विश्व स्तनपान सप्ताह : शिशुओं के लिए अमृत तुल्य है माँ का दूध
ग्वालियर 6 अगस्त 09। माँ का दूध नवजात शिशुओं के लिए अमृत के समान है । यह शिशुओं को कुपोषण व अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है । स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है । स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के मकसद से पूरे विश्व में अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है । स्तनपान सप्ताह के दौरान माँ के दूध के महत्व की जानकारी दी जाती है । शिशुओं को जन्म से छ: माह तक केवल माँ का दूध पिलाने के लिए महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है ।
प्रदेश में कुपोषण निवारण के लिए राज्य शासन द्वारा संचालित विभिन्न अभियानों में भी पूरक पोषण आहार के साथ स्तनपान पर भी विशेष जोर दिया जाता है । विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान महिला एवं बाल विकास के मैदानी अमले द्वारा खासतौर पर महिलाओं को माँ के दूध की विशेषताओं के बारे में बताया जा रहा है।
वैज्ञानिक परीक्षण से यह सिध्द हो चुका है कि माँ के दूध में जरूरी पोषक तत्व, एंटी बाडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे आक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं । शिशु के जन्म से छ: माह तक केवल माँ का दूध देने से बच्चे के साथ -साथ माँ के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । यदि किसी नवजात शिशु ने 6 माह तक सिर्फ माँ का दूध पिया है, तो वह उन बच्चों की तुलना में अधिक तन्दुरूस्त होगा, जिन बच्चों ने स्तनपान नहीं किया है । माँ का दूध छ: माह तक के शिशु को सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करता है ।
मेडीकल दृष्टि से भी यह साबित हो चुका है प्रसव के बाद जल्द से जल्द माँ का दूध पिलाने से शिशु के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । स्तनपान कराने से स्तनों में दूध बनना शुरू हो जाता है । स्तनपान से ब्रेस्ट केंसर की संभावना भी कम हो जाती है ।स्तनपान के इतने फायदे के मद्देनजर न केवल माँ की बल्कि समुदाय व प्रत्येक परिवार की भी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है, कि शिशु को वह जन्म के छ: माह बाद तक केवल माँ का दूध पिलाने के महत्व को समझें और इसे बढ़ावा देने में सहयोग करें ।
समझें कोलस्ट्रम के महत्व को
जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के अंदर बच्चे को मॉ का पीला गाढ़ा दूध (खीस या कोलस्ट्रम) बहुत आवश्यक होता है, यह दूध बच्चे को आसानी से पच जाता है,उसके दिमाग को तेज करता है तथा उसे दमा, एलर्जी, दस्त रोग व निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाता है। सर्वेक्षण बताते है जन्म के एक घंटे के अन्दर मॉ का दूध पिलाने से बच्चों की मृत्यु दर में 22 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है ।
मॉ का दूध कुपोषण को दूर करने एवं बच्चे की उत्तरजीविता में मदद करता है। जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मॉ का दूध पिला कर हम मिलेनियम डब्लपमेंट गोल्स (सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य) को पूरा करने में भी सहयोगी हो सकते हैं।
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