प्रदेश में ऊर्जा संरक्षण और उसके दक्षतापूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने हेतु सौर ऊर्जा को बढ़ावा
ग्वालियर 10 नवम्बर 09। राज्य शासन ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य में ऊर्जा और उसका दक्षतापूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है। ऊर्जा विभाग ने इस आशय के आदेश जारी किये हैं।
इस उद्देश्य के लिये राज्य शासन ने प्रथम चरण में गर्म जल का उपयोग करने वाली इकाइयों में आवश्यकता के न्यूनतम 25 प्रतिशत की पूर्ति सौर गर्म जल संयंत्रों के माध्यम से एक वर्ष के भीतर लगाना अनिवार्य है। इनमें वे परिचर्चा गृह, शासकीय एवं निजी चिकित्सालय ऐसे समस्त (शासकीय एवं निजी) होटल्स, मोटल्स/ विश्राम गृह, भोजनालय एवं जलपान गृह, केन्टीन शामिल हैं, जिनकी पूजीगत लागत 50 लाख रूपये से अधिक हो एवं जहां पर गर्म जल का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही शासकीय/ शासकीय सहायता प्राप्त संस्थाओं इत्यादि के नये भवनों में एवं नवीन खरीदी में परंपरागत बल्वों को प्रतिबंधित करते हुए उसके स्थान पर ऊर्जा दक्ष लाइटिंग (सीएफएल., एलईडी., बेरड लाइट्स, इलेक्ट्रानिक बेलास्ट/ रेग्युलेटर एवं ऊर्जा दक्ष टयूब) का क्रय अनिवार्य किया है।
इस आदेश में शासकीय/ शासकीय सहायता प्राप्त संस्थाओं, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतें/ ग्राम पंचायतों/ सहकारी संस्थायें, हाउसिंग सोसायटी, डेवलपर समस्त बोर्ड, प्राधिकरण, निगम इत्यादि में ऊर्जा दक्ष पंपसेट/ मोटर/ वाल्व, स्ट्रीट लाइटिंग में ऊर्जा दक्ष प्रणाली आदि का उपयोग अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा भविष्य में शासकीय/ शासकीय सहायता प्राप्त संस्थाओं के भवनों की डिजाइन एवं संकल्पना, ऊर्जा दक्षतापूर्ण करना अनिवार्य किया गया है। राज्य शासन द्वारा समय समय पर इस निर्णय के अनुसार की गई कार्यवाही की समीक्षा करते हुए राज्य स्तरीय डिमाण्ड साइड मैनेजमेंट समिति का गठन भी किया जायेगा।
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