक्ष्य पूर्ति की भावना के साथ नहीं अपितु मानव सेवा की भावना के साथ लगाये जायें। उन्होंने कहा कि जिले में प्रशासनिक स्तर पर भी शासकीय अमले को रक्तदान के लिये प्रेरित करने के प्रयास किये जायेंगे। इस कड़ी में थल व वायु सेना सहित अन्य सुरक्षा बल एवं विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक भी जल्द बुलाई जायेगी।
आरंभ में भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की ग्वालियर शाखा के सचिव श्री आर के. शर्मा ने पॉवर पॉइन्ट प्रजेण्टेशन के जरिये रक्तदाता को अभिप्रेरित करने के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हम सब द्वारा किया गया रक्तदान दुर्घटना, रक्त स्त्राव, जलने में, रक्त अल्पता, बड़ी शल्य क्रियायें, बच्चे के पैदा होने के बाद रक्त स्त्राव, ब्लड कैंसर, रक्त स्त्राव डायलेसिस, नवजात शिशु में लोह तत्व की कमी एवं थैलेसीमिया जैसे रोग से पीड़ित बच्चों का जीवन बचाता है। अत: रक्तदान करना सभी का नैतिक दायित्व भी है। उन्होंने बताया कि 18 से 60 वर्ष के बीच का कोई भी तंदुरूस्त महिला या पुरूष रक्तदान कर सकता है। पुरूष तीन महीने में एक बार व महिला चार महीने में एक बार रक्तदान कर सकती है। उन्होंने रक्तदान के संबंध में व्याप्त विभिन्न भ्रांतियों से भी पर्दा हटाया।
यहां राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में आयोजित हुई इस बैठक मे विभिन्न स्वयंसेवी एवं समाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव भी दिये। इस अवसर पर संस्थाओं के प्रतिनिधियों से रक्तदान शिविर आयोजित करने के लिये फॉर्म भी भरवाये गये। कार्यक्रम का संचालन डॉ. केशव पाण्डेय ने किया।
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