गुरुवार, 5 नवंबर 2009

नशामुक्ति पर प्रस्तुत नाटक उजाले की ओर द्वारा बताये नशा के दुष्परिणाम

नशामुक्ति पर प्रस्तुत नाटक उजाले की ओर द्वारा बताये नशा के दुष्परिणाम

ग्वालियर 4 नवम्बर 09। नशे की लत किसी भी व्यक्ति के जीवन को बर्बाद कर देती है। इस बुराई से आदमी का शारीरिक, आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से तो पतन होता ही है। साथ ही उसका परिवार भी टूट जाता है। इस तथ्य को स्पष्ट किया संवाद सामाजिक सांस्कृतिक संस्था ग्वालियर द्वारा आज नशामुक्ति पर प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक उजाले की ओर ने।

      उल्लेखनीय है कि म प्र. स्थापना सप्ताह के दौरान कलावीथिका में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी के तहत आज संवाद सामाजिक सांस्कृतिक संस्था ग्वालियर द्वारा नशामुक्ति पर उजाले की ओर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। नाटक के माध्यम से बताया गया कि रंगीला एवं रामकली का भरापूरा परिवार है, जो अच्छी तरह खाता पीता है। इसी बीच रंगीला को शराब पीने की आदत पड़ जाती है और परिवार खाने के लिये भी मोहताज हो जाता है। घर में रोज लड़ाई झगड़े हेते रहते हैं एवं आर्थिक तंगी के चलते घर में कलह होती रहती है। दूसरी ओर रंगीला की सामाजिक छवि धूमिल होने के कारण उसके बच्चों की शादी भी नहीं हो पाती हैं। दिनभर नशे में डूबे रहने के कारण रंगीला का स्वास्थ्य भी खराब रहता है।

      घर की इस हालत को देखकर उसकी पत्नी रामकली चिंतित रहने लगती है, तभी उसे एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता मिलती है और वे रंगीला को डाक्टर के पास ले जाने की सलाह देती हैं। डाक्टर के पास ले जाने पर वे रामकली को नशामुक्ति केन्द्र में रंगीला को ले जाने की सलाह देते हैं। नशामुक्ति केन्द्र में जाकर रंगीला की शराब पीने की लत से छुटकारा मिलता है और उसके परिवार में खुशहाली लौट आती है। साथ ही समाज में खोई हुई उसकी साख भी लौट आती है। जिससे उसके बच्चे की शादी अच्छे परिवार में हो जाती है। नाटक में शामिल कलाकार रवीन्द्र रंगकर्मी, प्रमोद पाण्डे, सागर, रंजना गोस्वामी, गीता पाल, सुरेश कुशवाह एवं मुकेश ने अपनी कला से दर्शकों का मन मोह लिया। नाटक का 3 स्कूलों के बच्चे एवं अन्य दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया।

 

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